Vikrant Shekhawat : Jan 17, 2021, 01:45 PM
देश की राजधानी में अब कार और मोटरसाइकिल चलाने वालों को कानून तोड़ना महंगा पड़ेगा। कार में रियर सीट पर बिना सीटबेल्ट पहने बैठने और मोटरसाइकिल को रियरव्यू मिरर (पीछे देखने वाले दर्पण) के बिना चलाने पर पुलिसिया कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। पश्चिमी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस कानून का उल्लंघनक करने वालों की धर पकड़ के लिए 10 दिनों का अभियान चलाने वाली है। ऐसा यात्रियों और सवारियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
अब पश्चिम दिल्ली पुलिस ने कार में रियर सीटबेल्ट और मोटरसाइकिल में रियरव्यू मिरर, इन दोनों चीजों को अनिवार्य कर दिया है। उल्लंघनकर्ताओं को टिकट देकर उनपर जुर्माना लगाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक परिवहन के संयुक्त आयुक्त नरेंद्र होलकर ने कहा, "यह न सिर्फ यातायात अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि घातक दुर्घटनाओं को कम करने के लिए भी है। अधिकांश सवारों को पता नहीं है कि मिरर के बिना बाइक चलाना यातायात नियमों का उल्लंघन है।"
रियरव्यू मिरर बन सकती है जिंदगी और मौत का सवाल
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम की धारा 5 और 7 के अनुसार, सभी वाहनों में पीछे देखने के लिए मिरर होने चाहिए। कई लोग दिखावे के लिए अपनी बाइक से रियरव्यू मिरर को हटा देते हैं। उन्हें लगता है कि रियरव्यू मिरर के बिना मोटरसाइकिल बेहतर दिखती है। लेकिन यह किसी भी लिहाज से अच्छी बात नहीं है। यह जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ सवाल बन सकता है।
बाइक सवार के लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि उसके पीछे क्या है। कभी-कभी लोग लेन बदलने से पहले नहीं देखते हैं जो बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि पीछे से आने वाला व्यक्ति आपको टक्कर मार सकता है।
कुछ लोग बस मुड़ते हैं और यह देखने की कोशिश करते हैं कि क्या कोई पीछे है। यह भी बाइक चलाने के दौरान एक बुरी आदत है, क्योंकि इसके लिए आपको अपनी आँखें सड़क पर हटानी पड़ती हैं जो बहुत खतरनाक हो सकता है।
यदि आपके पास रियरव्यू मिरर है, तो आपको बस रियरव्यू मिरर पर एक नजर डाली है और आपको पता चला जाएगा कि पीछे से क्या आ रहा है। साथ ही आपको यह भी मालूम पड़ जाएगा कि ड्राइविंग के दौरान किस समय लेन बदलना सुरक्षित है या नहीं।
क्यों जरूरी है रियर सीटबेल्ट
दूसरा नियम की बात करें तो अब ट्रैफिक पुलिस यह भी देख रही होगी कि कार में पीछे बैठने वालों ने सीटबेल्ट पहना है या नहीं। मोटर व्हीकल एक्ट, 1988, में कहा गया है, "यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ड्राइवर, और सामने की सीट पर बैठा व्यक्ति या सामने की ओर मुंह कर पीछे की सीटों पर बैठने वाले व्यक्तियों ने चलती गाड़ी में सीट बेल्ट पहना है या नहीं।"
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के मुताबिक सभी मोटर वाहनों के लिए रियर-व्यू मिरर अनिवार्य है। यह कोई नया नियम नहीं है, बल्कि लोग इसे लेकर गंभीर नहीं हैं और ट्रैफिक पुलिस अब तक इसके बारे में इतनी सख्त नहीं थी। हालांकि, अब से ट्रैफिक पुलिस इस नियम का उल्लंघन करने वालों की तलाश करेगी।
कितना होगा जुर्माना
कार में पीछे बैठने वालों ने सीटबेल्ट पहने पर 1000 रुपये का जुर्माना लगेगा। वहीं यदि बाइक में रियरव्यू मिरर नहीं लगाया तो 500 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा।
सिर्फ 7 फीसदी लोग पहनते हैं सीटबेल्ट
निसान इंडिया और सेवलाइफ फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, पीछे की सीट पर बैठने वाले सिर्फ 7 फीसदी लोग सीटबेल्ट पहनते हैं। अध्ययन भारत के 11 प्रमुख शहरों में किया गया था। ऐसा नहीं है कि लोगों को रियर सीट बेल्ट के बारे में पता नहीं है, वे सिर्फ उन्हें पहनते नहीं हैं।
अध्ययन में शामिल 81 फीसदी लोग जानते थे कि पीछे की सीट पर रियर सीटबेल्ट मौजूद होती हैं और दुर्घटना की स्थिति में उनकी रक्षा करने के लिए हैं। सीटबेल्ट पहनना या न पहनना दुर्घटना के दौरान जीवन और मौत का फर्क साबित हो सकता है। NHTSA की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में सीट बेल्ट ने 15,000 लोगों की जान बचाई। दिल्ली के रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने हाल ही में हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेश प्लेट (HSRP) और कलर-कोडेड ईंधन स्टिकर को भी अनिवार्य कर दिया है।
अब पश्चिम दिल्ली पुलिस ने कार में रियर सीटबेल्ट और मोटरसाइकिल में रियरव्यू मिरर, इन दोनों चीजों को अनिवार्य कर दिया है। उल्लंघनकर्ताओं को टिकट देकर उनपर जुर्माना लगाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक परिवहन के संयुक्त आयुक्त नरेंद्र होलकर ने कहा, "यह न सिर्फ यातायात अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि घातक दुर्घटनाओं को कम करने के लिए भी है। अधिकांश सवारों को पता नहीं है कि मिरर के बिना बाइक चलाना यातायात नियमों का उल्लंघन है।"
रियरव्यू मिरर बन सकती है जिंदगी और मौत का सवाल
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम की धारा 5 और 7 के अनुसार, सभी वाहनों में पीछे देखने के लिए मिरर होने चाहिए। कई लोग दिखावे के लिए अपनी बाइक से रियरव्यू मिरर को हटा देते हैं। उन्हें लगता है कि रियरव्यू मिरर के बिना मोटरसाइकिल बेहतर दिखती है। लेकिन यह किसी भी लिहाज से अच्छी बात नहीं है। यह जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ सवाल बन सकता है।
बाइक सवार के लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि उसके पीछे क्या है। कभी-कभी लोग लेन बदलने से पहले नहीं देखते हैं जो बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि पीछे से आने वाला व्यक्ति आपको टक्कर मार सकता है।
कुछ लोग बस मुड़ते हैं और यह देखने की कोशिश करते हैं कि क्या कोई पीछे है। यह भी बाइक चलाने के दौरान एक बुरी आदत है, क्योंकि इसके लिए आपको अपनी आँखें सड़क पर हटानी पड़ती हैं जो बहुत खतरनाक हो सकता है।
यदि आपके पास रियरव्यू मिरर है, तो आपको बस रियरव्यू मिरर पर एक नजर डाली है और आपको पता चला जाएगा कि पीछे से क्या आ रहा है। साथ ही आपको यह भी मालूम पड़ जाएगा कि ड्राइविंग के दौरान किस समय लेन बदलना सुरक्षित है या नहीं।
क्यों जरूरी है रियर सीटबेल्ट
दूसरा नियम की बात करें तो अब ट्रैफिक पुलिस यह भी देख रही होगी कि कार में पीछे बैठने वालों ने सीटबेल्ट पहना है या नहीं। मोटर व्हीकल एक्ट, 1988, में कहा गया है, "यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ड्राइवर, और सामने की सीट पर बैठा व्यक्ति या सामने की ओर मुंह कर पीछे की सीटों पर बैठने वाले व्यक्तियों ने चलती गाड़ी में सीट बेल्ट पहना है या नहीं।"
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के मुताबिक सभी मोटर वाहनों के लिए रियर-व्यू मिरर अनिवार्य है। यह कोई नया नियम नहीं है, बल्कि लोग इसे लेकर गंभीर नहीं हैं और ट्रैफिक पुलिस अब तक इसके बारे में इतनी सख्त नहीं थी। हालांकि, अब से ट्रैफिक पुलिस इस नियम का उल्लंघन करने वालों की तलाश करेगी।
कितना होगा जुर्माना
कार में पीछे बैठने वालों ने सीटबेल्ट पहने पर 1000 रुपये का जुर्माना लगेगा। वहीं यदि बाइक में रियरव्यू मिरर नहीं लगाया तो 500 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा।
सिर्फ 7 फीसदी लोग पहनते हैं सीटबेल्ट
निसान इंडिया और सेवलाइफ फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, पीछे की सीट पर बैठने वाले सिर्फ 7 फीसदी लोग सीटबेल्ट पहनते हैं। अध्ययन भारत के 11 प्रमुख शहरों में किया गया था। ऐसा नहीं है कि लोगों को रियर सीट बेल्ट के बारे में पता नहीं है, वे सिर्फ उन्हें पहनते नहीं हैं।
अध्ययन में शामिल 81 फीसदी लोग जानते थे कि पीछे की सीट पर रियर सीटबेल्ट मौजूद होती हैं और दुर्घटना की स्थिति में उनकी रक्षा करने के लिए हैं। सीटबेल्ट पहनना या न पहनना दुर्घटना के दौरान जीवन और मौत का फर्क साबित हो सकता है। NHTSA की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में सीट बेल्ट ने 15,000 लोगों की जान बचाई। दिल्ली के रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने हाल ही में हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेश प्लेट (HSRP) और कलर-कोडेड ईंधन स्टिकर को भी अनिवार्य कर दिया है।