गोवर्धन पूजा 2020 / आज गोवर्धन पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा (गोवर्धन पूजा 2020) की जाती है। मूल रूप से यह प्रकृति की पूजा है, जिसे श्री कृष्ण ने शुरू किया था। इस दिन, गोवर्धन पर्वत को प्रकृति के आधार के रूप में और गाय को समाज के आधार के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा ब्रज से शुरू हुई थी और धीरे-धीरे पूरे भारत में प्रचलित हो गई। इस बार, 15 नवंबर, आज अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का त्योहार है।

Vikrant Shekhawat : Nov 15, 2020, 07:55 AM
दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा (गोवर्धन पूजा 2020) की जाती है। मूल रूप से यह प्रकृति की पूजा है, जिसे श्री कृष्ण ने शुरू किया था। इस दिन, गोवर्धन पर्वत को प्रकृति के आधार के रूप में और गाय को समाज के आधार के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा ब्रज से शुरू हुई थी और धीरे-धीरे पूरे भारत में प्रचलित हो गई। इस बार, 15 नवंबर, आज अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का त्योहार है।


अन्नकूट की पूजा कैसे की जाती है?

वेदों के अनुसार, इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है। गायों के साथ उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाई खिलाई जाती है। गोवर्धन पर्वत की एक प्रतिकृति गाय के गोबर से बनाई जाती है। इसके बाद फूल, धूप, दीप, नैवेद्य से उनकी पूजा की जाती है।

इस दिन घर का हर सदस्य एक ही रसोई से खाना बनाता है। खाने में कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। इसमें प्याज लहसुन का प्रयोग न करें। भगवान कृष्ण को भोजन अर्पित करें। इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। घर में सुख समृद्धि आएगी।

कैसे करें गोवर्धन पूजा

सुबह तेल को शरीर पर मलें। घर के मुख्य द्वार पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं। गोबर के गोवर्धन पर्वत बनाएं, ग्वाल बाल, पेड़-पौधों की आकृति बनाएं। भगवान कृष्ण की मूर्ति को बीच में रख दें। इसके बाद भगवान कृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत की पूजा करें। पकवान और पंचामृत चढ़ाएं। गोवर्धन पूजा की कथा सुनें। प्रसाद वितरित करें और सभी के साथ भोजन करें।

शुभ मुहूर्त

इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 15 नवंबर की सुबह 10:36 से 16 नवंबर की सुबह 07:05 बजे तक रहेगी। गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर में 03:19 बजे से दोपहर 05.26 बजे तक है। , 15 नवंबर।

गोवर्धन पूजा से आपको क्या लाभ होगा?

गाय को नहलाएं और उसका तिलक करें। उसे फल और चारा खिलाएं। सात बार गाय की परिक्रमा करें। गाय के खुर के पास मिट्टी ले जाएं। इसे कांच की शीशी में सुरक्षित रूप से रखें। यदि आप किसी भी स्थान पर तिलक लगाकर इस मिट्टी पर जाते हैं, तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी।