Vikrant Shekhawat : Jul 23, 2021, 06:10 PM
Delhi: मेडिकल साइंस ने आज इतनी तरक्की कर ली है कि अब ना सिर्फ लोगों के हर बीमारी का इलाज संभव है बल्कि अब कृत्रिम अंग भी मनुष्यों को लगाया जा रहा है। इसी क्रम में ब्रिटेन में एक 10 साल की बच्ची को 3डी बायोप्रिंट तकनीक से बने कान को लगाने की तैयारी चल रही है। अगर यह सफल हो जाता है तो यह ब्रिटेन में पहला ऐसा मामला होगा जब किसी मनुष्य को लैब में बनाए गए कान से बिल्कुल असल कान की तरह सुनाई देगा।
दरअसल पेम्ब्रोकशायर की 10 साल की बच्ची रडियाह मिया जन्म के समय ही बिना बाएं कान के पैदा हुई थी। इस बीमारी को माइक्रोटिया के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि उसका बायां कान ठीक से विकसित नहीं हुआ और उसका जन्म हो गया। अब इसी बच्ची को मानव निर्मित और लैब में बने 3डी बायोप्रिंट कान लगाने की तैयारी चल रही है। इस रिसर्च पर ब्रिटेन में 2।5 मिलियन पाउंड खर्च किया गया है। इस कान को लेकर स्वानसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिससे राडिया के कुछ कार्टिलेज का इस्तेमाल कर उनके लिए नए कान के 3डी 'बायोप्रिंट' को तैयार किया जाएगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि वह इस परियोजना में भाग लेने वालों की सूची में सबसे ऊपर है। इसमें वैज्ञानिक एक जीवित आंतरिक कान संरचना बनाने के लिए संभवतः उसकी नाक में मौजूद कोशिकाओं के एक छोटे से नमूने का उपयोग करेंगे। शोध का नेतृत्व स्वानसी यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल में प्लास्टिक सर्जरी के प्रोफेसर इयान व्हिटेकर और हेल्थ एंड केयर रिसर्च वेल्स के सर्जिकल स्पेशलिटी विभाग के डॉक्टर कर रहे हैं। यह रिसर्च भविष्य के उपचार के लिए मानव कोशिकाओं और पौधों पर आधारित सामग्री का उपयोग करके 3डी 'बायोप्रिंटेड' फेशियल कार्टिलेज (जैसे कान और नाक) के विकास पर ध्यान केंद्रित कर किया जा रहा है। राडिया के पिता राणा ने कहा कि उपचार से उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'लड़कियों को अपने बालों को बांधना और अपना कान छिदवाना पसंद होता है। दो मिलते-जुलते कान होना एक सकारात्मक बात होगी।'
दरअसल पेम्ब्रोकशायर की 10 साल की बच्ची रडियाह मिया जन्म के समय ही बिना बाएं कान के पैदा हुई थी। इस बीमारी को माइक्रोटिया के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि उसका बायां कान ठीक से विकसित नहीं हुआ और उसका जन्म हो गया। अब इसी बच्ची को मानव निर्मित और लैब में बने 3डी बायोप्रिंट कान लगाने की तैयारी चल रही है। इस रिसर्च पर ब्रिटेन में 2।5 मिलियन पाउंड खर्च किया गया है। इस कान को लेकर स्वानसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिससे राडिया के कुछ कार्टिलेज का इस्तेमाल कर उनके लिए नए कान के 3डी 'बायोप्रिंट' को तैयार किया जाएगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि वह इस परियोजना में भाग लेने वालों की सूची में सबसे ऊपर है। इसमें वैज्ञानिक एक जीवित आंतरिक कान संरचना बनाने के लिए संभवतः उसकी नाक में मौजूद कोशिकाओं के एक छोटे से नमूने का उपयोग करेंगे। शोध का नेतृत्व स्वानसी यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल में प्लास्टिक सर्जरी के प्रोफेसर इयान व्हिटेकर और हेल्थ एंड केयर रिसर्च वेल्स के सर्जिकल स्पेशलिटी विभाग के डॉक्टर कर रहे हैं। यह रिसर्च भविष्य के उपचार के लिए मानव कोशिकाओं और पौधों पर आधारित सामग्री का उपयोग करके 3डी 'बायोप्रिंटेड' फेशियल कार्टिलेज (जैसे कान और नाक) के विकास पर ध्यान केंद्रित कर किया जा रहा है। राडिया के पिता राणा ने कहा कि उपचार से उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'लड़कियों को अपने बालों को बांधना और अपना कान छिदवाना पसंद होता है। दो मिलते-जुलते कान होना एक सकारात्मक बात होगी।'