राजस्थान के बारां जिले के अंता में एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) की टीम ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है, जिसमें सीसवाली तहसील में तैनात नायब तहसीलदार बाबूलाल गोचर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और कदम बढ़ाया है, जो सरकारी कर्मचारियों की नैतिकता को चुनौती देता है।
मामला क्या है?
नायब तहसीलदार बाबूलाल गोचर को गिरिराज गोचर नामक व्यक्ति से 10,000 रुपये की रिश्वत मांगते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। गिरिराज ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे सीसवाली कस्बे में स्थित अपनी दुकान को तोड़ने के लिए नोटिस मिला है। इसके साथ ही, उसे यह भी धमकी दी गई थी कि यदि वह कार्रवाई नहीं करता है, तो उसकी दुकान को जेसीबी से गिरा दिया जाएगा। परेशान होकर गिरिराज ने नायब तहसीलदार से सहायता मांगी।
सौदा 8,000 रुपये में तय
एसीबी बारां के DYSP प्रेमचंद मीना ने जानकारी दी कि बाबूलाल गोचर ने पहले 10,000 रुपये की मांग की, लेकिन बातचीत के बाद सौदा 8,000 रुपये में तय हुआ। इसके बाद एसीबी ने योजना बनाई और गिरिराज को बताया कि वह रिश्वत की रकम लेकर मंगलवार को गोचर के घर पर जाएगा।
एसीबी की कार्रवाई
8 अक्टूबर को गिरिराज की शिकायत के सत्यापन के बाद, एसीबी ने यह सुनिश्चित किया कि बाबूलाल गोचर ने रिश्वत की रकम लेने की बात स्वीकार की थी। मंगलवार को गिरिराज ने जब गोचर के घर पर पहुंचा, तब एसीबी की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें 8,000 रुपये की रकम के साथ गिरफ्तार कर लिया।
निष्कर्ष
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में एसीबी की टीम कितनी गंभीर है। नायब तहसीलदार बाबूलाल गोचर की गिरफ्तारी न केवल सरकारी तंत्र में पारदर्शिता की ओर एक कदम है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी चेतावनी है जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसी कार्रवाइयों से आम जनता का विश्वास सरकारी तंत्र में बढ़ता है और यह आशा जगाता है कि भ्रष्टाचार का अंत संभव है।