AMAR UJALA : Nov 24, 2019, 10:04 AM
21 साल के मयंक प्रताप सिंह, न्यायिक सेवा परीक्षा 2018 पास करन के साथ ही भारत के सबसे युवा जज बन गए हैं। मयंक राजस्थान के जयपुर शहर के रहने वाले हैं। मयंक प्रताप सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि मैं हमेशा न्यायिक सेवाओं और समाज में न्यायाधीशों को मिलने वाले सम्मान के प्रति आकर्षित रहा हूं।मयंक प्रताप सिंह ने बताया है कि उन्होंने जीवन में कभी अपना फेसबुक अकाउंट नहीं बनाया और परीक्षा के दौरान बाकी सोशल मीडिया अकाउंट भी डीऐक्टिवेट कर दिए थे। उन्होंने कहा, "मैंने नियमित रूप से 6-8 घंटे पढ़ाई की और कई बार 12 घंटे तक भी पढ़ा।"
मंयक ने साल 2014 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में पांच साल के एलएलबी कोर्स में दाखिला लिया था, जो इसी साल पूरा हुआ है। उन्होंने बताया कि मैं अपनी सफलता पर बहुत गर्व महसूस करता हूं। मेरे परिवार, शिक्षकों, शुभ-चिंतकों और सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं। मयंक अब लॉ की पढ़ाई करने वाले अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा बनेंगे।बता दें, साल 2018 तक न्यायिक सेवा परिक्षाओं में आवेदन करने की न्यूनतम उम्र 23 साल थी। साल 2019 में राजस्थान हाई कोर्ट ने आवेदकों की आयु सीमा घटाकर 21 वर्ष कर दी थी। मयंक ने बताया कि परीक्षा में बैठने की उम्र घटने के कारण ही मैं इस एग्जाम में बैठ पाया। अब मुझे लगता है कि इस मौके से मैं समय से पहल काफी चीजें सीख पाऊंगा।सोशल मीडिया पर लगातार मंयक को बधाईयां मिल रही हैं। लोग मंयक की फोटो शेयर कर बधाई संदेश लिख रहें है। मयंक ने बहुत कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली है। वे युवाओं के लिए प्रेरणा साबित होंगे। उन्होंने पहले ही प्रयास में न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर ली है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्रेजुएशन अंतिम परीक्षा के दो महीने बाद ही मंयक ने न्यायिक सेवा परीक्षा दी और सफलता हासिल कर ली।परीक्षा के बाद 9 नवंबर को मयंक का साक्षात्कार हुआ था। जिसमें सबरीमाला से जुड़े प्रश्न पूछे गए थे। मयंक बताया कि वह अपनी सफलता के प्रति आश्वस्त थे। लेकिन उन्होंने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पहली रैंक हासिल कर लेंगे। अब यह एक रिकॉर्ड बन गया है। मयंक ने कहा कि वह पूरी ईमानदारी से न्यायिक सेवा देंगे।
मंयक ने साल 2014 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में पांच साल के एलएलबी कोर्स में दाखिला लिया था, जो इसी साल पूरा हुआ है। उन्होंने बताया कि मैं अपनी सफलता पर बहुत गर्व महसूस करता हूं। मेरे परिवार, शिक्षकों, शुभ-चिंतकों और सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं। मयंक अब लॉ की पढ़ाई करने वाले अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा बनेंगे।बता दें, साल 2018 तक न्यायिक सेवा परिक्षाओं में आवेदन करने की न्यूनतम उम्र 23 साल थी। साल 2019 में राजस्थान हाई कोर्ट ने आवेदकों की आयु सीमा घटाकर 21 वर्ष कर दी थी। मयंक ने बताया कि परीक्षा में बैठने की उम्र घटने के कारण ही मैं इस एग्जाम में बैठ पाया। अब मुझे लगता है कि इस मौके से मैं समय से पहल काफी चीजें सीख पाऊंगा।सोशल मीडिया पर लगातार मंयक को बधाईयां मिल रही हैं। लोग मंयक की फोटो शेयर कर बधाई संदेश लिख रहें है। मयंक ने बहुत कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली है। वे युवाओं के लिए प्रेरणा साबित होंगे। उन्होंने पहले ही प्रयास में न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर ली है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्रेजुएशन अंतिम परीक्षा के दो महीने बाद ही मंयक ने न्यायिक सेवा परीक्षा दी और सफलता हासिल कर ली।परीक्षा के बाद 9 नवंबर को मयंक का साक्षात्कार हुआ था। जिसमें सबरीमाला से जुड़े प्रश्न पूछे गए थे। मयंक बताया कि वह अपनी सफलता के प्रति आश्वस्त थे। लेकिन उन्होंने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पहली रैंक हासिल कर लेंगे। अब यह एक रिकॉर्ड बन गया है। मयंक ने कहा कि वह पूरी ईमानदारी से न्यायिक सेवा देंगे।