Elections 2024 / अगर ये राज्य न देते साथ तो बीजेपी 200 से नीचे सिमट जाती

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित हो गए हैं. चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. पिछली बार अकेले अपने दम बहुमत हासिल करने वाली बीजेपी इस बार 250 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है और 240 सीट पर ही सिमट कर रह गई. हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रहा है. एनडीए के हिस्से में 292 सीटें आई हैं. 2019 के आम चुनाव में यह आंकड़ा 352 था और बीजेपी अकेले अपने दम पर 303 सीटें लाई थी.

Vikrant Shekhawat : Jun 05, 2024, 08:40 AM
Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित हो गए हैं. चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. पिछली बार अकेले अपने दम बहुमत हासिल करने वाली बीजेपी इस बार 250 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है और 240 सीट पर ही सिमट कर रह गई. हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रहा है. एनडीए के हिस्से में 292 सीटें आई हैं. 2019 के आम चुनाव में यह आंकड़ा 352 था और बीजेपी अकेले अपने दम पर 303 सीटें लाई थी.

इस बार के चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान उत्तर प्रदेश, बंगाल, राजस्थान और हरियाणा में हुआ है. उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में बीजेपी को 33 सीटें मिली हैं जबकि 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा 64 था. यही हाल बंगाल में भी देखने को मिला है, जहां बीजेपी इस बार 12 सीटों पर सिमट कर रह गई है जबकि पिछले चुनाव में 17 सीटें जीती थी. राजस्थान में बीजेपी 10 सीटों के नुकसान के बाद 14 सीटों पर आ गई है. हरियाणा की 10 सीटों में से इस बार 5 ही जीत पाई है जबकि पिछली बार 10 की 10 सीटों पर जीत मिली थी.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का आखिरी किला भी ढहा

जहां तक साथ देने की बात है तो इस बार के चुनाव में मध्य प्रदेश की जनता ने बीजेपी का भरपूर साथ दिया है. बीजेपी ने राज्य की 29 में से 29 सीटों पर जीत हासिल की है. यहां छिंदवाड़ा में कमलनाथ का सियासी किला भी ढह गया. 2019 के चुनाव में बीजेपी को यहां 28 सीटें मिली थी, लेकिन छिंदवाड़ा में हार का सामना करना पड़ा था. इस बार बीजेपी ने कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में भी भगवा लहरा दिया है. मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा कांग्रेस का आखिरी किला था जो इस बार ढह गया. बीजेपी के बंटी साहू ने पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को एक लाख से अधिक वोटों से मात दे दिया.

छत्तीसगढ़ियों ने भी निराश नहीं किया

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 10 को अपने पाले में करने में सफल रही है. कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेश बघेल को भी हार का सामना करना पड़ा है. पूर्व सीएम को बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने 44 हजार से अधिक वोटों से पटखनी दी है. कांग्रेस को केवल कोरबा की सीट पर जीत मिली है. कांग्रेस ने यहां से नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को उम्मीदवार घोषित किया था. 2019 के चुनाव में बीजेपी को यहां 9 सीट मिली थी.

गुजरात में नुकसान कम लेकिन फायदा ज्यादा

हमेशा की तरह इस बार भी गुजरात की जनता ने बीजेपी को निराश नहीं किया. बीजेपी यहां की 26 में से 25 सीट जीतने में सफल रही है. हालांकि, इस बार उसे एक सीट का नुकसान हुआ. बांसकाठा की सीट इस बार कांग्रेस के हिस्से में चली गई है और जेनीबेन ठाकोर को जीत मिली है. गुजरात की सूरत लोकसभा सीट बीजेपी वोटिंग से पहले ही जीत चुकी थी. गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य भी है और बीजेपी का गढ़ भी.

ओडिशा में बंपर सीट

ओडिशा के लोगों ने भी इस बार बीजेपी का भरपूर साथ दिया है. ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 20 पर जीत हासिल करने में सफल रही है. बीजेपी को इस बार 45 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं, जबकि ओडिशा को नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजेडी का गढ़ कहा जाता था. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 8 सीटें मिली थीं. इस तरह से देखें तो इस बार उसे सीधे-सीधे 13 सीटों का फायदा हुआ है.

दिल्ली में भी क्लीन स्वीप

दिल्ली की जनता ने भी बीजेपी और मोदी का भरपूर साथ दिया है. बीजेपी यहां एक बार अपने प्रदर्शन को दोहराने में सफल रही है. बीजेपी ने दिल्ली की सात की सात सीट पर जीत दर्ज की है. एक तरह से इस बार भी विपक्षी दलों का यहां सूपड़ा साफ हो गया है. इसी तरह से हिमाचल में भी 4 की 4 सीट जीतने में सफल रही है. उत्तराखंड में भी बीजेपी ने एक बार फिर से अपने प्रदर्शन को दोहराया और पांच की पांचों सीट पर जीत दर्ज की है. वहीं, अरुणाचल प्रदेश की 2 की दोनों सीटें एक बार फिर से बीजेपी की झोली में आ गई हैं.

इस तरह से देखें तो अगर ये राज्य बीजेपी के साथ खड़े नहीं रहते तो लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर सियासी समीकरण कुछ और होते. ओडिशा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात उत्तराखंड जैसे राज्य बीजेपी के साथ खड़े नहीं रहते तो शायद पार्टी 200 सीट से नीचे पर सिमट जाती.