Vikrant Shekhawat : Dec 22, 2020, 08:35 PM
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की ओर से संसद भंग किए जाने के बाद राजनीतिक हलचल तेज है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी टूट की ओर बढ़ चली है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के नेतृत्व वाले खेमे ने ओली को सह अध्यक्ष पद से हटाते हुए माधव कुमार नेपाल को यह जिम्मेदारी दी है। प्रचंड गुट की सेंट्रल कमिटी की बैठक में यह फैसला किया है। प्रचंड और नेपाल अब पीएम केपी शर्मा ओली के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं। इस बीच, दोनों ही खेमों ने पार्टी की मान्यता और चुनाव चिन्ह को अपने पास रखने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।नेपाल के प्रमुख न्यूज वेबसाइट काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल कमिटी के सदस्य रेखा शर्मा ने कहा, ''पार्टी के खिलाफ जाने की वजह से ओली को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। अब दहल और नेपाल पार्टी बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।'' बैठक में मौजूद नेताओं के मुताबिक, बुधवार को निर्धारित संसदीय बैठक में दहल को संसदीय दल का नेता चुना जा सकता है।पार्टी की सभी समितियों में बहुमत वाले दहल-नेपाल खेमे ने ओली के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया है। हालांकि, इस बीच ओली ने कहा है कि वह किसी भी नेता के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेंगे। इससे पहले ओली गुट ने नारायण काजी श्रेष्ठा को पार्टी के प्रवक्ता पद से हटाते हुए प्रदीप ज्ञावली को नया प्रवक्ता घोषित किया गया था। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने टूट की ओर बढ़ रही सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से मंगलवार को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।इस बीच, पार्टी में ओली के प्रतिद्वंद्वी खेमे ने भी पार्टी विभाजन की घोषणा करने की तैयारी कर ली है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सत्तारूढ़ दल के दो प्रमुखों में से एक ओली ने अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी की केंद्रीय समिति के अपने करीबी सदस्यों के साथ बैठक के दौरान नई समिति की घोषणा की।ओली ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को आश्चर्यचकित करते हुए रविवार को राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश कर दी और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई। ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ''प्रचंड के बीच सत्ता के लिए लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बीच यह कदम उठाया गया।'माई रिपब्लिका' की रिपोर्ट के मुताबिक, ओली ने केंद्रीय समिति में अपना बहुमत प्राप्त करने के लिए यह कदम उठाया है। नवगठित समिति में सत्तारूढ़ पार्टी की मौजूदा 446 सदस्यीय केंद्रीय समिति में 556 और सदस्यों को जोड़ा गया है। अपने खेमे के केंद्रीय समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए ओली ने कहा कि अगर कुछ नेता छोड़कर चले भी जाते हैं तो इससे पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।बैठक में उन्होंने काठमांडू में अगले वर्ष 18-23 नवंबर तक आम सभा के आयोजन का प्रस्ताव रखा। इससे पहले यह आयोजन 7-12 अप्रैल 2021 को होना तय था। ओली द्वारा नई समिति के गठन की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब सत्तारूढ़ दल का प्रतिद्वंद्वी खेमा भी पार्टी विभाजन की औपचारिक घोषणा करने की तैयारी में है।