AMAR UJALA : Jun 24, 2020, 10:41 AM
Indo-China: गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत चीन को व्यापक आर्थिक चोट पहुंचाने की तैयारी में है। इसके लिए भारत जिन देशों का चीन से मतभेद हैं, उनके साथ टैरिफ बाधाओं और अन्य बाधाओं को दूर करने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा भारत सरकार स्थानीय बिजली उपकरण (मेड इन इंडिया) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर रही है। ऊर्जा मंत्री राज कुमार सिंह ने मंगलवार को नई दिल्ली में व्यापार जगत के नेताओं से कहा कि जो देश प्रतिकूल या संभावित विरोधी हैं, उन्हें पूर्व संदर्भ देशों के रूप में पहचाना जाएगा और उनसे किसी भी उपकरण को आयात करने से पहले सरकार की अनुमति की आवश्यकता होगी। बिजली क्षेत्र के लिए विदेशी उपकरणों का कठोर परीक्षण भी इसमें शामिल होगा।मुख्य रूप से बिजली क्षेत्र में चीनी उपकरणों के उपयोग पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से नीतियां बनाई गई हैं जिससे चीन को कड़ी चोट दी जा सके। ये नीतियां पारंपरिक और हरित ऊर्जा क्षेत्र दोनों में बिजली उत्पादन, वितरण और ट्रांसमिशन परियोजनाओं पर लागू होंगी।बता दें कि गलवां घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन से पॉवर सेक्टर के लिए ट्रांसमिशन लाइन टावरों, कंडक्टरों, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, कैपेसिटर, ट्रांसफॉर्मर, केबल और इंसुलेटर और फिटिंग्स जैसे उपकरण अभी भी आयात किए जा रहे हैं। ऊर्जा मंत्री ने बिजली क्षेत्र की रणनीतिक प्रकृति का हवाला देते हुए कहा कि कंपनियों को स्थानीय स्तर पर निर्मित उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर देना चाहिए। भारत के बिजली के बुनियादी ढांचे को साइबर हमले का भी सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश हमले चीन की तरफ से किए जा रहे हैं।बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में पहले कदम के रूप में, सभी आयातित सौर सेल, मॉड्यूल और इनवर्टर-1 पर अगस्त से शुरू होने वाले मूल सीमा शुल्क को बढ़ाया जाएगा। इसके बाद चीन से आयात महंगा हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप नए अनुबंधों के लिए सौर शुल्क में 20 पैसे की वृद्धि हो सकती है।