गुटबाजी या खेमाबंदी नई बात नहीं / भैरों सिंह शेखावत ने अल्पमत में होने के बावजूद दो बार बचाई थी अपनी सरकार

अशोक गहलोत सरकार के साथ जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है, इसी तरह का घटनाक्रम भैरों सिंह शेखावत के साथ 1990 व 1996 में दो बार घटित हुआ है। दोनों बार भैरोसिंह शेखावत अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे। इसी के चलते भैरों सिंह शेखावत का बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा कद माना जाता है।भंवर लाल शर्मा ने निर्दली राज्यमंत्री शशि दत्ता के साथ सरकार को गिराने की तैयारी कर ली थी।

Vikrant Shekhawat : Jul 15, 2020, 07:15 AM

जयपुर । अशोक गहलोत सरकार के साथ जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है, इसी तरह का घटनाक्रम भैरों सिंह शेखावत के साथ 1990 व 1996 में दो बार घटित हुआ है। दोनों बार भैरोसिंह शेखावत अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे। इसी के चलते भैरों सिंह शेखावत का बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा कद माना जाता है।


अमेरिका में हार्ट का ऑपरेशन करवाने गए तो पीछे तख्तापलट की तैयारी

जनता दल के विधायक टिकट पर जीत कर आए भंवर लाल शर्मा ने 1996 में भैरोसिंह शेखावत सरकार के तख्तापलट के प्रयास किए थे। शेखावत अमेरिका में अपना हार्ट का ऑपरेशन करवाने गए थे। इस बीच भंवर लाल शर्मा ने निर्दली राज्यमंत्री शशि दत्ता के साथ सरकार को गिराने की तैयारी कर ली थी। इसमें शर्मा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भजनलाल का भी सहयोग लिया था।




निर्दलीय करौली विधायक रणजी मीणा को प्रलोभन दिया गया। साथ ही मंत्री बनाने का भी आश्वासन दिया । किंतु मीणा ने यह बात भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी तक अमेरिका में पहुँचा दी। उस समय राजवी , भैरों सिंह शेखावत के साथ अमेरिका में थे। इसके बाद भैरों सिंह शेखावत डॉक्टरों के मना करने के बावजूद इलाज के दौरान बीच में ही लौट आए।

भैरोंसिंह शेखावत ने लौटने के बाद विधायकों व मंत्रियों को चौखी ढाणी में ले जाकर बाड़ा बंदी कर दी। करीब 15 दिन तक चोखी ढाणी में रुके रहे। इसके बाद विधानसभा में बहुमत सिद्ध किया।


इसके पीछे यह कारण था: भंवर लाल शर्मा का कहना है कि 1990 में केंद्र में तत्कालीन वीपी सिंह सरकार के समय राजस्थान में भैरोसिंह सरकार को बचाने में उनका अहम योगदान था। इसी के चलते उपचुनाव में भैरों सिंह शेखावत ने राजाखेड़ा से चुनाव लड़ाने का आश्वासन दिया था। जब दूसरा उम्मीदवार तय कर लिया तो उन्हें ठेस पहुंची। इसी के चलते उन्होंने 1996 में भैरों सिंह शेखावत सरकार को गिराने का फैसला कर लिया।