Chandra Grahan 2021 / क्या होता है उपछाया ग्रहण? जानिए कैसा होगा 26 मई को लगने वाले चंद्र ग्रहण का असर

26 मई को इस साल का सबसे पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा। खास बात यह है कि यह चंद्र ग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन भारत में यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण के रूप में ही दिखाई देगा। भारतीय समय के अनुसार, 26 मई को पड़ने वाला चंद्र ग्रहण दोपहर 2:17 मिनट पर शुरू होगा और 7:19 बजे तक खत्म होगा।

Vikrant Shekhawat : May 24, 2021, 11:10 PM
Lunar Eclipse 2021 Date And Timing In India:  26  मई को इस साल का सबसे पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा। खास बात यह है कि यह चंद्र ग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन भारत में यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण के रूप में ही दिखाई देगा। 

किस समय लगेगा चंद्र ग्रहण?

भारतीय समय के अनुसार, 26 मई को पड़ने वाला चंद्र ग्रहण दोपहर 2:17 मिनट पर शुरू होगा और  7:19 बजे तक खत्म होगा। 

क्या इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल लगेगा?

इस बार भारत में चंद्र ग्रहण उपछाया की तरह ही दिखेगा। इस वजह से सूतक काल मान्य नहीं होगा, यही वजह है कि इस चंद्र ग्रहण में देश के मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं किए जाएंगे और शुभ कार्यों पर भी रोक नहीं होगी।   

कितने प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण?

चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं

- पूर्ण चंद्र ग्रहण

- आंशिक चंद्र ग्रहण

- उपछाया चंद्र ग्रहण

उपछाया ग्रहण क्या होते है?

पूर्ण और आंशिक ग्रहण के अलावा एक उपछाया  ग्रहण भी होता है। चंद्रमा जब पृथ्वी की वास्तविक छाया में नहीं आता है और उसकी उपछाया से ही बाहर निकल जाता है, ऐसे ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहते हैं। उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। इस ग्रहण में चंद्रमा के रंग और आकार में भी कोई बदलाव नहीं होता है।  हालांकि, इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। 

बता दें कि कोई भी चन्द्र ग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है, जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है। जिसे उपच्छाया कहते हैं। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे अतः इसे ग्रहण नहीं कहा जाएगा।

कैसे लगता है ग्रहण?

यह एक खगोलीय घटना है। इस दौरान चंद्रमा और सूरज के बीच पृथ्वी आ जाती है और सूरज की रोशनी चांद पर नहीं पड़ पाती है। ऐसे में पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है। चंद्र ग्रहण को लोग चाहें तो नंगी आंखों से देख सकते हैं लेकिन सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान पहुंच सकता है। 

चंद्र ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

26 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। इसमें ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं होती है, हालांकि थोड़ी सावधानी रखना जरूरी होता है और साथ ही ग्रहण के नियमों का पालन भी करना चाहिए।