Vikrant Shekhawat : Dec 03, 2019, 04:22 PM
नई दिल्ली: पीएम नरेन्द्र मोदी ने देश के पहले राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद को उनकी 135वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मंगलवार को कहा है कि विनम्रता और विद्वता से भरा उनका व्यक्तित्व देशवासियों को सदा प्रेरणा देता रहेगा। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ''देश के पहले राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ। राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने आजादी के आंदोलन में अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाई, साथ ही संविधान के निर्माण में भी विशिष्ट योगदान दिया।'' उन्होंने कहा, '' विनम्रता और विद्वता से भरा उनका व्यक्तित्व देशवासियों को सदा प्रेरित करता रहेगा।''उल्लेखनीय है कि तीन दिसंबर 1884 को बिहार के सारण जिले के जीरादेई गांव में डा राजेन्द्र प्रसाद का जन्म हुआ था। वहीं भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी ट्वीट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। नड्डा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, ''स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत के प्रथम राष्ट्रपति, 'भारत रत्न' डॉ। राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन, राष्ट्र निर्माण को समर्पित आपका जीवन सदैव हम सभी को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।
आपको बता दें कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। वे कांग्रेस में शामिल होने वाले बिहार के बड़े नेताओं में से एक थे। वकालत में पोस्ट ग्रैजुएट डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गांधी के बहुत बड़े समर्थक थे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 1931 में सत्याग्रह आंदोलन और 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन के लिए माहात्मा गांधी के साथ जेल की सजा भी काटना पड़ी थी।
देश के पहले राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने आजादी के आंदोलन में अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाई, साथ ही संविधान के निर्माण में भी विशिष्ट योगदान दिया। विनम्रता और विद्वता से भरा उनका व्यक्तित्व देशवासियों को सदा प्रेरित करता रहेगा।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2019
आपको बता दें कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। वे कांग्रेस में शामिल होने वाले बिहार के बड़े नेताओं में से एक थे। वकालत में पोस्ट ग्रैजुएट डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गांधी के बहुत बड़े समर्थक थे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 1931 में सत्याग्रह आंदोलन और 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन के लिए माहात्मा गांधी के साथ जेल की सजा भी काटना पड़ी थी।