AMAR UJALA : Oct 18, 2019, 07:06 AM
नई दिल्ली | हमारे चंद्रयान-2 ने चांद की सतह की पहली चमकदार तस्वीर ली है। यह तस्वीर चांद के उत्तरी हिस्से की है। यह कमाल चंद्रयान-2 पर पर लगे इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर(आईआईआरएस) पेलोड ने किया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को संयोगवश करवाचौथ के दिन चांद की सतह की यह तस्वीर ट्विटर पर साझा की है। इस स्पेक्ट्रोमीटर को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे वह चंद्रमा की सतह से परावर्तित होने वाले सूर्य के प्रकाश को माप सके और चांद की सतह पर मौजूद खनिजों का पता लगा सके। तस्वीर में चांद की सतह पर कुछ महत्वपूर्ण समरफील्ड, स्टेबिंस और किर्कवुड गड्ढे नजर आ रहे हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को संयोगवश करवाचौथ के दिन चांद की सतह की यह तस्वीर ट्विटर पर साझा की है। इस स्पेक्ट्रोमीटर को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे वह चंद्रमा की सतह से परावर्तित होने वाले सूर्य के प्रकाश को माप सके और चांद की सतह पर मौजूद खनिजों का पता लगा सके। तस्वीर में चांद की सतह पर कुछ महत्वपूर्ण समरफील्ड, स्टेबिंस और किर्कवुड गड्ढे नजर आ रहे हैं।
इससे पहले 4 अक्तूबर को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर पर लगे हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी की थी। हालांकि, वह स्पष्ट नहीं थी। चंद्रयान-2 को सात सितंबर को चांद के दक्षिणी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, लेकिन आखिरी क्षणों में इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। हालांकि, चांद के आसमान में चक्कर लगा रहे चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर मुस्तैदी से काम कर रहा है। वहीं, विक्रम की तलाश इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी कर रहा है।यह है मकसदआईआईआरएस का मुख्य मकसद चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में पता लगाना है। इसे सतह पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी और परावर्तित किरणों के आकलन के जरिये अंजाम दिया जाता है। इस दौरान चांद के निर्माण में खनिजों और तत्वों का भी विश्लेषण किया जाता है।तस्वीर का आकलन कुछ ऐसेसूर्य की परावर्तित रोशनी अलग-अलग जिन गड्ढों से गुजरी, उनके नाम दिए गए हैं। जैसे गड्ढे का मध्यवर्ती स्थान (स्टेबिंस), गड्ढे की सतह (स्टेबिंस और समरफील्ड), बडे़ गड्ढे के भीतर बने छोटे गड्ढे (समरफील्ड) और गड्ढों के अंदरूनी घेरा(किर्कवुड)। इन्हीं गड्ढों पर पड़ी रोशनी और उसके अलग-अलग रंगों के परावर्तन से सतह का शुरुआती आकलन किया गया है।#ISRO
— ISRO (@isro) October 17, 2019
See the first illuminated image of the lunar surface acquired by #Chandrayaan2’s IIRS payload. IIRS is designed to measure reflected sunlight from the lunar surface in narrow and contiguous spectral channels.
For details visit:https://t.co/C3STg4H79S pic.twitter.com/95N2MpebY4