AajTak : Sep 11, 2020, 08:47 AM
Delhi: लोन मोरेटोरियम के दौरान ब्याज और ब्याज पर ब्याज वसूली मामले पर लोगों को राहत दी जाए या नहीं इस पर विचार के लिए एक कमिटी बनाई गई है। यह मामला अभी कोर्ट में है, लेकिन सरकार ने इसकी समीक्षा के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक कमिटी का गठन किया है।
क्या करेगी कमिटी यह कमिटी कोरोना संकट के दौरान लोन ईएमआई पर दी गई छूट अवधि में ब्याज और ब्याज पर ब्याज से राहत दिये जाने का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करेगी। समिति समाज के विभिन्न वर्गों पर पड़ने वाले वित्तीय संकट को कम करने और उपायों के बारे में भी सुझाव देगी।सरकार ने इसी के मद्देनजर इस पूरे मामले पर समग्र आकलन करने के लिये एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है ताकि इस संबंध में बेहतर निर्णय लिया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट में टल गई सुनवाई गौरतलब है कि लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 28 सितंबर तक टाल दी है। लेकिन कोर्ट ने कहा है कि उसका पिछले हफ्ते दिया गया अंतरिम आदेश लागू रहेगा। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगस्त के बाद अगले दो महीने तक लोन अगर कोई नहीं चुका पाता है तो उसे बैंक नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए की श्रेणी में नहीं रखेंगे।
सरकार ने की थी टालने की मांग लोन मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चल रहा है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि बैंकों के साथ दो-तीन दौर की बातचीत हुई है और इस बारे में अभी निर्णय लिया जाना है। इसलिए कृपया इस मामले को दो हफ्ते तक टाल दें। राजीव महर्षि कमिटी के गठन से सरकार को इस मामले में कोई निर्णय लेने में आसानी होगी और वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात सही तरीके से रख पायेगी।
एक हफ्ते में आएगी रिपोर्ट यह समिति लॉकडाउन के दौरान बैंक कर्ज की किस्त चुकाने पर दी गई छूट अवधि में कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज से राहत सहित अन्य मुद्दों पर समग्र रूप से आकलन करेगी। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि समिति एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट दे देगी। भारतीय स्टेट बैंक समिति को सचिवालय सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। समिति इस बारे में बैंकों और अन्य संबद्ध पक्षों से भी विचार-विमर्श कर सकगी। कमिटी के दो अन्य सदस्य आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के पूर्व सदस्य डा। रविन्द्र ढोलकिया तथा भारतीय स्टेट बैंक और आईडीबीआई बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर बी। श्रीराम शामिल हैं।
क्या करेगी कमिटी यह कमिटी कोरोना संकट के दौरान लोन ईएमआई पर दी गई छूट अवधि में ब्याज और ब्याज पर ब्याज से राहत दिये जाने का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करेगी। समिति समाज के विभिन्न वर्गों पर पड़ने वाले वित्तीय संकट को कम करने और उपायों के बारे में भी सुझाव देगी।सरकार ने इसी के मद्देनजर इस पूरे मामले पर समग्र आकलन करने के लिये एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है ताकि इस संबंध में बेहतर निर्णय लिया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट में टल गई सुनवाई गौरतलब है कि लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 28 सितंबर तक टाल दी है। लेकिन कोर्ट ने कहा है कि उसका पिछले हफ्ते दिया गया अंतरिम आदेश लागू रहेगा। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगस्त के बाद अगले दो महीने तक लोन अगर कोई नहीं चुका पाता है तो उसे बैंक नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए की श्रेणी में नहीं रखेंगे।
सरकार ने की थी टालने की मांग लोन मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चल रहा है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि बैंकों के साथ दो-तीन दौर की बातचीत हुई है और इस बारे में अभी निर्णय लिया जाना है। इसलिए कृपया इस मामले को दो हफ्ते तक टाल दें। राजीव महर्षि कमिटी के गठन से सरकार को इस मामले में कोई निर्णय लेने में आसानी होगी और वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात सही तरीके से रख पायेगी।
एक हफ्ते में आएगी रिपोर्ट यह समिति लॉकडाउन के दौरान बैंक कर्ज की किस्त चुकाने पर दी गई छूट अवधि में कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज से राहत सहित अन्य मुद्दों पर समग्र रूप से आकलन करेगी। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि समिति एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट दे देगी। भारतीय स्टेट बैंक समिति को सचिवालय सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। समिति इस बारे में बैंकों और अन्य संबद्ध पक्षों से भी विचार-विमर्श कर सकगी। कमिटी के दो अन्य सदस्य आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के पूर्व सदस्य डा। रविन्द्र ढोलकिया तथा भारतीय स्टेट बैंक और आईडीबीआई बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर बी। श्रीराम शामिल हैं।