AMAR UJALA : Oct 26, 2019, 07:21 AM
Diwali 2019 | बहुत सालों से बड़ी दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली मनाई जाती रही है। छोटी दिवाली की रात में घरों में बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाया जाता है और उस दीपक को घर से बाहर कहीं दूर रख दिया जाता है। इस दिन घरों में मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी प्रावधान है लेकिन क्या आप जानते है कि बड़ी दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है, आइए जानते है कि इसके पीछे की क्या है कहानी।एक बार रति देव नाम के एक राजा थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन एक दिन उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हो गए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप नहीं किया फिर भी क्या मुझे नरक जाना होगा? यह सुनकर यमदूत ने कहा कि हे राजन एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप का फल है। यह सुनकर राजा ने प्रायश्चित करने के लिए यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें सारी कहानी सुनाकर अपनी इस दुविधा से मुक्ति का उपाय पूछा। तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। राजा ने ऋषि की आज्ञानुसार वैसा ही किया और पाप मुक्त हो गए। इसके पश्चात उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु कार्तिक चतुर्दशी के दिन व्रत और दीप जलाने का प्रचलन हो गया। कहते है कि छोटी दिवाली के दिन सूरज उगने से पहले स्नान करने से स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है। स्नान करने के बाद विष्णु मंदिर या कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन अवश्य करना चाहिए।साथ ही साथ उनके सौंदर्य में भी वृद्धि होती है और अकाल मृत्यु का खतरा भी टल जाता है। शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी कलयुग में जन्में लोगों के लिए बहुत उपयोगी है इसलिए कलयुगी मनुष्य को इस दिन के नियमों और महत्व को समझना चाहिए।