Vikrant Shekhawat : Apr 01, 2022, 09:55 AM
एमबीबीएस पाठ्यक्रम में डॉक्टर हिपोक्रेटिक ओथ की जगह अब महर्षि चरक के नाम पर शपथ लेंगे। लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार देश में नई चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था लागू हो गई। इसके साथ ही प्रत्येक मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों के बैच को अब नजदीक में ही स्थित किसी एक गांव को गोद लेना होगा। वहां स्वास्थ्य सेवाओं पर काम करना होगा।राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने बृहस्पतिवार को नई चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था आदेश जारी कर दिया। सभी मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय को इसका तत्काल पालन करने का निर्देश दिया गया है। इस साल बीते 14 फरवरी से लागू शैक्षणिक सत्र के लिए भी आदेश लागू होंगे। चरक शपथ के पीछे तर्क है कि इससे मेडिकल के छात्रों का भारतीय संस्कृति से जुड़ाव हो सकेगा।12 महीने में पूरा होगा एमबीबीएस का प्रथम वर्ष
- अभी देश में एमबीबीएस प्रथम वर्ष पूरा होने में करीब 14 माह का वक्त लगता है, लेकिन इस साल से यह 12 महीने यानी एक वर्ष में पूरा होगा। इसकी पूरी जानकारी मेडिकल कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को आदेश के साथ भेज दी गई है।
- आयोग ने एमबीबीएस के लिए नई योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई 2021) व्यवस्था लागू कर दी है। इसे 2019 में भी लागू किया था। हालांकि, आयोग का दावा है कि नई सीबीएमई लागू होने से अब पाठ्यक्रम समय पर पूरा हो सकेगा।
- एमबीबीएस छात्रों को पूरी कोर्स अवधि में सिर्फ दो बार ही पूरक परीक्षा देने का मौका मिलेगा। परीक्षा परिणाम जारी होने के चार से छह सप्ताह के बीच यह पूरक परीक्षा आयोजित होगी।
- 10 दिन के अंदर पूरक परीक्षा का परिणाम जारी करना होगा। विश्वविद्यालय परीक्षा में फेल होने पर पूरक परीक्षा नहीं होगी।
- प्रथम वर्ष के जो छात्र पूरक परीक्षा पास करेंगे उन्हें द्वितीय वर्ष में विशेष क्लास और वार्ड में अलग से ड्यूटी देते हुए कोर्स कवर अप करना पड़ेगा।