New Criminal Laws / 'आज से अंग्रेजों के बनाए कानून निरस्त हुए'- नए कानूनों पर बोले गृहमंत्री अमित शाह

Vikrant Shekhawat : Jul 01, 2024, 02:25 PM
New Criminal Laws: देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए आज सोमवार से 3 नए कानूनों को लागू कर दिया गया है. विपक्ष नए कानून को लेकर हमला कर रहा है तो सत्ता पक्ष इसके फायदे गिना रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि औपनिवेशिक कानून का दौर अब खत्म हो गया है. अब देश में दंड की जगह न्याय मिलेगा. देरी की जगह त्वरित सुनवाई होगी. राजद्रोह कानून को भी खत्म कर दिया गया है. अमित शाह ने कहा, “देश की जनता को मैं बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) अब पूरी तरह से स्वदेशी हो रही है और भारतीय मूल्यों के आधार पर चलेगी. 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया.”

‘त्वरित सुनवाई होगी, त्वरित न्याय मिलेगा’

उन्होंने आगे कहा, “आज से जब ये कानून लागू हो गए हैं, तो लंबे समय से चले आ रहे औपनिवेशिक कानूनों को खत्म कर दिया गया है और भारतीय संसद में बने कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है. देश में दंड की जगह न्याय लेगा. देरी की जगह लोगों को अब स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा. पहले सिर्फ पुलिस के अधिकार सुरक्षित थे लेकिन अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकार भी सुरक्षित होंगे.”

‘राजद्रोह’ कानून को खत्म किए जाने की बात कहते हुए अमित शाह ने कहा, “राजद्रोह एक ऐसा कानून था, जिसे अंग्रेजों ने अपने शासन की रक्षा के लिए बनाया था. महात्मा गांधी, तिलक और सरदार पटेल… इन सभी ने इसी कानून के तहत 6-6 साल की सजा काटी थी. इसी कानून के तहत केसरी पर प्रतिबंध भी लगाया गया था. लेकिन अब हमने राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया ​है और इसकी जगह देश-विरोधी हरकतों के लिए नई धारा लेकर आए हैं.”

1 जुलाई से लागू हो गए 3 नए कानून

इससे पहले देश में आज सोमवार (1 जुलाई) को बड़े बदलाव के तहत 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए. माना जा रहा है कि इससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव होंगे. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 अब देशभर में प्रभावी हो गए हैं. इन तीनों नए कानून ने अब ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) की जगह ली है.

देश में अब से सभी नई एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत दर्ज की जाएंगी. हालांकि, जो मामले एक जुलाई से पहले दर्ज किए गए हैं उनके अंतिम निपटारे होने तक उन केसों में पुराने कानूनों के तहत केस चलते रहेंगे.

न्याय संहिता में 358 धाराएं

अमित शाह ने कहा कि नए कानून भारत की संसद ने बनाए हैं। नए कानून से ट्रायल में कमी आएगी। पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब दंड की जगह न्याय पर जोर है। भारतीय कानून के अनुसार अब तक भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी। यह दंड संहिता 1860 में बनी थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद की मंजूरी मिली। भारतीय दंड संहिता (IPC) 511 धाराएं थीं। वहीं, भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में 167 प्रावधान थे। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।

अब दंड नहीं न्याय मिलेगा

तीन नए आपराधिक कानूनों पर बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा "सबसे पहले मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देना चाहूंगा कि आजादी के लगभग 77 साल बाद हमारी अपराधी न्याय प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी हो गई है। यह भारतीय मूल्यों पर काम करेगी। 75 साल बाद इन कानूनों पर चर्चा की गई और आज जब ये कानून प्रभावी हो रहे हैं तो ब्रिटिश काल के कानून पूरी तरह से खत्म हो रहे हैं। अब भारतीय संसद में बने नियम प्रभावी होंगे। दंड की जगह अब न्याय मिलेगा। अब देरी की बजाय तेजी से सुनवाई होगी और जल्द न्याय मिलेगा। पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों का बचाव होता था, लेकिन अब पीड़ित और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी सुरक्षा होगी।"

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