देश / हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं: म्यांमार में सू ची की सज़ा पर भारत ने जताई चिंता

भारत ने म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू ची की सज़ा पर चिंता ज़ाहिर की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हाल के फैसलों से आहत हैं...भारत बतौर पड़ोसी म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन का समर्थक रहा है...हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं।" हालांकि, उनकी सज़ा 4 वर्ष से घटाकर 2 वर्ष की गई है।

Vikrant Shekhawat : Dec 08, 2021, 08:16 AM
नई दिल्ली: म्यांमार की नेता आंग सान सू ची को दी गई सज़ा पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी चिंता ज़ाहिर की है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हाल के फ़ैसले से आहत हैं. भारत बतौर पड़ोसी म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन का समर्थक रहा है. हम क़ानून के शासन में विश्वास करते हैं, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए."

सोमवार को अपदस्थ नेता आंग सान सू ची की सज़ा को चार साल से घटा कर दो साल किया गया है.

उन पर 11 आरोप लगाए गए थे और उन्हें लोगों को भड़काने और प्राकृतिक आपदा क़ानून के तहत कोविड नियमों को तोड़ने का दोषी करार दिया गया है. हालांकि सू ची ने लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है.

पहले उन्हें चार साल की सज़ा सुनाई गई थी लेकिन म्यांमार की सेना के प्रमुख मिन ऑन्ग ह्लांग ने इसे घटाकर दो साल कर दिया.

फ़रवरी में सेना के तख़्तापलट से पहले 76 वर्षीय सू ची एक चुनी हुई नागरिक सरकार का नेतृत्व कर रही थीं.

सेना ने बीते वर्ष हुए आम चुनावों में धांधली का आरोप लगाकर तख्ता पलट कर दिया था, तब के चुनावों में एनएलडी को भारी जीत मिली थी.

सू ची तब से नज़रबंद हैं और भ्रष्टाचार, ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन और जनता को भड़काने जैसे कई मामलों को लेकर उन पर सुनवाई चल रही है.