दुनिया / मंगल पर जगी जीवन की उम्मीद, NASA के वैज्ञानिकों को चट्टान में मिला नमक

NASA ने हाल ही में मंगल ग्रह से चट्टानी सैंपल कलेक्ट किए हैं. सैंपल्स के जरिए चट्टानों में मौजूद खनिजों के सीक्वेंस और इनके बनने के वक्त पर्यावरण के हालात के बारे में पता लगाया जा सकेगा. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने हाल ही में मंगल ग्रह से चट्टानी सैंपल कलेक्ट किए हैं. स्पेस एजेंसी ने शुक्रवार बताया कि रोवर को कुछ सैंपल मिले हैं.वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे यहां जीवन की उम्मीद भी बढ़ जाती है.

Vikrant Shekhawat : Sep 11, 2021, 05:03 PM
NASA ने हाल ही में मंगल ग्रह से चट्टानी सैंपल कलेक्ट किए हैं. सैंपल्स के जरिए चट्टानों में मौजूद खनिजों के सीक्वेंस और इनके बनने के वक्त पर्यावरण के हालात के बारे में पता लगाया जा सकेगा. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने हाल ही में मंगल ग्रह से चट्टानी सैंपल कलेक्ट किए हैं. स्पेस एजेंसी ने शुक्रवार बताया कि रोवर को कुछ सैंपल मिले हैं. नासा के मुताबिक, ये सैंपल संकेत देते हैं कि एक वक्त ऐसा था जब Jezero Crater पर जीवन के लायक पर्यावरण मौजूद था.

Jezero Crater से सैंपल

स्पेस एजेंसी ने बताया कि ये कोर सैंपल ज्वालामुखी से निकले लावा से बनी चट्टान का संकेत देता है. ये Basaltic है, जिसमें सिलिका कम लेकिन लोहा और मैग्नीशियम ज्यादा होता है. NASA ने अपने मिशन के लिए Jezero Crater को चुना है क्योंकि, रिसर्च में ये संभावना जताई गई है कि कभी यहां पानी हुआ करता था. अब नए सैंपल के ​जरिए इस बात को जानने में मदद मिल सकती है कि ये प्राचीन झील कब बनी और कब गायब हो गई.

जीवन की उम्मीद

वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे यहां जीवन की उम्मीद भी बढ़ जाती है. रोवर के लिए गए सैंपल और पहले जिन चट्टानों से सैंपल लिया गया था, दोनों को देखकर वैज्ञानिक इस बात का अनुमान लगा रहे हैं कि यहां भूमिगत जल काफी वक्त तक रहा होगा. मिशन के प्रोग्राम साइंटिस्ट मिच शूल्ट ने कहा कि इन सैंपल्स के जरिए चट्टानों में मौजूद खनिजों के सीक्वेंस और इनके बनने के वक्त पर्यावरण के हालात के बारे में पता लगाया जा सकेगा.

चट्टानों के सैंपल में नमक 

वैज्ञानिकों की टीम के मुताबिक, चट्टानों के सैंपल में ऐसे नमक मिले हैं जो तब बने होंगे जब भूमिगत जल ने ओरिजनल खनिजों को बदल दिया होगा. संभव है कि पानी के भाप बनने के बाद नमक बचा रह गया हो. NASA ने बताया है कि नमक में शायद पानी भी रहा होगा. इन्हें 'टाइम कैप्सूल' के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे मंगल की जलवायु और यहां जीवन की संभावना के बारे में पता लगाया जा सकता है.