Madhabi Puri Buch / पूर्व SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच पर दर्ज होगी FIR, शेयर बाजार में धोखाधड़ी का है आरोप

मुंबई की विशेष एसीबी कोर्ट ने पूर्व सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और पांच अन्य के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी व नियामकीय उल्लंघन में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से मिलीभगत का आरोप लगा था। कोर्ट ने 30 दिनों में स्थिति रिपोर्ट मांगी।

Madhabi Puri Buch: मुंबई की विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच और अन्य पांच व्यक्तियों के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघनों के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले की जांच की निगरानी करने और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

क्या है पूरा मामला?
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 2024 के अंत में एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया था कि पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति की अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि अडानी ग्रुप और SEBI के बीच मिलीभगत थी, जिससे नियामकीय प्रावधानों का उल्लंघन हुआ। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद वित्तीय और राजनीतिक हलकों में काफी हलचल मच गई थी।

आरोपों पर प्रतिक्रिया
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आरोपों को माधवी पुरी बुच और उनके पति ने सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि ये आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और उन्होंने किसी भी जानकारी को छिपाया नहीं है। वहीं, अडानी ग्रुप ने भी इस रिपोर्ट को झूठा बताते हुए इसे बदनाम करने की एक साजिश करार दिया था।

SEBI में अंदरूनी असंतोष
यह पहला मौका नहीं है जब माधवी पुरी बुच विवादों में घिरी हैं। सितंबर 2024 में, SEBI के लगभग 500 कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को एक पत्र भेजकर शिकायत की थी कि SEBI का कार्य वातावरण अत्यंत तनावपूर्ण और विषाक्त है। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि बुच अक्सर बैठकों में चिल्लाती थीं, कर्मचारियों को डांटती थीं और सार्वजनिक रूप से अपमानित करती थीं।

कोर्ट का आदेश और जांच प्रक्रिया
विशेष कोर्ट ने कहा कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का संकेत मिलता है, जिसकी जांच आवश्यक है। न्यायालय ने कहा कि SEBI और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निष्क्रियता को देखते हुए न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी। कोर्ट ने ACB वर्ली, मुंबई को भारतीय दंड संहिता (IPC), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, SEBI अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।

कंपनी की धोखाधड़ीपूर्ण लिस्टिंग का मामला
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि SEBI अधिकारियों की मिलीभगत से स्टॉक एक्सचेंज में एक कंपनी की धोखाधड़ीपूर्ण लिस्टिंग की गई। उन्होंने दावा किया कि नियामकीय मानकों का उल्लंघन कर बाजार में हेरफेर किया गया और गैर-अनुपालन वाली कंपनियों को सूचीबद्ध होने की अनुमति दी गई। शिकायतकर्ता के अनुसार, बार-बार पुलिस और नियामक एजेंसियों से संपर्क करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

निष्कर्ष
माधवी पुरी बुच, जो भारत की पहली महिला SEBI प्रमुख थीं, अब कानूनी विवादों में घिर गई हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से उनके कार्यकाल को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश से अब इस मामले में विस्तृत जांच की उम्मीद की जा रही है। आने वाले 30 दिनों में स्थिति रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि आरोपों में कितनी सच्चाई है और इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।