NDTV : Sep 24, 2020, 09:10 AM
नई दिल्ली: नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) ने ऑफसेट से जुड़ी नीतियों को लेकर रक्षा मंत्रालय की आलोचना की है। इसी पॉलिसी के तहत सरकार ने फ्रांस की एविएशन कंपनी दसॉ एविएशन से 36 राफेल विमानों के लिए डील की है। शीर्ष ऑडिटर कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस फ्रेंच फर्म ने अभी तक डिफेंस रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन (DRDO) के प्रति अपने ऑफसेट शर्तों को पूरा नहीं किया है।ऑफसेट पॉलिसी के तहत यह शर्त है कि किसी भी विदेशी कंपनी के साथ हुई डील की कीमत का कुछ हिस्सा भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तरह आना चाहिए, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, एडवांस कंपोनेंट्स की स्थानीय तौर पर मैन्यूफैक्चरिंग या फिर नौकरियां पैदा करने की जिम्मेदारियां शामिल हैं।संसद में रखी गई अपनी इस रिपोर्ट में CAG ने कहा है कि '36 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) से जुड़े चार समझौतों के ऑफसेट में वेंडर दसॉ एविएशन और MBDA ने शुरुआत में (सितंबर, 2015) में प्रस्ताव रखा था कि वो अपनी ऑफसेट दायित्वों में से 30 फीसदी दायित्वों का पालन DRDO को उच्च श्रेणी की तकनीक देकर पूरा करेगा।'रिपोर्ट में कहा गया है कि 'DRDO को हल्के लड़ाकू विमान के लिए (कावेरी) इंजन को देश में ही विकसित करने लिए उनसे तकनीकी सहायता चाहिए थी, लेकिन आज की तारीख तक वेंडर ने इस टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया है।' CAG ने रिपोर्ट में कहा है कि 'रक्षा मंत्रालय को इस नीति और इसके कार्यान्वयन की समीक्षा करने की जरूरत है।'