देश / आम जनता को बड़ी राहत, कई दवाओं के घटने वाले हैं दाम, समझिए आपको कितना होगा फायदा

पैरासिटामोल. ये वो दवा है जिसका नाम भारत में हर कोई जानता है. वैसे आप इसे अलग-अलग ब्रांड के नामों से भी जानते हैं, लेकिन बुखार से लेकर बदन दर्द में ये दवा हर किसी के काम आती है. अब इस दवा के दाम भी कम होने वाले हैं. भारत में दवाओं के दाम तय करने वाली संस्था NPPA यानी NATIONAL PHARMACEUTICAL PRICING AUTHORITY ने 127 दवाओं के दाम कम किए हैं.

Vikrant Shekhawat : Jan 06, 2023, 05:53 PM
Online Cheap Medicines: पैरासिटामोल. ये वो दवा है जिसका नाम भारत में हर कोई जानता है. वैसे आप इसे अलग-अलग ब्रांड के नामों से भी जानते हैं, लेकिन बुखार से लेकर बदन दर्द में ये दवा हर किसी के काम आती है. अब इस दवा के दाम भी कम होने वाले हैं. भारत में दवाओं के दाम तय करने वाली संस्था NPPA यानी NATIONAL PHARMACEUTICAL PRICING AUTHORITY ने 127 दवाओं के दाम कम किए हैं. कम कीमत के प्रिंट वाली दवाएं जनवरी के दूसरे हफ्ते से मार्केट में पहुंचने वाली हैं. सबसे पहले ये जानिए कि किस दवा की कीमत आज कितनी है और ये कितनी कम हो सकती है. पैरासिटामोल की कीमत आधी हो सकती है.  

एमोक्सिसिलिन और पोटेशियम क्लैवनेट कॉन्बो Amoxycillin and Potassium clavulanate – ये एक एंटीबायोटिक दवा है जो काफी इस्तेमाल होती है. इसकी एक गोली की कीमत में 6 रुपये की कमी हो सकती है. इसी तरह दूसरी एंटीबायोटिक मॉक्सीफ्लोक्सीन Moxifloxacin 400 MG की एक टैबलेट की कीमत 31 रुपये से घटकर सीधे 21 रुपये हो सकती है.  

पैरासिटामोल 650 MG: 2 रुपए 30 पैसे की एक टैबलेट  

नई कीमत: 1 रुपए 80 पैसे की एक टैबलेट  

एमोक्सिसिलिन COMBO: 22 रुपए एक टैबलेट 

नई कीमत: 16 रुपए एक टैबलेट  

मॉक्सीफ्लोक्सीन 400 MG: 31 रुपए एक टैबलेट 

नई कीमत: 21 रुपए एक टैबलेट 

ये वो राहत है जो तुरंत लोगों तक पहुंचेगी. लेकिन इसके अलावा बड़ी राहत की तैयारी भी की जा रही है. भारत में दवाओं के दाम तय करने के फॉर्मूले को बदलने पर विचार किया जा रहा है. भारत में चार संस्थाओं को ये स्टडी करने का काम सौंपा गया है कि भारत में दवाओं के दाम तय करने का नया फॉर्मूला क्या होना चाहिए. जो दवाएं सरकार के प्राइस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत नहीं आती, उनके दामों पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है. सिवाए इसके कि वो एक साल में 10 प्रतिशत से ज्यादा दाम नहीं बढ़ा सकते. 

लेकिन दिक्कत दवा का दाम तय करने से ही शुरू हो जाती है. भारत में 2013 तक दवाओं के दाम लागत और मुनाफा जोड़कर तय होते थे. लेकिन अब दवा के दाम का उसकी लागत से कोई लेना देना नहीं रहा. जो दवाएं DCPO के तहत नहीं आती, उनके दाम निर्माता कंपनी खुद तय कर सकती है. यानी 10 रुपये में बनने वाली दवा का दाम वो 1 हजार भी रख सकती है.  

20 हजार फार्मा कंपनियां कर रहीं काम

अब NPPA ने गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु बायोइनोवेशन सेंटर और ब्रिज थिंक टैंक दिल्ली को ये स्टडी सौंपी है कि विदेशों की ड्रग पॉलिसी और भारत की पॉलिसी को स्टडी करके ये बताएं कि कैसे भारत में दवाओं को किफायती दामों पर बेचा जा सकता है. 

फिलहाल सरकार केवल 886 फॉर्मूलेशन्स से बनने वाली 1817 दवाओं के दामों पर लगाम लगा पा रही है. देश में इस वक्त 20 हज़ार फार्मा कंपनियां काम कर रही हैं. कुछ दवाओं के दाम में मार्जिन 200 गुना से लेकर 1 हज़ार गुना तक हैं.  हमने बाजार की दवाओं की तुलना जन औषधि स्टोर पर मिलने वाली दवाओं से की, जिन्हें देखकर आप समझ सकते हैं कि दवाओं की कीमत कितनी कम हो सकती है जो कि नहीं हो पाती.  जन औषधि स्टोर चला रहे अनूप खन्ना का मानना है कि जेनेरिक दवाओं पर लोगों का भरोसा बढ़ रहा है और अब लोगों की जेब पर भार काफी कम हो सका है.