Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की सूची पहले ही जारी कर दी थी, वहीं शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 29 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं। खास बात यह है कि भाजपा ने चार बागी नेताओं को टिकट दिया है, जो पहले आम आदमी पार्टी या कांग्रेस से जुड़े हुए थे।
त्रिकोणीय मुकाबले की ओर नई दिल्ली सीट
दिल्ली की राजनीति में सबसे दिलचस्प मुकाबला नई दिल्ली विधानसभा सीट पर देखने को मिलेगा। यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उम्मीदवार हैं। भाजपा ने इस सीट से पूर्व सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है।
इस तरह नई दिल्ली सीट पर एक पूर्व मुख्यमंत्री और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों के बीच चुनावी जंग होगी। यह त्रिकोणीय मुकाबला ना केवल दिलचस्प होगा बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी बदल सकता है। सभी प्रमुख दल इस सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न मान रहे हैं और इसे जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
भाजपा का बागियों पर दांव
भाजपा ने अपनी पहली सूची में चार ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जो पहले अन्य पार्टियों के साथ जुड़े हुए थे। इनमें आम आदमी पार्टी से बगावत कर भाजपा में आए कैलाश गहलोत को बिजवासन सीट से टिकट दिया गया है। गहलोत नजफगढ़ सीट से विधायक रहे हैं और 'आप' सरकार में परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं। भाजपा ने उन्हें बिजवासन सीट से उम्मीदवार बनाकर जाट समुदाय के वोटरों को साधने की कोशिश की है।पटेल नगर सीट से भाजपा ने राज कुमार आनंद को उम्मीदवार बनाया है। आनंद पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं और अब फिर से भाजपा ने उन्हें मौका दिया है। कांग्रेस से भाजपा में आए अरविंदर सिंह लवली को गांधीनगर सीट से टिकट मिला है। लवली की यह परंपरागत सीट मानी जाती है, और भाजपा को उम्मीद है कि उनके जरिए कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकेगी।इसके अलावा, करतार सिंह तंवर को भाजपा ने छतरपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है। तंवर पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं और अब भाजपा में शामिल होकर दोबारा चुनावी मैदान में हैं। भाजपा का यह कदम साफ संकेत देता है कि पार्टी अपने कोर वोट बैंक के साथ-साथ अन्य समुदायों को भी साधने की रणनीति अपना रही है।
चुनावी समीकरण और रणनीति
दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार सभी प्रमुख दल पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरे हैं। आम आदमी पार्टी ने जहां अपने कामकाज को प्रमुख मुद्दा बनाया है, वहीं भाजपा और कांग्रेस ने आप की नीतियों पर सवाल उठाते हुए अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की है। भाजपा की रणनीति में खास तौर पर उन सीटों पर ध्यान दिया गया है, जहां विपक्षी दलों के मजबूत वोट बैंक हैं।भाजपा ने बागियों को टिकट देकर यह दिखाने की कोशिश की है कि वह हर समुदाय और वर्ग को साथ लेकर चलना चाहती है। वहीं, कांग्रेस अपनी परंपरागत सीटों पर जीत दर्ज करने की कोशिश में लगी है।
नई दिल्ली सीट का विशेष महत्व
नई दिल्ली विधानसभा सीट को चुनावी समर का केंद्र माना जा रहा है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने यहां पिछले चुनावों में मजबूत प्रदर्शन किया था। भाजपा ने इस बार प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारकर जाट वोटरों को साधने का प्रयास किया है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को टिकट देकर इस सीट पर मुकाबले को और रोचक बना दिया है।यह देखना दिलचस्प होगा कि तीनों प्रमुख दलों की यह रणनीति किस हद तक सफल होती है। आने वाले समय में चुनाव प्रचार और प्रत्याशियों की गतिविधियों पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। दिल्ली की जनता किसे सत्ता की कुर्सी सौंपेगी, यह जानने के लिए सभी को चुनावी नतीजों का इंतजार करना होगा।