AMAR UJALA : Sep 01, 2020, 08:55 AM
Delhi: टीवी कार्यक्रम ‘नौकरशाही में जिहाद’ पर दिल्ली हाईकोर्ट ने भले ही रोक लगा दी हो, पर इस विवाद से केंद्र सरकार ने पल्ला झाड़ लिया है। उधर आईएएस, आईआरएस और आईपीएस अफसरों की एसोसिएशन ने इसकी कड़ी आलोचना की।
नकवी बोले, केवल मुसलमान नहीं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की भी मदद करती है सरकारअल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि उनका मंत्रालय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अल्पसंख्यकों को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए वजीफा देता है और कोचिंग की तैयारी भी कराता है। अल्पसंख्यकों में सिर्फ मुसलमान ही नहीं जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी जैसे अन्य पांच धर्म भी आते हैं।नकवी ने कहा कि मंत्रालय सिर्फ काबिल छात्रों की मदद करता है। इस वर्ष उनके मंत्रालय की मदद से चुने गए 22 अल्पसंख्यक छात्रों में से सात जैन समुदाय से हैं, जबकि कुछ लद्दाख के बौद्ध और दूसरे इलाकों से आने वाले ईसाई भी हैं। ऐसे में उनके मंत्रालय पर नौकरशाही में जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप नहीं लगाया जा सकता। जरूर कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भी इन छात्रों की मदद करने का दावा करती हैं।स्वयंसेवी संस्था जकात फाउंडेशन के अध्यक्ष और पूर्व नौकरशाह जफर महमूद का कहना है कि हर वर्ष उनकी संस्था राष्ट्रव्यापी परीक्षा के जरिए 80 से 90 छात्रों को यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए चुनती है। इन्हें 2 साल के लिए कोचिंग की फीस और छात्रावास की सुविधा दी जाती है।
सरकार करे मुकाबलाउन्होंने कहा कि उनकी संस्था को सरकार से कोई मदद नहीं मिलती, लेकिन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में यूपीएससी अभ्यर्थियों की कोचिंग केंद्र सरकार की मदद से चल रही है। ऐसे में नौकरशाही में जिहाद के आरोपों का सामना तो अदालत में भी मंत्रालय को ही करना चाहिए।
नौकरशाही में बढ़ रहे अल्पसंख्यकपिछले दिनों घोषित हुए परिणाम में 829 चुने गए अभ्यर्थियों में से 42 मुस्लिम थे, जबकि 2018 में चयनित 759 अभ्यर्थियों में केवल 28 मुसलमान थे। वहीं 2017 में 990 चुने गए अभ्यर्थियों में 50 मुसलमान थे और 2016 में 1099 छात्रों में भी 50 मुसलमान थे।
नकवी बोले, केवल मुसलमान नहीं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की भी मदद करती है सरकारअल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि उनका मंत्रालय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अल्पसंख्यकों को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए वजीफा देता है और कोचिंग की तैयारी भी कराता है। अल्पसंख्यकों में सिर्फ मुसलमान ही नहीं जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी जैसे अन्य पांच धर्म भी आते हैं।नकवी ने कहा कि मंत्रालय सिर्फ काबिल छात्रों की मदद करता है। इस वर्ष उनके मंत्रालय की मदद से चुने गए 22 अल्पसंख्यक छात्रों में से सात जैन समुदाय से हैं, जबकि कुछ लद्दाख के बौद्ध और दूसरे इलाकों से आने वाले ईसाई भी हैं। ऐसे में उनके मंत्रालय पर नौकरशाही में जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप नहीं लगाया जा सकता। जरूर कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भी इन छात्रों की मदद करने का दावा करती हैं।स्वयंसेवी संस्था जकात फाउंडेशन के अध्यक्ष और पूर्व नौकरशाह जफर महमूद का कहना है कि हर वर्ष उनकी संस्था राष्ट्रव्यापी परीक्षा के जरिए 80 से 90 छात्रों को यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए चुनती है। इन्हें 2 साल के लिए कोचिंग की फीस और छात्रावास की सुविधा दी जाती है।
सरकार करे मुकाबलाउन्होंने कहा कि उनकी संस्था को सरकार से कोई मदद नहीं मिलती, लेकिन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में यूपीएससी अभ्यर्थियों की कोचिंग केंद्र सरकार की मदद से चल रही है। ऐसे में नौकरशाही में जिहाद के आरोपों का सामना तो अदालत में भी मंत्रालय को ही करना चाहिए।
नौकरशाही में बढ़ रहे अल्पसंख्यकपिछले दिनों घोषित हुए परिणाम में 829 चुने गए अभ्यर्थियों में से 42 मुस्लिम थे, जबकि 2018 में चयनित 759 अभ्यर्थियों में केवल 28 मुसलमान थे। वहीं 2017 में 990 चुने गए अभ्यर्थियों में 50 मुसलमान थे और 2016 में 1099 छात्रों में भी 50 मुसलमान थे।