Vikrant Shekhawat : Jun 29, 2021, 04:10 PM
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) के लिए टीकाकरण के नियमों में संशोधन किया है। नए नियमों के बाद गर्भवती महिलाएं भी कोरोना वायरस (Coronavirus) का टीका लगवा सकेंगी। माना जा रहा था कि इस बारे में पर्याप्त डाटा उपलब्ध ना होने की वजह से सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण कार्यक्रम (Vaccination Drive) को हरी झंडी नहीं दे रही थी। लेकिन, अब आमतौर पर यह सहमति दिख रही है कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते गर्भवती महिलाओं में गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं।
नहीं। केंद्र सरकार की ओर से जारी एक दस्तावेज में बताया गया है कि 90 प्रतिशत से अधिक संक्रमित गर्भवती महिलाएं घर पर ही ठीक हो जाती हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन कुछ महिलाओं के स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट आ सकती है और इससे भ्रूण भी प्रभावित हो सकता है। इसमें कहा गया, ‘‘इसलिए यह सलाह दी जाती है कि एक गर्भवती महिला को कोविड-19 टीका लगवाना चाहिए।
दस्तावेज में कहा गया है कि गर्भावस्था के कारण कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा नहीं बढ़ता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन गर्भवती महिलाओं में संक्रमण के लक्षण होते हैं, उनके गंभीर रूप से बीमार होने और उनकी मौत होने का खतरा अधिक होता है। गंभीर रूप से बीमार होने पर अन्य सभी रोगियों की तरह गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने दस्तावेज में कहा है कि खतरे को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को भी उन्हीं गाइडलाइन का पालन करना चाहिए, जिसका पालन अन्य लोग कर रहे हैं। इसमें टीका लगवाना भी शामिल है। टीकाकरण बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत अहम है। मंत्रालय ने कहा है कि संक्रमित पाई गई 95 प्रतिशत मांओं के नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य जन्म के समय बिल्कुल सही था। कुछ मामलों में, गर्भावस्था में संक्रमण के कारण समय से पहले प्रसव की आशंका बढ़ सकती है, शिशु का वजन 2।5 किलोग्राम से कम हो सकता है और दुर्लभ स्थितियों में, जन्म से पहले बच्चे की मौत हो सकती है।
मंत्रालय ने तथ्य-पत्र में कहा गया है कि मोटापे और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहीं और 35 वर्ष से अधिक उम्र की गर्भवती महिलाओं के गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। दस्तावेज में कहा गया है कि अग्रिम मोर्चे के कर्मियों या टीकाकरण करने वाले कर्मियों को गर्भवती महिलाओं को टीकों की उपलब्धता, उसकी महत्ता और सावधानियों के बारे में सलाह देने की आवश्यकता है। उपलब्ध कोविड-19 टीके सुरक्षित हैं और टीकाकरण गर्भवती महिलाओं को अन्य व्यक्तियों की तरह संक्रमण से बचाता है। किसी भी अन्य दवा की तरह, इस टीके के भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जो सामान्य रूप से मामूली होते हैं।इसमें कहा गया है कि टीका लगवाने के बाद गर्भवती महिला को हल्का बुखार, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द या एक से तीन दिनों तक अस्वस्थता महसूस हो सकती है। ‘‘बहुत कम (एक से पांच लाख व्यक्तियों में से किसी एक गर्भवती महिला को) गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के 20 दिनों के भीतर कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं, जिन पर ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता हो सकती है।’’बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के चलते गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की सिफारिश की जा रही है। आईसीएमआर ने अपने अध्ययन में पाया है कि दूसरी लहर के दौरान गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की दर 28.7 फीसदी थी, जबकि पहली लहर के दौरान यह 14.2 फीसदी थी। इसके साथ दूसरी लहर में मृत्यु दर जहां 5.7 फीसदी थी, वहीं पहली लहर के दौरान मृत्यु दर 0.7 फीसदी थी।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, "ऐसी स्थितियों में जब देश में संक्रमण बहुत ज्यादा हो और महिला को संक्रमण हो जाए या फिर महिलाएं ऐसे प्रोफेशन में हों, जैसे हेल्थकेयर वर्कर या फ्रंटलाइन वर्कर, जहां संक्रमण का खतरा बहुत होता है। ऐसी स्थिति में वैक्सीन लगवाने से संक्रमण के गंभीर होने का खतरा टल जाता है।"
गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण में देरी क्यों?दुनिया भर के ज्यादातर देशों में गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण कार्यक्रम को शुरू करने में देरी देखने को मिली है। ऐसा इसलिए भी हुआ कि कोविड-19 वैक्सीन के ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल में गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के कोविड मैटर्नल इम्युनाइजेशन ट्रैकर के मुताबिक प्रेग्नेंट महिलाओं को वैक्सीन लगाने संबंधी डाटा का अभाव टीकाकरण के देर से शुरू होने की वजह है। यूनिवर्सिटी ने कहा है कि ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल में गर्भवती और स्पनपान करा रही महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था।Federation of Obstetric and Gynaecological Societies of India (FOGSI) ने अमेरिका में हुए एक अध्ययन के हवाले से कहा है कि गर्भवती महिलाओं में वैक्सीन का प्रभाव, आम लोगों की तरह देखने को मिला है। टीकाकरण के बाद गर्भवती महिला के शरीर में मजबूत इम्यून रेस्पांस पैदा हुआ और यह सामान्य आबादी के बराबर था। अध्ययन में यह भी पाया गया कि भ्रूण से जुड़ी नाल और ब्रेस्ट मिल्क में भी एंटीबॉडीज पाए गए हैं, जो भ्रूण और शिशु को सुरक्षा प्रदान करते हैं। 131 महिलाओं वाले इस अध्ययन में गर्भवती महिलाओं को mRNA वैक्सीन दी गई थी।अमेरिका में फाइजर-बायोएनटेक के साथ मॉडर्ना की वैक्सीन का इस्तेमाल टीकाकरण के लिए किया जा रहा है।
नहीं। केंद्र सरकार की ओर से जारी एक दस्तावेज में बताया गया है कि 90 प्रतिशत से अधिक संक्रमित गर्भवती महिलाएं घर पर ही ठीक हो जाती हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन कुछ महिलाओं के स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट आ सकती है और इससे भ्रूण भी प्रभावित हो सकता है। इसमें कहा गया, ‘‘इसलिए यह सलाह दी जाती है कि एक गर्भवती महिला को कोविड-19 टीका लगवाना चाहिए।
दस्तावेज में कहा गया है कि गर्भावस्था के कारण कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा नहीं बढ़ता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन गर्भवती महिलाओं में संक्रमण के लक्षण होते हैं, उनके गंभीर रूप से बीमार होने और उनकी मौत होने का खतरा अधिक होता है। गंभीर रूप से बीमार होने पर अन्य सभी रोगियों की तरह गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने दस्तावेज में कहा है कि खतरे को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को भी उन्हीं गाइडलाइन का पालन करना चाहिए, जिसका पालन अन्य लोग कर रहे हैं। इसमें टीका लगवाना भी शामिल है। टीकाकरण बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत अहम है। मंत्रालय ने कहा है कि संक्रमित पाई गई 95 प्रतिशत मांओं के नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य जन्म के समय बिल्कुल सही था। कुछ मामलों में, गर्भावस्था में संक्रमण के कारण समय से पहले प्रसव की आशंका बढ़ सकती है, शिशु का वजन 2।5 किलोग्राम से कम हो सकता है और दुर्लभ स्थितियों में, जन्म से पहले बच्चे की मौत हो सकती है।
मंत्रालय ने तथ्य-पत्र में कहा गया है कि मोटापे और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहीं और 35 वर्ष से अधिक उम्र की गर्भवती महिलाओं के गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। दस्तावेज में कहा गया है कि अग्रिम मोर्चे के कर्मियों या टीकाकरण करने वाले कर्मियों को गर्भवती महिलाओं को टीकों की उपलब्धता, उसकी महत्ता और सावधानियों के बारे में सलाह देने की आवश्यकता है। उपलब्ध कोविड-19 टीके सुरक्षित हैं और टीकाकरण गर्भवती महिलाओं को अन्य व्यक्तियों की तरह संक्रमण से बचाता है। किसी भी अन्य दवा की तरह, इस टीके के भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जो सामान्य रूप से मामूली होते हैं।इसमें कहा गया है कि टीका लगवाने के बाद गर्भवती महिला को हल्का बुखार, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द या एक से तीन दिनों तक अस्वस्थता महसूस हो सकती है। ‘‘बहुत कम (एक से पांच लाख व्यक्तियों में से किसी एक गर्भवती महिला को) गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के 20 दिनों के भीतर कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं, जिन पर ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता हो सकती है।’’बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के चलते गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की सिफारिश की जा रही है। आईसीएमआर ने अपने अध्ययन में पाया है कि दूसरी लहर के दौरान गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की दर 28.7 फीसदी थी, जबकि पहली लहर के दौरान यह 14.2 फीसदी थी। इसके साथ दूसरी लहर में मृत्यु दर जहां 5.7 फीसदी थी, वहीं पहली लहर के दौरान मृत्यु दर 0.7 फीसदी थी।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, "ऐसी स्थितियों में जब देश में संक्रमण बहुत ज्यादा हो और महिला को संक्रमण हो जाए या फिर महिलाएं ऐसे प्रोफेशन में हों, जैसे हेल्थकेयर वर्कर या फ्रंटलाइन वर्कर, जहां संक्रमण का खतरा बहुत होता है। ऐसी स्थिति में वैक्सीन लगवाने से संक्रमण के गंभीर होने का खतरा टल जाता है।"
गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण में देरी क्यों?दुनिया भर के ज्यादातर देशों में गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण कार्यक्रम को शुरू करने में देरी देखने को मिली है। ऐसा इसलिए भी हुआ कि कोविड-19 वैक्सीन के ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल में गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के कोविड मैटर्नल इम्युनाइजेशन ट्रैकर के मुताबिक प्रेग्नेंट महिलाओं को वैक्सीन लगाने संबंधी डाटा का अभाव टीकाकरण के देर से शुरू होने की वजह है। यूनिवर्सिटी ने कहा है कि ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल में गर्भवती और स्पनपान करा रही महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था।Federation of Obstetric and Gynaecological Societies of India (FOGSI) ने अमेरिका में हुए एक अध्ययन के हवाले से कहा है कि गर्भवती महिलाओं में वैक्सीन का प्रभाव, आम लोगों की तरह देखने को मिला है। टीकाकरण के बाद गर्भवती महिला के शरीर में मजबूत इम्यून रेस्पांस पैदा हुआ और यह सामान्य आबादी के बराबर था। अध्ययन में यह भी पाया गया कि भ्रूण से जुड़ी नाल और ब्रेस्ट मिल्क में भी एंटीबॉडीज पाए गए हैं, जो भ्रूण और शिशु को सुरक्षा प्रदान करते हैं। 131 महिलाओं वाले इस अध्ययन में गर्भवती महिलाओं को mRNA वैक्सीन दी गई थी।अमेरिका में फाइजर-बायोएनटेक के साथ मॉडर्ना की वैक्सीन का इस्तेमाल टीकाकरण के लिए किया जा रहा है।