Zee News : Apr 15, 2020, 10:11 PM
वाशिंगटन: एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना (Coronavirus) की काट खोजने में लगी है, वहीं अमेरिका इस संकट काल में भी अपना वर्चस्व साबित करने की कोशिश में लगा है। अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को दिए जाने वाले फंड पर रोक लगा दी है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह फैसला चीन के प्रति WHO की कथित नजदीकी को देखते हुए लिया है। अमेरिका के इस कदम की चीन और रूस सहित दुनिया के कई देशों ने आलोचना की है। इस बीच, WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेबियस का बयान भी सामने आया है। हालांकि, उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन इशारों-इशारों में यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके पास इस बेकार के विवाद में उलझने का समय नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस समय हमारा केवल एक ही लक्ष्य है, लोगों को कोरोना महामारी से बचाना और वायरस के प्रसार पर रोक लगाना’। बुधवार को दिए अपने बयान में उन्होंने आगे कहा, ‘COVID-19 के बारे में हमने अब तक यह जाना है कि जितनी जल्दी संक्रमित लोगों के बारे में पता चलता है, जांच की जाती है, उन्हें आइसोलेट किया जाता है, उतनी ही जल्दी इस वायरस के फैलने की गति को धीमा किया जा सकता है। इसलिए फिलहाल हमारा फोकस दुनियाभर के लोगों की जान बचाने पर है’।अमेरिका के इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए चीन ने कहा है कि स्थिति गंभीर है, ऐसे समय में जब वायरस तेजी से फैल रहा है, अमेरिका का यह कदम सहयोग को बाधित करेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ‘चीन अमेरिका द्वारा WHO की फंडिंग रोकने से चिंतित है।’ वहीं, अफ्रीकन यूनियन कमीशन के चेयरमैन मौसा फाकी ने कहा कि अमेरिका का यह फैसला बेहद अफसोसजनक है। दूसरे कई देश भी इस फैसले से नाराज हैं। जर्मनी ने भी फंडिंग रोकने के निर्णय को गलत बताया है। जर्मन विदेश मंत्री हेइको मास ने कहा कि यह समझना चाहिए कि वायरस किसी सीमा को नहीं जानता, दूसरों को दोष देने से मदद नहीं मिल सकती। रूस ने भी अमेरिकी रुख पर नाराजगी व्यक्त की है। उपविदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा, ‘यह अमेरिकी अधिकारियों के बेहद स्वार्थी दृष्टिकोण को दर्शाता है। ऐसे समय में जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय WHO की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है, अमेरिका ने उसे आघात पहुंचाया है’।