Dainik Bhaskar : Nov 23, 2019, 03:14 PM
महाराष्ट्र विधानसभा के 24 अक्टूबर को नतीजे आए, लेकिन भाजपा-शिवसेना के बीच बात बिगड़ती चली गई। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर 12 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। 12 दिन का यह राष्ट्रपति शासन शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक चले 12 घंटे से भी कम वक्त के घटनाक्रम में खत्म हो गया। शुक्रवार रात राकांपा प्रमुख शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बैठक खत्म होने के बाद पवार के भतीजे अजित सक्रिय हुए और उन्होंने आधी रात को भाजपा से एकतरफा गठबंधन कर लिया।
देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से संपर्क किया और सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद उन्होंने अजित पवार से संपर्क किया। शिवसेना नेताओं के साथ मौजूद अजित पवार अचानक बैठक छोड़कर चले गए। माना जा रहा है कि राकांपा विधायक दल के नेता अजित पवार ने पार्टी विधायकों के दस्तखत किए हुए पत्र भाजपा नेताओं को सौंप दिए। ये वही पत्र थे, जो शिवसेना के साथ सरकार बनाने के मकसद से राकांपा विधायकों से लिए गए थे। इसके बाद अजित पवार ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया। भाजपा और अजित पवार धड़े के नेता राजभवन पहुंचे। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश किया। फडणवीस चाहते थे कि शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा को इसकी भनक भी न लगे, इससे पहले उन्हें शपथ दिला दी जाए। इसके बाद राज्यपाल ने सूचित किया कि शपथ ग्रहण सुबह के वक्त होगा।राज्यपाल ने महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा का ई-मेल राष्ट्रपति के पास भेज दिया। राष्ट्रपति भवन ने इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा ताकि कैबिनेट इस पर फैसला कर सके। इस प्रक्रिया के बारे में संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने बताया, जब भी गवर्नर राष्ट्रपति शासन को हटाने की अनुशंसा करते हैं, तो इसके लिए कैबिनेट के बहुमत की मंजूरी अनिवार्य होती है। सभी कैबिनेट सदस्य अपनी सहमति के हस्ताक्षर करते हैं। मंजूरी का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है और उसके बाद राष्ट्रपति राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को वापस लेते हैं। महाराष्ट्र के मामले में इस सिफारिश को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सदस्यों के समक्ष रात में ही रखा गया। इस पर सभी कैबिनेट सदस्यों ने रात में ही हस्ताक्षर किए। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव जब राष्ट्रपति को मिला तो उन्होंने शनिवार तड़के राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश जारी कर दिया।शपथ ग्रहण के समय को लेकर अलग-अलग जानकारी सामने आ रही है। एक जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति ने सुबह 5:15 बजे महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया और उसी वक्त राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी।
देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से संपर्क किया और सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद उन्होंने अजित पवार से संपर्क किया। शिवसेना नेताओं के साथ मौजूद अजित पवार अचानक बैठक छोड़कर चले गए। माना जा रहा है कि राकांपा विधायक दल के नेता अजित पवार ने पार्टी विधायकों के दस्तखत किए हुए पत्र भाजपा नेताओं को सौंप दिए। ये वही पत्र थे, जो शिवसेना के साथ सरकार बनाने के मकसद से राकांपा विधायकों से लिए गए थे। इसके बाद अजित पवार ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया। भाजपा और अजित पवार धड़े के नेता राजभवन पहुंचे। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश किया। फडणवीस चाहते थे कि शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा को इसकी भनक भी न लगे, इससे पहले उन्हें शपथ दिला दी जाए। इसके बाद राज्यपाल ने सूचित किया कि शपथ ग्रहण सुबह के वक्त होगा।राज्यपाल ने महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा का ई-मेल राष्ट्रपति के पास भेज दिया। राष्ट्रपति भवन ने इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा ताकि कैबिनेट इस पर फैसला कर सके। इस प्रक्रिया के बारे में संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने बताया, जब भी गवर्नर राष्ट्रपति शासन को हटाने की अनुशंसा करते हैं, तो इसके लिए कैबिनेट के बहुमत की मंजूरी अनिवार्य होती है। सभी कैबिनेट सदस्य अपनी सहमति के हस्ताक्षर करते हैं। मंजूरी का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है और उसके बाद राष्ट्रपति राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को वापस लेते हैं। महाराष्ट्र के मामले में इस सिफारिश को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सदस्यों के समक्ष रात में ही रखा गया। इस पर सभी कैबिनेट सदस्यों ने रात में ही हस्ताक्षर किए। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव जब राष्ट्रपति को मिला तो उन्होंने शनिवार तड़के राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश जारी कर दिया।शपथ ग्रहण के समय को लेकर अलग-अलग जानकारी सामने आ रही है। एक जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति ने सुबह 5:15 बजे महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया और उसी वक्त राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी।