Karnataka CM / कर्नाटक में फिर सीएम पद को लेकर सियासी संग्राम, इस बार दो नहीं चार दावेदार

कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर एक बार फिर खींचतान शुरू हो गई है. मुसीबत इस बात की है कि सिद्धारमैया की कुर्सी पर सिर्फ डीके शिवकुमार की ही नहीं, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे और मंत्री जी परमेश्वर की भी निगाह है. सभी नेता ऊपर तो आलाकमान पर फैसला छोड़ने की बात कह रहे हैं, लेकिन उनके और उनके समर्थकों के बयानों में कर्नाटक सीएम की कुर्सी पर काबिज होने की लालसा झलक रही है.

Vikrant Shekhawat : Nov 03, 2023, 07:30 PM
Karnataka CM: कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर एक बार फिर खींचतान शुरू हो गई है. मुसीबत इस बात की है कि सिद्धारमैया की कुर्सी पर सिर्फ डीके शिवकुमार की ही नहीं, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे और मंत्री जी परमेश्वर की भी निगाह है. सभी नेता ऊपर तो आलाकमान पर फैसला छोड़ने की बात कह रहे हैं, लेकिन उनके और उनके समर्थकों के बयानों में कर्नाटक सीएम की कुर्सी पर काबिज होने की लालसा झलक रही है.

कर्नाटक कांग्रेस में अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. गुरुवार को सीएम सिद्धारमैया ने खुद इसे सार्वजनिक कर दिया. उन्होंने खुले तौर पर बयान दिया कि वह ढाई नहीं बल्कि पूरे पांच साल सीएम रहेंगे. उनका यह बयान उस वक्त आया जब सत्तारूढ़ कांग्रेस का ही एक वर्ग राज्य में ढाई साल बाद नेतृत्व परिवर्तन का दावा कर रहा है. मजे की बात तो ये है कि सीएम बनने की रेस में अकेले डीके शिवकुमार शामिल नहीं हैं. बल्कि मंत्री प्रियांक खरगे और जी परमेश्वर भी शामिल हैं. प्रियांक खरगे ने तो साफ तौर पर ये कह दिया है कि यदि आलाकमान उन्हें जिम्मेदारी देता है तो वह सीएम बनने को भी तैयार हैं.

सीएम पद पर क्यों छिड़ी है जंग

कर्नाटक चुनाव के वक्त कांग्रेस ने किसी को भी सीएम फेस घोषित नहीं किया था. ऐसे में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ने चुनाव में मेहनत की और कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार भी बनाई. जीत के बाद भी दोनों ही नेता खुद को सीएम मानकर चल रहे थे, लेकिन फैसला आलाकमान पर ही छोड़ा था. एक बारगी ऐसा लगने लगा था कि कर्नाटक कांग्रेस के इन दोनों बड़े नेताओं के बीच ठनी रार को खत्म करने के लिए कांग्रेस किसी तीसरे चेहरे पर दांव खेल सकती है, जी परमेश्वर और खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का भी नाम सामने आया, लेकिन 20 मई को अचानक सिद्धारमैया को शपथ दिला दी गई और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद के लिए मना लिया गया. बताया जाता है कि इस समझौते के पीछे ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला ही था, तय ये हुआ था की सिद्धारमैया ढाई साल सीएम रहेंगे और फिर कुर्सी डीके शिवकुमार को दे देंगे. अब सीएम पद पर छिड़ी जंग के पीछे इसी फॉर्मूले को सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है.

डीकेशिवकुमार, प्रियांक खरगे और जी परमेश्वर दावेदार

कांग्रेस में सीएम पद पर ठनी रार की शुरुआत मांड्या विधायक रविकुमार गौड़ के उस दावे के बाद हुई, जिसमें उन्होंने कहा था कि मौजूदा सरकार का ढाई साल पूरा होने के बाद डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार राज्य के सीएम बनाए जाएंगे. इस बयान के बाद ही राज्य की राजनीति में भूचाल सा आ गया. सबसे पहले सिद्धारमैया ने सीएम के तौर पर पांच साल पूरे करने का दावा किया, तो गृहमंत्री जी परमेश्वर ने घर पर एक बैठक ही बुला ली. इसके अलावा मंत्री प्रियांक खरगे समेत अन्य दावेदार भी एक्टिव हो गए. प्रियांक खरगे ने तो सीधे तौर पर सीएम बनने की इच्छा जता दी और ये ऐलान कर दिया कि आलाकमान अगर जिम्मेदारी देता है तो वह तैयार हैं.

ये नेता भी सीएम पद की रेस में

सीएम पद पर सिर्फ शिवकुमार, प्रियांक खरगे और जी परमेश्वर ही दावेदार नहीं है, बल्कि अन्य नेता भी सीएम बनने का ख्वाब पाले हैं. इस सूची में मंत्री आरबी थिम्मापुरा का नाम भी शामिल है, जब गुरुवार को एक कार्यक्रम में उनसे दलित सीएम को लेकर जी परमेश्वर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी खुले तौर पर सीएम बनने की अच्छा जता दी. आरबी थिम्मापुरा ने कहा कि मुझे सीएम क्यों नहीं बनना चाहिए? हालांकि उन्होंने बाद में अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि हम सब सीएम बनना चाहता हैं. इसके अलावा मंत्री के एन राजन्ना का भी नाम शामिल है. हालांकि रेस में उनका नाम सामने आने के बाद राजन्ना ने कहा कि उनके लिए मंत्री बनना ही काफी है. सिद्धारमैया के बाद सीएम जी परमेश्वर ही बनेंगे.

भाजपा ने ली चुटकी, शिवकुमार ने दिया जवाब

कर्नाटक में सीएम पद पर चल रही रार के बीच भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि प्रदेश में सीएम और डिपटी सीएम के बीच चल रही अंदरुनी कलह बदतर होती जा रही है. उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए. हालांकि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने उनके इस बयान का पलटवार किया. उन्होंने कहा कि असंतोष हमारी पार्टी में नहीं बल्कि भाजपा में है, यही कारण है कि सरकार बनने के पांच छह माह बाद भी भाजपा अभी तक विपक्ष का नेता नहीं चुन सकी है.