Vikrant Shekhawat : Jul 27, 2021, 06:33 AM
Science: गीज़ा के पिरामिड (Giza Pyramid) और ताजमहल (Taj Mahal) जितना बड़ा एस्टेरॉयड (Asteroid) धरती के पास से गुजर गया। पहले आशंका जताई गई थी कि इस विशालकाय एस्टेरॉयड से धरती को बड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि, अब एस्टेरॉयड के गुजरने के बाद कहा जा रहा है कि इससे ऐसा कोई खतरा नहीं है।
दरअसल, स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने कहा था कि एक विशाल एस्टेरॉयड (Asteroid) रविवार को 18,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के पास से गुजरेगा। इस एस्टेरॉयड का नाम '2008 GO20' रखा गया था। एस्टेरॉयड लंबाई में 318 से 720 फीट के बीच था, जो इसे ताजमहल और गीज़ा के पिरामिड के आकार जितना बनाता है। ये एक अपोलो क्लास एस्टेरॉयड था। एक्सपर्ट के मुताबिक, '2008 GO20' एस्टेरॉयड भारतीय समयानुसार 25 जुलाई को रात साढ़े 11 बजे के करीब पृथ्वी के सबसे करीब रहा। एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की कोई आशंका नहीं है। लाइव साइंस के अनुसार, 1901 में यह एस्टेरॉयड हमारे ग्रह (पृथ्वी) से सिर्फ 800,000 मील की दूरी से गुजरा था। इसके बाद 1935 में यह पृथ्वी से 1।15 मिलियन मील की दूरी पर था। इसके बाद 2034 में यह पृथ्वी से 3।1 मिलियन मील की दूरी पर होगा। फिलहाल हमारी धरती को कोई खतरा नहीं है। लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक, समय के साथ गुरुत्वाकर्षण के असर से एस्टेरॉयड की दिशा बदल सकती है और ऐसा होने पर उसके धरती से टकराने की आशंका बढ़ जाती है। अंतरिक्ष मामलों के जानकार डॉ। ब्रूस बेट्स ने ऐसे एस्टेरॉयड को लेकर कहा है कि छोटे एस्टेरॉयड कुछ मीटर के होते हैं और ये अक्सर वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं। ऐसे में इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है। साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था। वहीं एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था।
दरअसल, स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने कहा था कि एक विशाल एस्टेरॉयड (Asteroid) रविवार को 18,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के पास से गुजरेगा। इस एस्टेरॉयड का नाम '2008 GO20' रखा गया था। एस्टेरॉयड लंबाई में 318 से 720 फीट के बीच था, जो इसे ताजमहल और गीज़ा के पिरामिड के आकार जितना बनाता है। ये एक अपोलो क्लास एस्टेरॉयड था। एक्सपर्ट के मुताबिक, '2008 GO20' एस्टेरॉयड भारतीय समयानुसार 25 जुलाई को रात साढ़े 11 बजे के करीब पृथ्वी के सबसे करीब रहा। एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की कोई आशंका नहीं है। लाइव साइंस के अनुसार, 1901 में यह एस्टेरॉयड हमारे ग्रह (पृथ्वी) से सिर्फ 800,000 मील की दूरी से गुजरा था। इसके बाद 1935 में यह पृथ्वी से 1।15 मिलियन मील की दूरी पर था। इसके बाद 2034 में यह पृथ्वी से 3।1 मिलियन मील की दूरी पर होगा। फिलहाल हमारी धरती को कोई खतरा नहीं है। लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक, समय के साथ गुरुत्वाकर्षण के असर से एस्टेरॉयड की दिशा बदल सकती है और ऐसा होने पर उसके धरती से टकराने की आशंका बढ़ जाती है। अंतरिक्ष मामलों के जानकार डॉ। ब्रूस बेट्स ने ऐसे एस्टेरॉयड को लेकर कहा है कि छोटे एस्टेरॉयड कुछ मीटर के होते हैं और ये अक्सर वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं। ऐसे में इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है। साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था। वहीं एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था।