News18 : Jul 22, 2020, 10:46 AM
जयपुर। राजस्थान में चल रहे सियासी संग्राम के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है। इस पूरे प्रकरण में सचिन पायलट खेमे (Sachin Pilot Group) को हाईकोर्ट से मिली फौरी राहत के खिलाफ अब विधानसभा स्पीकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। स्पीकर डॉ। सीपी जोशी (Speaker Dr। CP Joshi) ने बुधवार को जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि वह हाईकोर्ट में मौजूदा सुनवाई प्रक्रिया पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। स्पीकर डॉ। सीपी जोशी ने कहा दोनों कॉन्स्टिट्यूशनल ऑथोरिटी में टकराव न हो, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर करने का फैसला किया है। बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट ने पायलट खेमे को फौरी राहत देते हुए विधानसभा अध्यक्ष को 24 जुलाई तक किसी भी तरह की कार्रवाई से रोक दिया है।
डॉ। जोशी ने मीडिया से कहा कि संसदीय लोकतंत्र के लिए महत्त्वपूर्ण विषय पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए आया हूं। संसदीय प्रणाली में सबका रोल डिफाइंड है। आया राम गया राम संस्कृति रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में निर्देश दिए थे, जिसमें दलबदल के तहत अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को दिया गया है। इस प्रक्रिया के बीच में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साफ कर दिया था कि दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को है। फैसला करने से पहले हस्तक्षेप नहीं हो सकता। लेकिन, इस स्टेज पर फैसले से पहले ही हमारे साथी चैलेंज करना चाहते हैं।'संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा'डॉ। जोशी ने कहा कि इस स्टेज पर हस्तक्षेप करना संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। स्पीकर की भूमिका साफ है। कोर्ट ने जो भी जजमेंट दिया, उसका मैं सम्मान करता हूं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि अतिक्रमण होने दिया जाए। विधानसभा के नियमों के तहत किसी आवेदन की सुनवाई का अधिकार स्पीकर को है। उन्होंने कहा कि स्पीकर के निर्णय के बाद ही उसे चैलेंज किया जा सकता है।'टकराव के हालात बन सकते हैं'डॉ। जोशी ने कहा, 'मैंने कोर्ट का सम्मान किया है, लेकिन हमारे साथी नोटिस का जवाब देने के लिए स्पीकर के पास आना ही नहीं चाहते। वे सीधे कोर्ट चले गए। यह खतरा है। स्पीकर के नोटिस के बीच में अब तक कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया है। दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने की शिकायत पर कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार स्पीकर को है। एक भी जजमेंट ऐसा नहीं है, जब बीच में हस्तक्षेप किया गया हो। आगे जाकर टकराव के हालात बन सकते हैं। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। मुझे उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट इसे जल्द सुनेगा।'
डॉ। जोशी ने मीडिया से कहा कि संसदीय लोकतंत्र के लिए महत्त्वपूर्ण विषय पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए आया हूं। संसदीय प्रणाली में सबका रोल डिफाइंड है। आया राम गया राम संस्कृति रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में निर्देश दिए थे, जिसमें दलबदल के तहत अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को दिया गया है। इस प्रक्रिया के बीच में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साफ कर दिया था कि दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को है। फैसला करने से पहले हस्तक्षेप नहीं हो सकता। लेकिन, इस स्टेज पर फैसले से पहले ही हमारे साथी चैलेंज करना चाहते हैं।'संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा'डॉ। जोशी ने कहा कि इस स्टेज पर हस्तक्षेप करना संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। स्पीकर की भूमिका साफ है। कोर्ट ने जो भी जजमेंट दिया, उसका मैं सम्मान करता हूं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि अतिक्रमण होने दिया जाए। विधानसभा के नियमों के तहत किसी आवेदन की सुनवाई का अधिकार स्पीकर को है। उन्होंने कहा कि स्पीकर के निर्णय के बाद ही उसे चैलेंज किया जा सकता है।'टकराव के हालात बन सकते हैं'डॉ। जोशी ने कहा, 'मैंने कोर्ट का सम्मान किया है, लेकिन हमारे साथी नोटिस का जवाब देने के लिए स्पीकर के पास आना ही नहीं चाहते। वे सीधे कोर्ट चले गए। यह खतरा है। स्पीकर के नोटिस के बीच में अब तक कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया है। दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने की शिकायत पर कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार स्पीकर को है। एक भी जजमेंट ऐसा नहीं है, जब बीच में हस्तक्षेप किया गया हो। आगे जाकर टकराव के हालात बन सकते हैं। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। मुझे उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट इसे जल्द सुनेगा।'