New Delhi | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज इंडिया ग्लोबल वीक के उद्घाटन सत्र को वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। वर्तमान संकट का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक पुनरुत्थान में अग्रणी भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि यह दो कारकों के साथ नज़दीकी रूप से जुड़ा हुआ है। पहला है - भारतीय प्रतिभा और दूसरा है- भारत की सुधार और कायाकल्प करने की क्षमता। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भारत के प्रतिभा-बल, विशेष रूप से भारतीय प्रौद्योगिकी उद्योग और तकनीकी पेशेवरों के योगदान को अत्यधिक मान्यता दी जाती है।
उन्होंने भारत को प्रतिभा का एक शक्ति-पुंज (पावरहाउस) बताया जो योगदान देने के लिए उत्सुक है। उन्होंने कहा कि सुधार करना देशवासियों की प्रकृति में है और इतिहास बताता है कि भारत ने हर चुनौती पर जीत हासिल की है, चाहे वह सामाजिक हो या आर्थिक।
उन्होंने कहा कि जब भारत पुनरुत्थान की बात करता है तो यह है: देखभाल के साथ पुनरुत्थान, करुणा के साथ पुनरुत्थान, पुनरुत्थान जो पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए सतत है।
प्रधानमंत्री ने पिछले छह वर्षों के दौरान किए गए कार्यों के बारे में बताया, जैसे: सम्पूर्ण वित्तीय समावेशन, आवास और ढांचागत संरचनाओं का रिकॉर्डनिर्माण, कारोबार करने में आसानी, जीएसटी सहित साहसिक कर सुधार आदि।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अदम्य भारतीय भावना के कारण आर्थिक स्थिति में सुधार दिखाई पड़ने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी से आज सरकार को लाभार्थियों तक सीधे लाभ पहुंचाने में मदद मिलती है, जिसमें निःशुल्क रसोई गैस, बैंक खातों में नकदी, लाखों लोगों को मुफ्त अनाज और कई अन्य चीजें शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और देश सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए आमंत्रित कर रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत को विपुल संभावनाओं और अवसरों का देश बताया।
उन्होंने कृषि क्षेत्र में शुरू किए गए विभिन्न सुधारों के बारे में बताया और कहा कि यह वैश्विक उद्योग को एक बहुत ही आकर्षक निवेश अवसर प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवीनतम सुधार एमएसएमईक्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं और वे बड़े उद्योग को सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र और अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश के अवसर मौजूद हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी ने एक बार फिर दिखाया है कि भारत का फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक परिसंपत्ति है। फार्मा उद्योग ने विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए दवाओं की लागत को कम करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर का मतलब स्वयं-संतुष्ट होना या दुनिया के लिए बंद हो जाना नहीं है, बल्कि स्वयं के पोषण करने और स्वयं -उत्पादक होने के बारे में है।
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा भारत है जो सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन कर रहा है। यह एक ऐसा भारत है जो नए आर्थिक अवसर प्रदान कर रहा है। यह एक ऐसा भारत है जो विकास के लिए मानव-केंद्रित और समावेशी दृष्टिकोण अपना रहा है। भारत आप सभी की प्रतीक्षा कर रहा है।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि फोरम पंडित रविशंकर की 100 वीं जयंती मना रहा है, जिन्होंने पूरी दुनिया को भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुंदरता से अवगत कराया। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि अभिवादन के रूप में नमस्ते की वैश्विक पहचान बन गयी है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक कल्याण और समृद्धि को आगे बढ़ाने के उद्देश्य सेसभी संभव कार्य करने के लिए तैयार है।
इंडिया ग्लोबल वीक 2020 में प्रधानमंत्री के उद्घाटन भाषण का मूलपाठ
सभी क्षेत्रों से आए प्रतिष्ठित मेहमानों को नमस्कार। भारत की ओर से मैं आप सबको बधाई देता हूं। मैं इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए इंडिया इंक ग्रुप की तारीफ करता हूं। वर्तमान कार्यक्रम पिछले कुछ वर्षों के दौरान इंडिया इंक द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों का एक हिस्सा है। आपके कार्यक्रमों ने भारत में वैश्विक दर्शकों को बुलाने के अवसर दिलाने में काफी मदद की है। आपने भारत और यूके के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने में मदद की है। मुझे इस बात की खुशी है कि इस साल के आयोजन में दूसरे भागीदारों को भी शामिल किया गया है। इसके लिए आपको एक बार फिर से बधाई। उम्मीद है कि अगले साल आपको सेंटर कोर्ट में होने का अवसर मिलेगा और विंबलडन का आनंद भी मिलेगा।
दोस्तों,
अभी के माहौल में पुनरुत्थान के बारे में बात करना स्वाभाविक है। इसमें वैश्विक पुनरुत्थान और भारत को जोड़ना भी उतना ही स्वाभाविक है। मुझे विश्वास है कि वैश्विक पुनरुत्थान की कहानी में भारत की अग्रणी भूमिका होगी। मैं इसे दो कारकों के साथ बड़ी निकटता से देखता हूं। पहला है- भारतीय प्रतिभा। दुनिया भर मेंआपने भारत की प्रतिभाशक्ति का योगदान देखा है। इसमें भारतीय पेशेवर,डॉक्टर,नर्स,बैंकर,वकील,वैज्ञानिक,प्रोफेसर, हमारे मेहनतकश मजदूर शामिल हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी उद्योग और प्रौद्योगिकी पेशेवरों को भला कौन भूल सकता है। वे दशकों से रास्ता दिखा रहे हैं। भारत प्रतिभा का एक खजाना है,जो योगदान करने के लिए सदा उत्सुक है, हमेशा कुछ सीखने के लिए तैयार है। इसमें दोतरफा तालमेल है जो बहुत फायदेमंद है।
दोस्तों,
दूसरा कारक- सुधार और कायाकल्प करने की भारत की क्षमता है। भारतीय स्वाभाविक तौर पर सुधारक हैं! इतिहास में यह दर्ज है कि भारत ने हर चुनौती को पार किया है,चाहे वह सामाजिक चुनौती हो या आर्थिक। भारत ने ऐसा सुधार और कायाकल्प की भावना के साथ किया है। भारतीयों में ऐसी ही भावना अब भी जारी है।
दोस्तों,
एक तरफ भारत वैश्विक महामारी के खिलाफ एक जबर्दस्त लड़ाई लड़ रहा है। लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही हम अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य पर भी समान रूप से ध्यान दे रहे हैं। जब भारत पुनरुद्धार की बात करता है तो यह देखभाल के साथ पुनरुद्धार, करुणा के साथ पुनरुद्धार की बात करता है।वह पुनरुद्धार जो पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए टिकाऊ हो। हम भारत में उस संस्कृति से संबंध रखते हैंजहां माता के स्वरूप की पूजा सभी करते हैं। भारत में यह माना जाता है कि पृथ्वी हमारी माता है और हम उसके बच्चे हैं।
दोस्तों,
पिछले छह वर्षों के दौरान, भारत ने कुल वित्तीय समावेशन,रिकॉर्ड स्तर परआवास और बुनियादी ढांचागत निर्माण, व्यापार करने को सुगम बनाना (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस),जीएसटी सहित ठोस कर सुधारों,दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य देखभाल पहल- आयुष्मान भारत जैसे क्षेत्रों में महान कार्य संपन्न किए हैं। इन लाभकारी कार्यों ने विकास की पहल के अगले दौर के लिए नींव निर्धारित कर दी है।
दोस्तों,
भारतीयों में जो असंभव माना जाता है उसे हासिल करने की भावना होती है। कोई आश्चर्य नहीं कि भारत में,हम जब आर्थिक सुधार की बात आती है तो पहले से ही ग्रीन-शूट्स की अहमियत समझ रहे हैं। महामारी के इस कठिन समय में,हमने अपने नागरिकों को राहत प्रदान की है और ठोस संरचनात्मक सुधार किए हैं। हम ऐसी अर्थव्यवस्था बना रहे हैं जो अधिक उत्पादक,निवेश के अनुकूल और प्रतिस्पर्धी हो।
हमारे राहत पैकेज को स्मार्ट बनाया गया है और सबसे अधिक गरीबों तक सबसे ज्यादा मदद पहुंचाने को लक्ष्य बनाया गया है। इसके लिए प्रौद्योगिकी को धन्यवाद देता हूं जिसकी बदौलत मदद का प्रत्येक पैसा सीधे लाभार्थियों तक पहुंचा है। राहत में मुफ्त खानापकाने की रसोई गैस,बैंक खातों में नकदी,लाखों लोगों को मुफ्त अनाज और कई अन्य चीजें शामिल हैं। हमने लॉकडाउन खत्म करने के तुरंत बाद ही लाखों श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक कार्यों में से एक कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। यह न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से सक्रिय करेगा,बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी मदद करेगा।
दोस्तों,
भारत दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से अब भी एक बना हुआ है। हम भारत में आने और अपनी कंपनियां स्थापित करने के लिए सभी वैश्विक कंपनियों का स्वागत करते हैं। आज भारत जिस तरह के अवसर दे रहा है, दुनिया के बहुत कम देश ऐसा करेंगे। भारत में विभिन्न उदीयमान क्षेत्रों में कई संभावनाएं और अवसर हैं। कृषि क्षेत्र में हमारे सुधार से भंडारण और रसद में निवेश करने के लिए अभी बहुत ही आकर्षक अवसर हैं। हम अपने किसानों की कड़ी मेहनत वाले क्षेत्र में निवेशकों के सीधे आने और निवेश करने के लिए मौका दे रहे हैं।
दोस्तों,
हमने एमएसएमई क्षेत्र में भी सुधार किए हैं। एक उभरता एमएसएमई क्षेत्र भी बड़े उद्योग का पूरक होगा। रक्षा क्षेत्र में निवेश के अवसर हैं। एफडीआई मानदंडों में राहत के साथ दुनिया की सबसे बड़ी सेना में से एकआपको भारतीय सेना के लिए उत्पाद बनाने को आमंत्रित करती है। अबअंतरिक्ष क्षेत्र में निजी निवेश के अधिक अवसर हैं। इसका मतलब लोगों के हितमें अंतरिक्ष तकनीक के व्यावसायिक उपयोग के अधिक अवसर मिलेंगे। भारत का टेक और स्टार्ट-अप सेक्टर जीवंत है। डिजिटल रूप से सशक्त होने और आकांक्षी लोगों का लाखों का बाजार है। आप कल्पना कीजिए कि आप उनके लिए किस तरह के उत्पाद बना सकते हैं।
दोस्तों,
कोविड महामारी ने एक बार फिर बता दिया कि भारत का फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संपत्ति है। इसने खासकर विकासशील देशों के लिए दवाओं की लागत को कम करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। भारत में बने टीके दुनिया के बच्चों के टीकाकरण की दो-तिहाई जरूरतें पूरी करते हैं। आज भी हमारी कंपनियां कोविड-19 के टीके के विकास और उत्पादन के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। मुझे यकीन है कि एक बार दवा की खोज हो जाने के बाद टीके के विकास और उसके उत्पादन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
दोस्तों,
130 करोड़ भारतीयों ने एक आत्म-निर्भर भारत का आह्वान किया है। एक आत्म-निर्भर भारत। आत्म-निर्भर भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ घरेलू उत्पादन और खपत को एक साथ जोड़ता है। आत्म-निर्भर भारत अपने आप में ही निहित होने या दुनिया के लिए खुद को बंद कर देना नहीं है। यह खुद को टिकाए रखने और बेहतर उत्पादन करने के बारे में है। इसके लिए हम दक्षता,इक्विटी और लचीलापन को बढ़ावा देने वाली नीतियों को आगे बढ़ाएंगे।
दोस्तों,
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि यह मंच पंडित रविशंकरकी 100वीं जयंतीभी मना रहा है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की खूबसूरती को दुनिया तक पहुंचाया। आपने यह भी देखा होगा कि नमस्ते कैसे अभिवादन के रूप में वैश्विक हो गया है। महामारी के इस दौर में दुनिया भर में योग,आयुर्वेद और पारंपरिक दवाओं की बढ़ती अपील को भी देखा गया है। भारत की प्राचीन संस्कृति और भारत की सार्वभौमिकशांतिपूर्ण लोकाचारहमारी ताकत हैं।
दोस्तों,
भारत विश्व की बेहतरी और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए जो कुछ भी कर सकता है, उसे करने के लिए तैयार है। यह एक ऐसा भारत है जो सुधार,प्रदर्शन और परिवर्तन कर रहा है। यह एक ऐसा भारत है जो नए आर्थिक अवसर प्रदान करता है। यह एक ऐसा भारत है जो विकास के लिए मानव-केंद्रित और समावेशी दृष्टिकोण अपना रहा है।
भारत आप सभी का इंतजार करता है
नमस्ते,
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।