Farmers Protest / शीर्ष अदालत ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लागू करने पर लगाई रोक, जानिए आखिर क्या संशोधन निकला

नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) और किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सुनवाई की, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी। इसके साथ ही कोर्ट ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की केंद्र सरकार की अर्जी पर किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Vikrant Shekhawat : Jan 12, 2021, 02:19 PM
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) और किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सुनवाई की, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी। इसके साथ ही कोर्ट ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की केंद्र सरकार की अर्जी पर किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मसले पर सोमवार को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने किया कमेटी का गठन

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए इस मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया, जिसमें कुल चार लोग शामिल होंगे। कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल धनवत शामिल हैं।

किसान, केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने 26 नवंबर से इन कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और दिल्ली आने वाली सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसानों की जमीन बेच दी जाएंगी: वकील

सुप्रीम कोर्ट में किसानों की ओर से वकील एमएल शर्मा ने बहस की शुरुआत की और कहा कि किसान कमेटी के पक्ष में नहीं हैं और हम कानूनों की वापसी ही चाहते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन बेच दी जाएंगी। इसके बाद चीफ जस्टिस ने वकील से पूछा कि ये कौन कह रहा है कि जमीन बिक जाएंगी? फिर एमएल शर्मा ने कहा कि अगर हम कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट करेंगे और फसल क्वालिटी अच्छी नहीं हुई तो कंपनी उनसे भरपाई मांगेगी। इस पर CJI ने कहा कि हम अंतरिम आदेश में कहेंगे कि जमीन को लेकर कोई कांट्रेक्ट नहीं होगा।

'अनिश्चितकालीन प्रदर्शन से हल नहीं निकलेगा'

चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास जाएं, हम इस मुद्दे का हल चाहते हैं और अनिश्चितकालीन प्रदर्शन से हल नहीं निकलेगा।' उन्होंने कहा, 'कोई भी हमें कमेटी बनाने से नहीं रोक सकता है। जो कमेटी बनेगी, वो हमें रिपोर्ट देगी।' CJI ने कहा कमेटी हम अपने लिए बना रहे है और कमेटी हमें रिपोर्ट देगी। कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कल मरने की बजाय आज मरने को तैयार हैं। CJI ने कहा कि हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे। हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल है। कानूनों के अमल को स्थगित रखना हमारे हाथ में है। लोग बाकी मसले कमेटी के सामने उठा सकते हैं।