News18 : Jul 10, 2020, 04:18 PM
नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत पहल (Atmanirbhar Bharat Initiative) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार अब सीमा शुल्क बढ़ाने (Custom Duty Hike) पर विचार कर रही है। इसके लिए सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श समिति का गठन भी कर दिया है। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के निर्देश के बाद सरकार ने नये सिरे से सीमा शुल्क का मूल्यांकन शुरू कर दिया है।' CNBC-TV18 को सूत्र ने यह भी कहा, 'सरकार अब चाहती है कि आयात से संबंध रखने वाले सभी प्रमुख मंत्रालय व विभाग सीमा शुल्क का मूल्यांकन करें और जरूरी सुझाव दें।'
पीएमओ और वित्त मंत्रालय के बीच बैठकइन्हें निर्देश में कहा गया है कि स्टेकहोल्डर्स से परामर्श करने के बाद ही अगले कुछ दिन में अपना सुझाव सबमिट करें। सूत्र ने यह भी बताया कि आगामी 13 जुलाई को PMO और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक होगी, जिसमें राजस्व स्थिति पर चर्चा की जाएगी।
इन मंत्रालयों और विभागों से किया गया संपर्कसीमा शुल्क को लेकर राजस्व विभाग (Department of Revenue) द्वारा जिन मंत्रालयों व विभागों से संपर्क किया गया है, उसमें फॉर्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, न्यू एंड रिन्यूवेबल एनर्जी, हेवी इंंडस्ट्री, टेक्सटाइल्स, केमिकल्स एंड फर्टीलाइजर्स और कॉमर्स मंत्रालय भी शामिल हैंइन मंत्रालयों और विभागों से कहा गया है कि वो उन आइटम्स की लिस्ट के साथ विस्तृत रिपोर्ट भी दें, जिससे पता चल सके कि अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर होगा और सीमा शुल्क में कितनी बढ़ोतरी की जा सकती है।दरअसल, सरकार ऐसा कदम इसलिए उठा रही है ताकि आयात को कम किया जा सके और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में और आगे बढ़ा जा सके। आमतौर पर ऐसी प्रक्रिया बजट से पहले उठाए जाने वाले प्रयासों में की जाती है, लेकिन इस बार यह साफ है कि भारत अब आयात कम करने की दिशा में काम कर रहा है। साथ ही अपनी जरूरतों को पूरा करने और निर्यात को बढ़ाने के लिए घरेलू स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहता है।बंदरगाहों पर भीड़ से कई सेक्टर्स पर असरइस बीच बंदरगाहों पर भीड़ की समस्या अभी भी बनी हुई है। बता दें कि चीनी उत्पादों के आयात की समीक्षा करने की वजह से यह भीड़ बढ़ गई है। 9 दिन पहले ही कस्टम विभाग ने चीनी उत्पादों की समीक्षा करने के बाद इन्हें क्लियर करना शुरू कर दिया था। लेकिन, इसके बाद भी यहां करीब 20 से 25 दिन पहले आयात किए गए माल जमा हो चुके हैं। बंदरगाहों पर इस देरी की वजह से फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल हैंडसेट मैन्युफैक्चरर्स, MSME, केमिकल्स और फर्टीलाइजर्स सेक्टर्स पर असर पड़ा है।
पीएमओ और वित्त मंत्रालय के बीच बैठकइन्हें निर्देश में कहा गया है कि स्टेकहोल्डर्स से परामर्श करने के बाद ही अगले कुछ दिन में अपना सुझाव सबमिट करें। सूत्र ने यह भी बताया कि आगामी 13 जुलाई को PMO और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक होगी, जिसमें राजस्व स्थिति पर चर्चा की जाएगी।
इन मंत्रालयों और विभागों से किया गया संपर्कसीमा शुल्क को लेकर राजस्व विभाग (Department of Revenue) द्वारा जिन मंत्रालयों व विभागों से संपर्क किया गया है, उसमें फॉर्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, न्यू एंड रिन्यूवेबल एनर्जी, हेवी इंंडस्ट्री, टेक्सटाइल्स, केमिकल्स एंड फर्टीलाइजर्स और कॉमर्स मंत्रालय भी शामिल हैंइन मंत्रालयों और विभागों से कहा गया है कि वो उन आइटम्स की लिस्ट के साथ विस्तृत रिपोर्ट भी दें, जिससे पता चल सके कि अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर होगा और सीमा शुल्क में कितनी बढ़ोतरी की जा सकती है।दरअसल, सरकार ऐसा कदम इसलिए उठा रही है ताकि आयात को कम किया जा सके और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में और आगे बढ़ा जा सके। आमतौर पर ऐसी प्रक्रिया बजट से पहले उठाए जाने वाले प्रयासों में की जाती है, लेकिन इस बार यह साफ है कि भारत अब आयात कम करने की दिशा में काम कर रहा है। साथ ही अपनी जरूरतों को पूरा करने और निर्यात को बढ़ाने के लिए घरेलू स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहता है।बंदरगाहों पर भीड़ से कई सेक्टर्स पर असरइस बीच बंदरगाहों पर भीड़ की समस्या अभी भी बनी हुई है। बता दें कि चीनी उत्पादों के आयात की समीक्षा करने की वजह से यह भीड़ बढ़ गई है। 9 दिन पहले ही कस्टम विभाग ने चीनी उत्पादों की समीक्षा करने के बाद इन्हें क्लियर करना शुरू कर दिया था। लेकिन, इसके बाद भी यहां करीब 20 से 25 दिन पहले आयात किए गए माल जमा हो चुके हैं। बंदरगाहों पर इस देरी की वजह से फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल हैंडसेट मैन्युफैक्चरर्स, MSME, केमिकल्स और फर्टीलाइजर्स सेक्टर्स पर असर पड़ा है।