Los Angeles Fire / लॉस एंजेलिस में आग का तांडव, आखिर अमेरिका क्यों बेबस नजर आ रहा?

कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस शहर में भयंकर आग ने तबाही मचा दी है। 12 हजार से अधिक घर जलकर खाक हो गए और 16 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 35 हजार एकड़ जमीन जल चुकी है। विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन को इस घटना का प्रमुख कारण बताया है।

Vikrant Shekhawat : Jan 13, 2025, 01:00 AM

Los Angeles Fire: अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में स्थित लॉस एंजेलिस शहर एक भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। शहर के कई हिस्से आग की भयावह लपटों से घिर चुके हैं, जिससे भारी नुकसान हुआ है। अब तक की जानकारी के अनुसार, 12 हजार से अधिक घर जलकर खाक हो चुके हैं और इस त्रासदी में 16 लोगों की जान जा चुकी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस आग से 135 से 150 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका के इतिहास में आग से हुई सबसे बड़ी तबाही है।

35 हजार एकड़ क्षेत्र में फैली आग

लॉस एंजेलिस की इस भीषण आग ने अब तक 35 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है। आग पर काबू पाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है। सैकड़ों फायर सेफ्टी हेलीकॉप्टरों की मदद से आग बुझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन तेज़ हवाओं और शुष्क वातावरण के कारण आग तेजी से फैल रही है। इस भयावह स्थिति को देखते हुए 1.5 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

जलवायु परिवर्तन और सूखे की मार

कैलिफोर्निया में इस आग की भीषणता के पीछे जलवायु परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है। पिछले एक दशक से कैलिफोर्निया सूखे की चपेट में है। दो साल पहले यहां सूखे से मामूली राहत मिली थी, लेकिन इस दौरान पेड़-पौधे तेजी से सूख गए थे। अब वही सूखे पेड़ और पौधे आग को भड़काने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा, पिछले साल इस क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ी थी, और मानसून के दौरान औसत से भी कम बारिश हुई थी। सर्दी के मौसम में भी यहां अपेक्षित बारिश नहीं हुई, जिससे जंगलों में नमी की कमी हो गई।

सांता एना हवाओं ने बढ़ाई आग की रफ्तार

इस आग को भड़काने में सांता एना हवाओं की भी अहम भूमिका रही है। सांता एना हवाएं शुष्क और शक्तिशाली होती हैं, जो आमतौर पर पहाड़ों से दक्षिणी कैलिफोर्निया के तट की ओर बहती हैं। इस क्षेत्र में हर साल लगभग 10 से 12 बार ऐसी हवाएं चलती हैं। इन हवाओं के कारण जब वातावरण शुष्क हो जाता है, तो आग को तेजी से फैलने का मौका मिल जाता है। इस बार भी यही हुआ। तेज़ हवाओं की वजह से आग तेजी से लॉस एंजेलिस शहर तक पहुंच गई और कई आवासीय इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया।

इस बार आग क्यों ज्यादा खतरनाक है?

विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर इस समय तक दक्षिणी कैलिफोर्निया में पर्याप्त बारिश हो जाती है, जिससे पेड़-पौधों में नमी आ जाती है और आग का खतरा कम हो जाता है। लेकिन इस बार हालात बिल्कुल उलट रहे। इस साल भीषण गर्मी पड़ी और बारिश नहीं होने के कारण पेड़-पौधे पूरी तरह से सूख चुके थे। नमी की कमी के कारण आग तेजी से फैल रही है, और इसे नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो रहा है।

2024: धरती का सबसे गर्म साल

यूरोपीय संघ के पृथ्वी निगरानी कार्यक्रम ‘कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा’ ने साल 2024 को धरती का अब तक का सबसे गर्म साल घोषित किया है। इस साल वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। यह चिंता का विषय है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति लगातार बढ़ रही है।

आग पर नियंत्रण के प्रयास

आग को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय प्रशासन और फायर डिपार्टमेंट हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। सैकड़ों फायरफाइटर्स लगातार आग पर काबू पाने में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही ड्रोन और फायर सेफ्टी हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है। प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन भी जारी है।

भविष्य के लिए सबक

लॉस एंजेलिस की इस त्रासदी ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसी आपदाओं की संख्या और गंभीरता में इजाफा हो सकता है। यह घटना सरकारों और आम जनता के लिए एक चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन के खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसके लिए व्यापक स्तर पर नीतियों में बदलाव और सतत विकास की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।

निष्कर्ष

लॉस एंजेलिस में लगी इस भीषण आग ने न केवल कैलिफोर्निया राज्य बल्कि पूरे विश्व को जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति जागरूक किया है। यह घटना इस बात की गवाह है कि अगर हम पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति लापरवाह रहे, तो ऐसी आपदाएं भविष्य में और भी बड़े स्तर पर सामने आ सकती हैं। अब वक्त आ गया है कि सरकारें और समाज मिलकर जलवायु संकट को हल करने के ठोस कदम उठाएं ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य दिया जा सके।