कोयला संकट / देश में 10.77 गीगावाट कम हुई बिजली आपूर्ति, कई राज्यों में कटौती जारी

कोयले की कमी और बढ़ती गर्मी के चलते देश में बिजली संकट गहरा गया है। इस हफ्ते आपूर्ति में कमी सोमवार को 5.24 गीगावाट थी जो बृहस्पतिवार को 10.77 गीगावाट पहुंच गई। बिजली उत्पादन संयंत्रों में कम कोयला व प्रचंड गर्मी इसकी वजह रहे। देशभर में भीषण गर्मी के बीच इस हफ्ते में पीक आवर में बिजली आपूर्ति तीन बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची।

Vikrant Shekhawat : May 02, 2022, 09:34 AM
कोयले की कमी और बढ़ती गर्मी के चलते देश में बिजली संकट गहरा गया है। इस हफ्ते आपूर्ति में कमी सोमवार को 5.24 गीगावाट थी जो बृहस्पतिवार को 10.77 गीगावाट पहुंच गई। बिजली उत्पादन संयंत्रों में कम कोयला व प्रचंड गर्मी इसकी वजह रहे। देशभर में भीषण गर्मी के बीच इस हफ्ते में पीक आवर में बिजली आपूर्ति तीन बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची।


मंगलवार को यह रिकॉर्ड 201.65 गीगावाट पर पहुंच गई। इसके साथ ही, यह पिछले साल 7 जुलाई के 200.53 गीगावाट के अधिकतम स्तर को पार कर गई। बृहस्पतिवार को बिजली की मांग 204.65 गीगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर थी और शुक्रवार को यह 207.11 गीगावाट के सार्वकालिक उच्च स्तर तक पहुंच गई। यूपी में मांग में कमी और 1600 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का इंतजाम हो जाने के बावजूद बिजली संकट बना हुआ है। भारी बिजली कटौती जारी है।


बिजली संकट : ऊर्जा मंत्री बोले-कोयले पर गुमराह कर रही है दिल्ली सरकार

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने दिल्ली में बिजली संकट को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा दी जारी जानकारी को गुमराह करने वाला बताते हुए नाराजगी जताई है। दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन के एनटीपीसी के कुछ संयंत्र में कोयला भंडार की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए केंद्र को लिखे पत्र के जवाब में सिंह ने रविवार को पत्र लिखकर संयंत्रों में कोयले की सही स्थिति बताई है।


सिंह ने पत्र में जानकारी दी है कि दादरी संयंत्र में 202400 टन कोयला है जो 8 दिन से अधिक के लिए पर्याप्त है। ऊंचाहार संयंत्र में 97620 टन कोयला है और इससे 4 दिन से अधिक काम चल सकता है। इसी प्रकार कहलगांव संयंत्र में 187000 टन कोयला है जो 5 दिन से अधिक के पर्याप्त है।


बिजली सरेंडर पर भी झूठ बोल रही

आरके सिंह ने कहा कि 2015 में दिल्ली सरकार ने सेंट्रल पूल से मिलने वाली कुछ बिजली सरेंडर कर दी थी। तय प्रक्रिया के अनुसार इस बिजली का आवंटन 2017, 18 और 19 में अन्य राज्यों को किया गया। तब दिल्ली सरकार ने इसपर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद 2021 में अचानक से दिल्ली सरकार ने दावा करना शुरू कर दिया कि उन्होंने बिजली सरेंडर नहीं की थी। यह पूरी तरह झूठा दावा है क्योंकि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के पास दिल्ली सरकार का बिजली सरेंडर करने वाला पत्र है।


बिजली का संकट गहराया, कटौती शुरू

भीषण गर्मी के बीच दिल्ली में बिजली का संकट गहराने लगा है। दिल्ली के कई हिस्सों में रविवार को कटौती भी की गई। हालांकि, केंद्र सरकार ने दिल्ली में बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों से कहा है कि मांग के अनुसार विद्युत आपूर्ति की जाए। कोयले की कमी से थर्मल प्लांट जूझ रहे है। इसे लेकर बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी भी चिंतित है। 


गर्मी के बावजूद रविवार को बिजली की मांग 6000 मेगा वॉट से ऊपर नहीं पहुंची, लेकिन सोमवार को सभी सरकारी व प्राइवेट कार्यालय खुलने से अचानक से इसमें बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। उधर, अनाधिकृत कॉलोनियों में ही नहीं, उत्तम नगर, मुखर्जी नगर, लक्ष्मीनगर, वजीराबाद गांव, नजफगढ़, द्वारका समेत कई हिस्सों में शनिवार व रविवार को बिजली की आपूर्ति कुछ देर के लिए बाधित रही।


कोयले की मांग, खपत में पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी की बढ़ोतरी : रेलवे

देशभर में कोयले की कमी के चलते उत्पन्न बिजली संकट पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) वीके त्रिपाठी ने रविवार को कहा कि 2021 के मुकाबले इस साल कोयले की मांग और खपत करीब 20 फीसदी बढ़ गई है। त्रिपाठी का यह बयान महाराष्ट्र में बढ़ते तापमान के बीच बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए कोयले की बढ़ी मांग पर आया है। 


राज्य के कई हिस्सों में तापमान 41 डिग्री के ऊपर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल कोयले की मांग और आपूर्ति में काफी वृद्धि हुई है। इसलिए हम अधिक मात्रा में कोयला ट्रांसपोर्ट कर रहे हैं। हम अतिरिक्त कोल रैक भी चला रहे हैं। इसके लिए हम मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों पर इन्हें प्राथमिकता भी दे रहे हैं। अप्रैल 2022 के महीने में हमने अप्रैल 2021 की तुलना में 15 फीसदी अधिक कोयला ट्रांसपोर्ट किया।