Bihar Elections / कैसे खुलती है EVM, कैसे गिने जाते हैं वोट, जानें सारी प्रक्रिया, नियम और शर्तें

बिहार विधानसभा चुनाव समेत 10 राज्यों की 58 विधानसभा सीटों पर और बिहार की वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर उप-चुनाव की मतगणना होने जा रही है। बिहार चुनाव पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटिंग के कारण अब काउटिंग की प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है और रिजल्ट भी दिनभर के अंदर ही फाइनल हो रहे हैं।

Vikrant Shekhawat : Nov 10, 2020, 08:31 AM
पटना | बिहार विधानसभा चुनाव समेत 10 राज्यों की 58 विधानसभा सीटों पर और बिहार की वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर उप-चुनाव की मतगणना होने जा रही है। बिहार चुनाव पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटिंग के कारण अब काउटिंग की प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है और रिजल्ट भी दिनभर के अंदर ही फाइनल हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर काउंटिंग की प्रक्रिया क्या है...

14 काउंटिंग टेबल, एक राउंड में 14 ईवीएम

नियम-कानून के मुातबिक, उम्मीदवारों और उनके एजेंट्स की उपस्थिति में वोट की गिनती निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग अफसर की देखरेख में होती है। वोटों की गिनती एक या उससे अधिक जगह पर या फिर एकसाथ एक ही स्थान पर की जा सकती है। वोटिंग सेंटर पर 14 काउंटिंग टेबल बनाए जाते हैं और एक बार में ज्यादा से ज्यादा 14 EVM के वोटों की गिनती की जाती है। प्रत्येक उम्मीदवार अपनी पार्टी के हितों की रक्षा के लिए और निगरानी के लिए काउंटिंग एजेंट नियुक्त करता है।

चुनिंदा लोगों को ही प्रवेश

जिस जगह वोटों की गिनती हो रही होती है, यानी काउंटिंग सेंटर पर सिर्फ रिटर्निंग अफसर, संबंधित चुनाव एजेंट् के साथ उम्मीदवार, काउंटिंग एजेंट, ड्यूटी पर नियुक्‍त सरकारी कर्मचारी और अधिकृत चुनाव आयोग के एजेंट्स को ही आने-जाने की अनुमति होती है।

पहले डाक मतपत्रों की गिनती

काउंटिंग स्टाफ और एजेंट्स गिनती शुरू होने से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की जांच करते हैं। सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती होती है। इसके 30 मिनट बाद ईवीएम वोटों की गिनती शुरू होती है।

एजेंट्स को मिलता है 2 मिनट का समय

उम्‍मीदवार या उसके एजेंट के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण होता है, राउंड खत्म होने के बाद का दो मिनट। असल में हर राउंड के बाद रिटर्निंग अफसर दो मिनट तक रुकता है। इस दौरान उम्मीदवार या चुनाव एजेंट री-काउंट के लिए कह सकता है। इसके बाद आरओ यह निर्णय लेता है कि अनुरोध मान्य है या नहीं और उसके अनुसार काम होता है। यानी यदि उम्‍मीदवार के एजेंट ने संतुष्‍ट‍ि जाहिर की तो वोटिंग आगे बढ़ेगी, अन्‍यथा री-काउंट किया जाएगा।

एक बार शुरू हुई तो खत्‍म होने के बाद ही चैन

सही गिनती के फैसले के बाद आरओ पर्यवेक्षकों की मंजूरी मांगता है कि रिजल्ट घोषित करता है। रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव आयोग और उचित अथॉरिटी को रिजल्ट बताता है। वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू हो जाती है और तब तक चलती है जब ततक कि पूरी तरह खत्म ना हो जाए।

सुरक्षा को लेकर लागू रहते हैं ये नियम

काउंटिंग बूथों पर कई तरह के कड़े कानून और नियम लागू हैं। सुरक्षा के मद्देनजर इन नियमों की भी जानकारी होनी चाहिए...

– काउंटिंग हॉल के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की मनाही होती है।

– सामान्य पर्यवेक्षकों के अलावा, प्रत्येक काउंटिंग टेबल पर एक माइक्रो ऑब्जर्वर नियुक्त किया जाता है।

– काउंटिंग बूथ पर और आसपास तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था होती है।

– काउंटिंग बूथ के अंदर केंद्रीय बल को तैनात किया जाता है।

– बाहरी सर्कल में स्थानीय पुलिस तैनात होती है।

– किसी भी अनधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश को रोकने के लिए बूथ के आसपास अन्य राज्यों के बल तैनात किए जाते हैं।

– काउंटिंग बूथ की एंट्री गेट पर एक वरिष्ठ मजिस्ट्रेट को भी तैनात किया जाता है।

– काउंटिंग बूथ या परिसर के आसपास 100 मीटर क्षेत्र के अंदर किसी भी वाहन का प्रवेश वर्जित होता है।