देश / केंद्र सरकार ने त्योहारों के आगामी सीज़न के लिए जारी कीं गाइडलाइन्स

केंद्र सरकार ने त्योहारों के आगामी सीज़न को लेकर गाइडलाइन्स जारी की हैं। बकौल सरकार, "कंटेनमेंट ज़ोन के तौर पर चिन्हित किए गए क्षेत्रों और 5% से अधिक साप्ताहिक कोविड-19 पॉज़िटिविटी रेट वाले ज़िलों में बड़े पैमाने पर भीड़ जमा नहीं होनी चाहिए...5% या उससे कम पॉज़िटिविटी रेट वाले ज़िलों में पूर्व अनुमति के बाद लोग एकत्रित हो सकते हैं।"

Vikrant Shekhawat : Sep 23, 2021, 06:55 PM
नई दिल्ली: स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा है कि दूसरी लहर अब भी बरकरार है. इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है और इसलिए हमारी कोशिश है कि टीका की गति बढ़ाई जाए और ज्यादा से ज्यादा कवरेज हो. स्‍वास्‍थ्‍य सचिव राजेश भूषण ने गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि 5 राज्यों में 10 से 50 हजार के बीच एक्टिव केस हैं. एक राज्य में 1 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं. जबकि 33 जिलों में 10% से ज्यादा वीकली पॉजिटिविटी रेट हैं. 23 जिलों में पॉजिटिविटी रेट 5 से 10% के बीच है.

इसके साथ ही स्वास्थ्य सचिव ने अक्टूबर से नवंबर में किस तरह से काम करना है ये बताया है. उन्होंने कहा कि ये आने वाले त्योहार के मद्देनजर है. 5% से ज्यादा पॉजिटिविटी वाले जिलों में मास गैदरिंग अवॉइड करें. राज्यों को दिशा निर्देश दिए गए हैं. वहीं देश में कोरोना की पहली डोज करीब 62 करोड़ दी चुकी है. वहीं, दूसरी डोज 21.55 करोड़ दी जा चुकी है. 18 साल से ऊपर 66% को एक डोज, जबकि  23% बालिग को दोनों डोज दी चुकी है.  6 राज्य में पहला डोज 100% हो चुका है. 90% से अधिक पहला डोज 4 राज्यों में हैं. अर्बन एरिया कि बात करें तो यहां 25.42 करोड़ दी जा चुकी है और रूरल एरिया में 45.75 करोड़ डोज दी जा चुकी है. 

त्योहार समझदारी से मनाएं

वहीं, वी के पॉल ने कहा कि एडल्ट पॉपुलेशन का 2/3 (66%) vaccinated हो चुका है. जो घर से बाहर नहीं टीका लगवाने जा सकते. उनको घर पर सुपरवाइज करके टीका लगवाने का sop जारी किया गया है. जैसे कोई शारीरिक अक्षम हैं उनके लिए.

राजेश भूषण ने कहा कि UK इशू- हम उन बातों को दोहराते हैं जो कि विदेश मंत्रालय नहीं रेखाकित की है. पहली बात ये कि जो व्यवस्था 4 अक्टूबर से प्रस्तावित की है वो एक डिस्क्रिमिनेटरी व्यवस्था है दोनों पक्ष आपस में संवाद में हैं हमारा यह भी मानना है कि शीघ्र ही इस मुद्दे का समाधान निकाल लिया जाएगा. किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के पास यह रास्ता है कि वह रेसिप्रोसिटी के सिद्धांत पर काम करें वह अधिकार हमारे पास भी है.