ISRO Mission / इसरो की एक और उपलब्धि, 'पुष्पक विमान' की सफल लैंडिंग का लगाई हैट्रिक

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को बड़ी सफलता हासिल की है. उसने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) लैंडिंग एक्सपेरीमेंट (LEX) में अपनी लगातार तीसरी और आखिरी सफलता हासिल कर ली है. इसकी जानकारी इसरो ने ट्वीट कर दी है. LEX सीरीज में तीसरा और अंतिम परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में आयोजित किया गया था. आरएलवी LEX-1 और LEX-2 मिशनों की सफलता के बाद ये आरएलवी लेक्स-3 मिशन था.

Vikrant Shekhawat : Jun 23, 2024, 12:27 PM
ISRO Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को बड़ी सफलता हासिल की है. उसने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) लैंडिंग एक्सपेरीमेंट (LEX) में अपनी लगातार तीसरी और आखिरी सफलता हासिल कर ली है. इसकी जानकारी इसरो ने ट्वीट कर दी है. LEX सीरीज में तीसरा और अंतिम परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में आयोजित किया गया था. आरएलवी LEX-1 और LEX-2 मिशनों की सफलता के बाद ये आरएलवी लेक्स-3 मिशन था. ये मिशन अधिक चुनौतीपूर्ण रिलीज स्थितियों में किया गया. साथ ही साथ आरएलवी की ऑटोनॉमस लैंडिंग क्षमता को फिर से प्रदर्शित किया गया. आरएलवी LEX-2 के लिए 150 मीटर के मुकाबले LEX-3 में 500 मीटर की क्रॉस रेंज रखी गई. इसरो ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘आरएलवी LEX में इसरो ने हैट्रिक लगाई है. “पुष्पक” ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एडवांस्ड ऑटोनॉमस क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए सटीक होरिजोंटल लैंडिंग की.’

इसरो का कहना है कि विंग वाले पुष्पक विमान को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई पर छोड़ा गया था. ये ये रिलीज प्वाइंट रनवे से 4.5 किमी दूर था. पुष्पक ने स्वचालित रूप से क्रॉस-रेंज सुधार मैनेन्युवर्स किया और रनवे के पास पहुंचा. रनवे की सेंटर लाइन पर सटीक होरिजोंटल लैंडिंग की.

आरएलवी-लेक्स में कई-सेंसर फ्यूजन का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें इनर्शियल सेंसर, रडार अल्टीमीटर, फ्लश एयर डाटा सिस्टम, स्यूडोलाइट सिस्टम और नेवससी जैसे सेंसर शामिल हैं. विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के नेतृत्व में यह मिशन एक सहयोगात्मक प्रयास था जिसमें इसरो के कई सेंटर्स स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर, श्रीहरिकोटा शामिल थे.

तेज हवाओं के बीच लैंडिंग का अभ्यास

इस मिशन में अंतरिक्ष से लौटने वाले यान को तेज हवाओं के बीच उतारने का अभ्यास किया गया, जिससे अंतरिक्ष एजेंसी की आरएलवी के विकास के लिए आवश्यक अहम प्रौद्योगिकियों को हासिल करने में विशेषज्ञता को बल मिला है। लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (एलईएक्स-03) की श्रृंखला में तीसरा और अंतिम परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) से भारतीय समयानुसार सुबह सात बजकर 10 मिनट पर किया गया।

500 मीटर की ऊंचाई से कराई गई लैंडिंग

आरएलवी एलईएक्स-01 और एलईएक्स-02 मिशन की सफलता के बाद इसरो ने एक विज्ञप्ति में कहा कि आरएलवी एलईएक्स-03 ने अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में आरएलवी की लैंडिंग क्षमताओं का पुन: प्रदर्शन किया। इस बार एलईएक्स-02 की 150 मीटर की ऊंचाई के बजाय 500 मीटर की ऊंचाई और अधिक तेज हवाओं के बीच इसकी लैंडिंग करायी गयी। 

पुष्पक को चिनूक हेलीकॉप्टर से छोड़ा गया

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘पुष्पक’ को रनवे से 4.5 किलोमीटर दूर भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से छोड़ा गया। पुष्पक रनवे के पास पहुंचा और रनवे पर क्षैतिज लैंडिंग की। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के नेतृत्व में यह मिशन इसरो के कई केंद्रों का एक सहयोगात्मक प्रयास है। इस मिशन को भारतीय वायुसेना, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण से भी काफी सहयोग मिला है। इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने ऐसे जटिल मिशन में सफलता का सिलसिला बरकरार रखने के प्रयासों के लिए टीम को बधाई दी। इस सफल मिशन के लिए जे. मुथुपांडियन मिशन निदेशक है और बी.कार्तिक यान निदेशक हैं।

इस मिशन के इन संस्थाओं ने किया सपोर्ट

इस मिशन को भारतीय वायु सेना, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट, एरियल डिलीवरी एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट, सैन्य उड़ान योग्यता एवं प्रमाणन केंद्र के अंतर्गत क्षेत्रीय सैन्य उड़ान योग्यता केंद्र, नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर, इंडियन एयरोस्पेस इंडस्ट्रियल पार्टनर्स, भारतीय तेल निगम और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण से महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ.