AajTak : Sep 10, 2020, 08:34 AM
Delhi: ICICI बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया है। आखिर दीपक कोचर को गिरफ्तार करने की नौबत क्यों आई, क्या है पूरा मामला? आइये इसे समझते हैं।।।
मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला पिछले साल जनवरी में दर्ज हुआ था। इसमें आरोप था कि ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच जो डील हुई है उसमें मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। कोचर पति-पत्नी के खिलाफ इनकम टैक्स, सीबीआई, ईडी, एसएफआईओ जैसी कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक खत लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था। इसमें दावा है कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी 'नूपावर' में अपना पैसा निवेश किया।अरविंद गुप्ता ने 3,250 करोड़ और 660 करोड़ रुपये के वीडियोकॉन समूह को दिये दो लोन पर सवाल उठाये और आरोप लगाया कि इसके बदले चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी नूपावर रीन्यूएबल्स में 325 करोड़ रुपये और 66 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग की गई। आरोप है कि इस तरह चंदा कोचर ने अपने पति की कंपनी के लिए वेणुगोपाल धूत को लाभ पहुंचाया। साल 2018 में यह खुलासा होने के बाद चंदा कोचर को बैंक से इस्तीफा देना पड़ा था। सीबीआई ने पहले फरवरी, 2018 में इस मामले में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। साल 2019 में आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही जस्टिस बी।एन। श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट आई। समिति ने अपनी जांच में पाया कि वीडियोकोन को कर्ज देने के मामले में कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया है। कोचर की स्वीकृति पर इस कर्ज का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक की मालिकाना हक वाली कंपनी को दिया गया।इससे पहले 24 जनवरी 2019 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वीडियोकॉन ग्रुप और आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े 3,250 करोड़ रुपए के कर्ज मामले में चार कंपनियों के अलावा, चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और उद्योगपति वी।एन। धूत के खिलाफ मामला दर्ज किया। सीबीआई की एफआईआर में चंदा कोचर के 1 मई 2009 में पदभार संभालने के बाद से अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है।इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चंदा कोचर पर बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने चंदा कोचर और उनके परिवार की संपत्ति जब्त कर ली। आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व अधिकारी की कुल 78 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जिसमें मुंबई में उनका घर और उनके पति की कंपनी की कुछ संपत्ति शामिल हैवीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर आईसीआईसीआई बैंक से कर्ज की मंजूरी के बदले में अपनी कंपनी सुप्रीम इनर्जी के माध्यम से न्यूपावर रिन्यूएबल्स लिमिटेड में निवेश किया। वीडियोकॉन समूह को दिए गए कुल कर्ज 40,000 करोड़ रुपये के एक बड़े हिस्से की 2017 के आखिर में वसूली नहीं हो पाई और बैंक ने 2,810 करोड़ रुपये के कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया।सीबीआई की एफआईआर में नूपावर रिन्यूबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिडेट (एसईपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईली) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीईएल) को नामजद किया गया है।
मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला पिछले साल जनवरी में दर्ज हुआ था। इसमें आरोप था कि ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच जो डील हुई है उसमें मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। कोचर पति-पत्नी के खिलाफ इनकम टैक्स, सीबीआई, ईडी, एसएफआईओ जैसी कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक खत लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था। इसमें दावा है कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी 'नूपावर' में अपना पैसा निवेश किया।अरविंद गुप्ता ने 3,250 करोड़ और 660 करोड़ रुपये के वीडियोकॉन समूह को दिये दो लोन पर सवाल उठाये और आरोप लगाया कि इसके बदले चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी नूपावर रीन्यूएबल्स में 325 करोड़ रुपये और 66 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग की गई। आरोप है कि इस तरह चंदा कोचर ने अपने पति की कंपनी के लिए वेणुगोपाल धूत को लाभ पहुंचाया। साल 2018 में यह खुलासा होने के बाद चंदा कोचर को बैंक से इस्तीफा देना पड़ा था। सीबीआई ने पहले फरवरी, 2018 में इस मामले में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। साल 2019 में आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही जस्टिस बी।एन। श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट आई। समिति ने अपनी जांच में पाया कि वीडियोकोन को कर्ज देने के मामले में कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया है। कोचर की स्वीकृति पर इस कर्ज का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक की मालिकाना हक वाली कंपनी को दिया गया।इससे पहले 24 जनवरी 2019 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वीडियोकॉन ग्रुप और आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े 3,250 करोड़ रुपए के कर्ज मामले में चार कंपनियों के अलावा, चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और उद्योगपति वी।एन। धूत के खिलाफ मामला दर्ज किया। सीबीआई की एफआईआर में चंदा कोचर के 1 मई 2009 में पदभार संभालने के बाद से अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है।इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चंदा कोचर पर बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने चंदा कोचर और उनके परिवार की संपत्ति जब्त कर ली। आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व अधिकारी की कुल 78 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जिसमें मुंबई में उनका घर और उनके पति की कंपनी की कुछ संपत्ति शामिल हैवीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर आईसीआईसीआई बैंक से कर्ज की मंजूरी के बदले में अपनी कंपनी सुप्रीम इनर्जी के माध्यम से न्यूपावर रिन्यूएबल्स लिमिटेड में निवेश किया। वीडियोकॉन समूह को दिए गए कुल कर्ज 40,000 करोड़ रुपये के एक बड़े हिस्से की 2017 के आखिर में वसूली नहीं हो पाई और बैंक ने 2,810 करोड़ रुपये के कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया।सीबीआई की एफआईआर में नूपावर रिन्यूबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिडेट (एसईपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईली) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीईएल) को नामजद किया गया है।