Vikrant Shekhawat : Mar 03, 2022, 02:47 PM
रूस पर लगाई पाबंदियों के चलते भारत का एस-400 मिसाइल सुरक्षा प्रणाली का सौदा भी खटाई में पड़ सकता है। अमेरिका के काटसा कानून के तहत भारत को पाबंदियों से छूट देने या उस पर इसे लागू करने का फैसला राष्ट्रपति जो बाइडन ही करेंगे। बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमेरिकी सांसदों से यह बात कही है। काटसा कानून के तहत अमेरिकी सरकार ईरान, उत्तर कोरिया या रूस से बड़ा लेनदेन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ पाबंदियां लगा सकता है। इस कानून को 'काउंटरिंग अमेरिकन एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट' (CAATSA) कहा जाता है। काटसा एक कठोर अमेरिकी कानून है। यह 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कथित दखल के बाद बनाया गया था। इसका मकसद रूस से किसी अन्य देश को हथियारों की खरीदी रोकना है। भारत पर संभावित काटसा प्रतिबंधों के बारे में एक सवाल के जवाब में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने बुधवार को सीनेट की विदेश संबंध उपसमिति के सदस्यों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत पर प्रतिबंध लागू करने या माफ करने का निर्णय राष्ट्रपति बाइडन ही कर सकते हैं। लू ने कहा कि बाइडन प्रशासन काटसा कानून का पूरी तरह से पालन करेगा और किसी भी कार्रवाई से पहले अमेरिकी कांग्रेस से परामर्श लेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन या अमेरिकी विदेश मंत्री इस बारे में क्या फैसला लेंगे, वह यह नहीं बता सकते। वह यह भी नहीं बता सकते कि यूक्रेन पर रूस के हमले का भारत पर पाबंदी या छूट के निर्णय पर क्या असर पड़ेगा।अमेरिकी मंत्री ने कहा कि भारत पर काटसा के तहत कार्रवाई को लेकर अभी निर्णय नहीं किया गया है। निश्चित रूप से भारत अब अमेरिका का महत्वपूर्ण साझेदार है और इस साझेदारी को हम आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं। वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि किसी भी देश के लिए रूस से प्रमुख हथियार प्रणाली खरीदना बहुत कठिन होगा क्योंकि अब रूसी बैंकों पर व्यापक प्रतिबंध लगाए गए हैं। लू ने कहा कि हमने पिछले कुछ हफ्तों में भारत से मिग 29, रूसी हेलीकॉप्टर ऑर्डर और टैंक रोधी हथियारों के ऑर्डर को निरस्त करते देखा है।लू का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भारत अनुपस्थित रहा है। इसे लेकर अमेरिका के डेमोक्रेट व रिपब्लिकन दोनों दलों के सांसद भारत की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। अक्तूबर 2018 में भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी का करार किया था। तत्कालीन ट्र्रंप सरकार की चेतावनी के बाद भी भारत ने रूस से पांच अरब डॉलर का यह करार किया था। इसके तहत पहली खेप भारत को मिल चुकी है। अमेरिका तुर्की पर इसी सिस्टम की खरीदी को लेकर पाबंदियां लगा चुका है।