देश / करतारपुर साहिब कॉरिडोर 17 नवंबर से फिर खुलेगा

केंद्र सरकार ने मार्च 2020 को कोविड-19 महामारी के चलते बंद हुए करतारपुर साहिब कॉरिडोर को 17 नवंबर (बुधवार) से दोबारा खोलने का फैसला किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "19 नवंबर को गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के इस फैसले से देशभर में हर्षोल्लास और बढ़ेगा।"

Vikrant Shekhawat : Nov 16, 2021, 03:03 PM
नई दिल्ली: गुरु पर्व से ठीक पहले सिख समुदाय के श्रद्धालुओं के लिए मोदी सरकार ने अच्छी खबर दी है। गुरु पर्व को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने कल यानी 17 नवंबर से करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोलने का फैसला किया है। खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह खुशखबरी दी है और कहा है कि इससे बड़ी संख्या में सिख तीर्थयात्रियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय श्री गुरु नानक देव जी और हमारे सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है।गौरतलब है कि करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में किया था।

दरअसल, बीते दिनों पंजाब के भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और गुरुद्वारा करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की मांग की थी। प्रतिनिधिमंडल ने 19 नवंबर को गुरु नानक जयंती से पहले इस कॉरिडोर को खोलने का आग्रह किया था, ताकि श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारे में जाकर मत्था टेक सकें। प्रधानमंत्री से मिलने वाले भाजपा प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह, महासचिव तरुण चुग और दुष्यंत गौतम समेत एक दर्जन नेता शामिल थे।  बता दें कि यह कॉरिडोर कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से ही बंद है।

अगर सियासी नजरिए से देखें तो पंजाब के विधानसभा चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। बीते दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी कि करतार कॉरिडोर को फिर से खोला जाए। उन्होंने पीएम से गुजारिश की थी कि इस महीने सिख गुरु नानक देव की जयंती और प्रकाश पर्व को देखते हुए करतार कॉरिडोर को फिर से खोला जाए। पिछले महीने मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को खत लिख कर कहा था कि श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा घूमने की इजाजत दी जाए। 

कब हुआ था कॉरिडोर का उद्घाटन

इस कॉरिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर, 2019 को किया गया था। अगस्त के महीने में पाकिस्तान ने भारत समेत 11 देशों की यहां यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था। डेल्टा वैरिएंट के प्रकोप की वजह से पाकिस्तान ने 22 मई से लेकर 12 अगस्त तक भारत को 'सी' कैटेगरी में डाल दिया था। 16 मार्च, 2020 को भारत और पाकिस्तान ने कोविड-19 को देखते हुए अस्थाई तौर पर करतारपुर साहिब की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था।

सिख समुदाय के लिए क्यों खास है करतारपुर गुरुद्वारा

पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब सिखों के लिए सबसे पवित्र स्थान है। यह भारतीय सीमा से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। सिखों के गुरु नानक जी ने करतारपुर को बसाया था और यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली थी। करतारपुर साहिब, पाकिस्‍तान के नारोवाल जिले में है जो पंजाब मे आता है। कहा जाता है कि गुरुनानक देव ने यहां अपने जीवन के 17 साल बिताए थे। करतारपुर गुरुद्वारा साहिब का निर्माण 1,35,600 रुपए की लागत में किया गया था। यह राशि पटियाला के महाराजा सरदार भूपिंदर सिंह ने दी थी। 1995 में पाकिस्तान सरकार ने इसकी मरम्मत कराई थी और 2004 में इसे पूरी तरह से संवारा गया। कहा जाता है कि यही से सबसे पहले लंगर की शुरुआत हुई थी। नानकदेव ने गुरु का लंगर ऐसी जगह बनाई जहां बिना भेदभाव के पुरूष और महिला दोनों साथ में भोजन करते हैं।