देश / संसद में कानून बनाते समय ठीक से चर्चा नहीं होती: सीजेआई एन.वी. रमणा

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमणा ने रविवार को कहा कि संसद में कानून बनाते समय ठीक से चर्चा नहीं होती है। उन्होंने कहा, "इससे अदालतों में बहुत सारी मुकदमेबाज़ी होती है। गुणवत्तापूर्ण बहस के अभाव में (हम) नए कानून के पीछे की मंशा और उद्देश्य समझने में असमर्थ होते हैं।" उन्होंने वर्तमान स्थिति को 'एक खेदजनक स्थिति' करार दिया है।

Vikrant Shekhawat : Aug 15, 2021, 02:24 PM
नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक ध्वजारोहण समारोह में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने अपने संबोधन में बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कानून बनाते समय संसद में गुणवत्तापूर्ण बहस का अभाव है। जिसके कारण मुकदमेबाजी बढ़ रही हैं और अदालतें, गुणवत्तापूर्ण बहस के अभाव में, नए कानून के पीछे की मंशा और उद्देश्य की थाह लेने में असमर्थ हैं। 

सीजेआई ने कहा कि यदि आप उन दिनों सदनों में होने वाली बहसों को देखें, तो वे बहुत बुद्धिमानी भरा और रचनात्मक हुआ करते थे, साथ ही वे जो भी कानून बनाते थे उस पर बहस करते थे। लेकिन अब वह स्थिति नहीं रही। इसकी वजह से हम कानूनों में कई खामियां और अस्पष्टता देखते हैं।

उन्होंने कहा कि कानूनों में कोई स्पष्टता नहीं है। हम नहीं जानते कि कानून किस उद्देश्य से बनाए गए हैं। यह सरकार के लिए बहुत सारे मुकदमेबाजी, असुविधा और नुकसान के साथ-साथ जनता को असुविधा पैदा कर रहा है। अगर सदनों में बुद्धिजीवी और वकील जैसे पेशेवर न हों तो ऐसा ही होता है।