Vikrant Shekhawat : Jan 02, 2020, 12:42 PM
जयपुर: प्रदेश में जल्द ही दो नए टाइगर रिजर्व बनाए जाएंगे। वन विभाग ने कुंभलगढ़ और रामगढ़ विषधारी को नया टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। राज्य सरकार की अनुमति मिलते ही दोनों टाइगर रिजर्व को लेकर अधिसूचना जारी की जाएगी। दो नए रिजर्व बनने के बाद प्रदेश में कुल 5 टाइगर रिजर्व हो जाएंगे। टेरीटरी की तलाश में टाइगर रिज़र्व से बाहर निकल रहे:
रणथंभौर टाइगर रिज़र्व से लगातार टाइगर नई टेरीटरी की तलाश में टाइगर रिज़र्व से बाहर निकल रहे हैं। बूंदी के रामगढ़ विषधारी कॉरिडोर में फिलहाल 4 बाघों का मूवमेंट बताया जा रहा है। टाइगर का रिज़र्व से बाहर निकलना उसकी जान पर खतरा बन सकता है रामगढ़ विषधारी को फिलहाल टाइगर रिज़र्व का दर्जा नहीं है। हालांकि रामगढ़ को भी टाइगर रिज़र्व बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। वहीं 1280 स्क्वायर किलोमीटर के वन्य क्षेत्र वाला कुम्भलगढ़ की भी टाइगर को लेकर प्रतीक्षा जल्द समाप्त होने वाली है। कुम्भलगढ़ में 350 स्क्वायर किलोमीटर का सघन वन क्षेत्र या कोर हैबिटैट है जिसमें प्रे बेस की संख्या भी काफी अच्छी है। यहां के प्रे बेस की संख्या को बढ़ाने के लिए ग्रास लैंड भी विकसित किए जा रहे हैं। प्रे बेस मैनेजमेंट को बेहतर ढंग से संपादित किया जा रहा है। कुम्भलगढ़ को टाइगर रिज़र्व बनाने की मांग:
आपको बता दें कुम्भलगढ़ को टाइगर रिज़र्व बनाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ। सी। पी। जोशी ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अवगत कराया था जिसके बाद मामला आगे बढ़ा व वन विभाग के जयपुर में बैठे अफसरों नें कुम्भलगढ़ का प्रस्ताव भी डी। एफ। ओ। राजसमंद से मंगवा लिया था। पिछले दिनों चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने भी मुकंदरा और रामगढ़ विषधारी का दौरा कर यहां नए टाइगर रिजर्व की संभावनाओं पर चर्चा की थी। वैसे बाघों की संख्या के हिसाब से दोनों को रिजर्व घोषित किया जाना भी गलत नहीं होगा। मेवाड़ और मारवाड़ के कई वन्यजीव प्रेमियों की भी कुम्भलगढ़ को टाइगर रिज़र्व बनाने की मांग है। सूत्रों के अनुसार बूंदी के रामगढ़ विषधारी में करीब 8 गांव हैं जिसमें करीब 5000 से ज्यादा लोग रह रहे हैं इनके विस्थापन के विषय प्रयास तेज हो गए हैं। कुंभलगढ़ टाइगर रिज़र्व मेवाड़ और मारवाड़ के बीच पहला टाइगर रिज़र्व होगा:
कुम्भलगढ़ के प्रस्तावित कोर या क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट में न के बराबर मानवीय हस्तक्षेप है। इसलिए राज्य सरकार की मंशा भी कुम्भलगढ़ और रामगढ़ विषधारी को टाइगर रिज़र्व बनाने की है। कुंभलगढ़ टाइगर रिज़र्व मेवाड़ और मारवाड़ के बीच पहला टाइगर रिज़र्व होगा। जैसे बाघ विहीन हो चुके सरिस्का में एयर लिफ्ट करके टाइगर लाये थे वैसे ही कुम्भलगढ़ में भी लाये जा सकते हैं। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार नए टाइगर रिज़र्व बनाने के प्रयास कर रहा है, लेकिन राजस्थान इस मामले को लेकर पिछड़ता नज़र आ रहा था। जब मध्यप्रदेश व राजस्थान दोनों में कोंग्रेस की सरकारें हैं तो एन। टी। सी। ए। से अनुमति के बाद सामंजस्य बैठा कर मध्यप्रदेश से भी टाइगर राजस्थान के नए क्षेत्रों में लाये जा सकते हैं। जिससे इन ब्रीडिंग की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है। जानकारों का मानना है कि राजस्थान में बाहर के बाघों को भी लाया जाए। कुम्भलगढ़ वह रामगढ़ विषधारी को अगर टाइगर रिज़र्व बनाया जाता है तो यहां आसानी से करीब 40-45 बाघों को बसाया जा सकता है। सरकार को बाघों के नए क्षेत्र विकसित करने में तत्परता दिखानी होगी, क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि लापरवाही टाईगर की जान पर भारी पड़ जाए। अब क्योंकि प्रस्ताव वन विभाग की ओर से जा चुका है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही प्रदेश में 2 नए टाइगर रिजर्व देखने को मिलेंगे।
रणथंभौर टाइगर रिज़र्व से लगातार टाइगर नई टेरीटरी की तलाश में टाइगर रिज़र्व से बाहर निकल रहे हैं। बूंदी के रामगढ़ विषधारी कॉरिडोर में फिलहाल 4 बाघों का मूवमेंट बताया जा रहा है। टाइगर का रिज़र्व से बाहर निकलना उसकी जान पर खतरा बन सकता है रामगढ़ विषधारी को फिलहाल टाइगर रिज़र्व का दर्जा नहीं है। हालांकि रामगढ़ को भी टाइगर रिज़र्व बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। वहीं 1280 स्क्वायर किलोमीटर के वन्य क्षेत्र वाला कुम्भलगढ़ की भी टाइगर को लेकर प्रतीक्षा जल्द समाप्त होने वाली है। कुम्भलगढ़ में 350 स्क्वायर किलोमीटर का सघन वन क्षेत्र या कोर हैबिटैट है जिसमें प्रे बेस की संख्या भी काफी अच्छी है। यहां के प्रे बेस की संख्या को बढ़ाने के लिए ग्रास लैंड भी विकसित किए जा रहे हैं। प्रे बेस मैनेजमेंट को बेहतर ढंग से संपादित किया जा रहा है। कुम्भलगढ़ को टाइगर रिज़र्व बनाने की मांग:
आपको बता दें कुम्भलगढ़ को टाइगर रिज़र्व बनाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ। सी। पी। जोशी ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अवगत कराया था जिसके बाद मामला आगे बढ़ा व वन विभाग के जयपुर में बैठे अफसरों नें कुम्भलगढ़ का प्रस्ताव भी डी। एफ। ओ। राजसमंद से मंगवा लिया था। पिछले दिनों चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने भी मुकंदरा और रामगढ़ विषधारी का दौरा कर यहां नए टाइगर रिजर्व की संभावनाओं पर चर्चा की थी। वैसे बाघों की संख्या के हिसाब से दोनों को रिजर्व घोषित किया जाना भी गलत नहीं होगा। मेवाड़ और मारवाड़ के कई वन्यजीव प्रेमियों की भी कुम्भलगढ़ को टाइगर रिज़र्व बनाने की मांग है। सूत्रों के अनुसार बूंदी के रामगढ़ विषधारी में करीब 8 गांव हैं जिसमें करीब 5000 से ज्यादा लोग रह रहे हैं इनके विस्थापन के विषय प्रयास तेज हो गए हैं। कुंभलगढ़ टाइगर रिज़र्व मेवाड़ और मारवाड़ के बीच पहला टाइगर रिज़र्व होगा:
कुम्भलगढ़ के प्रस्तावित कोर या क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट में न के बराबर मानवीय हस्तक्षेप है। इसलिए राज्य सरकार की मंशा भी कुम्भलगढ़ और रामगढ़ विषधारी को टाइगर रिज़र्व बनाने की है। कुंभलगढ़ टाइगर रिज़र्व मेवाड़ और मारवाड़ के बीच पहला टाइगर रिज़र्व होगा। जैसे बाघ विहीन हो चुके सरिस्का में एयर लिफ्ट करके टाइगर लाये थे वैसे ही कुम्भलगढ़ में भी लाये जा सकते हैं। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार नए टाइगर रिज़र्व बनाने के प्रयास कर रहा है, लेकिन राजस्थान इस मामले को लेकर पिछड़ता नज़र आ रहा था। जब मध्यप्रदेश व राजस्थान दोनों में कोंग्रेस की सरकारें हैं तो एन। टी। सी। ए। से अनुमति के बाद सामंजस्य बैठा कर मध्यप्रदेश से भी टाइगर राजस्थान के नए क्षेत्रों में लाये जा सकते हैं। जिससे इन ब्रीडिंग की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है। जानकारों का मानना है कि राजस्थान में बाहर के बाघों को भी लाया जाए। कुम्भलगढ़ वह रामगढ़ विषधारी को अगर टाइगर रिज़र्व बनाया जाता है तो यहां आसानी से करीब 40-45 बाघों को बसाया जा सकता है। सरकार को बाघों के नए क्षेत्र विकसित करने में तत्परता दिखानी होगी, क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि लापरवाही टाईगर की जान पर भारी पड़ जाए। अब क्योंकि प्रस्ताव वन विभाग की ओर से जा चुका है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही प्रदेश में 2 नए टाइगर रिजर्व देखने को मिलेंगे।