Shahnawaz Hussain / शाहनवाज हुसैन पर दर्ज करे रेप केस - दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। ये आदेश 2018 में भाजपा नेता पर लगे रेप के आरोपों को लेकर दिया गया है। HC ने पुलिस से कहा कि पुलिस 3 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट निचली अदालत को सौंपे। इस बीच, शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।

Vikrant Shekhawat : Aug 18, 2022, 11:58 AM
Shahnawaz Hussain: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। ये आदेश 2018 में भाजपा नेता पर लगे रेप के आरोपों को लेकर दिया गया है। HC ने पुलिस से कहा कि पुलिस 3 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट निचली अदालत को सौंपे। इस बीच, शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।

जस्टिस आशा मेनन ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई थी। कहा कि उनका रवैया ढीला रहा है।

शाहनवाज की SC से अपील- जल्द सुनवाई हो

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में शहनवाज ने कहा कि इस मामले की जल्द सुनवाई हो, लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस मामले पर विचार कर सकती है।

पीड़िता का आरोप- फार्म हाउस पर किया था रेप

दिल्ली की रहने वाली पीड़िता ने जनवरी 2018 में निचली अदालत में याचिका दायर की थी। इसमें शाहनवाज के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराने की अपील की गई थी। महिला का आरोप था कि उन्होंने छतरपुर फार्म हाउस में उसके साथ रेप किया और उसे जान से मारने की धमकी दी थी। पीड़िता ने CrPC की धारा 156(3) के तहत दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।

मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट ने 12 जुलाई 2018 को शाहनवाज के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ उन्होंने रिवीजन पिटीशन लगाई थी। इसे खारिज कर दिया गया। अब शाहनवाज दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे थे, लेकिन यहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। हुसैन के खिलाफ जून 2018 में IPC की धारा 376, 328, 120B और 506 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी।

दिल्ली HC ने कहा- FIR की शिकायत जांच का आधार

कोर्ट ने यह भी कहा कि FIR शिकायत में दर्ज अपराध की जांच का आधार है। जांच के बाद ही पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंच सकती है कि अपराध किया गया था या नहीं और अगर ऐसा है तो किसने किया है।

मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट यह निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र है कि अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार करना है या नहीं। या फिर मामले को आगे बढ़ाना है या यह मानना कि कोई मामला नहीं है। साथ ही वह शिकायतकर्ता की सुनवाई के बाद FIR रद्द करना चाहता है या नहीं।