WTC Final / IPL का भारत की गेंदबाजी पर असर? दो दिन के अंदर ओवल में दिखा अंतर

पिछले कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट को लेकर एक ट्रेंड उभरकर सामने आया है. जब भी टीम इंडिया का प्रदर्शन ख़राब होता है, आलोचक और टीम के फैन सीधे इंडियन प्रीमियर लीग पर दोष मढ़ने लगते हैं. आम तौर पर ये बेतुका ही रहता है, लेकिन कुछ मौक़ों पर ये सही भी लगता है, जैसा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल, जहां ऑस्ट्रेलिया के सामने भारत की हालत ख़राब है. लंदन के ओवल मैदान में खेले जा रहे इस फाइनल में पहले तो भारत की गेंदबाज

Vikrant Shekhawat : Jun 09, 2023, 08:01 AM
WTC Final: पिछले कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट को लेकर एक ट्रेंड उभरकर सामने आया है. जब भी टीम इंडिया का प्रदर्शन ख़राब होता है, आलोचक और टीम के फैन सीधे इंडियन प्रीमियर लीग पर दोष मढ़ने लगते हैं. आम तौर पर ये बेतुका ही रहता है, लेकिन कुछ मौक़ों पर ये सही भी लगता है, जैसा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल, जहां ऑस्ट्रेलिया के सामने भारत की हालत ख़राब है.

लंदन के ओवल मैदान में खेले जा रहे इस फाइनल में पहले तो भारत की गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया को छोटे स्कोर पर रोकने में नाकाम रहे. ऑस्ट्रेलिया ने 469 रन बनाये. फिर बल्लेबाज़ों की मकानी सामने आयी और सिर्फ़ 151 रन पर 5 विकेट गिर गए.

IPL के दो महीनों का बॉलर्स पर असर

पहली नजर में इसे दोनों टीमों की बल्लेबाजी का फ़र्क़ समझा जा सकता है. इसका दूसरा लेकिन सबसे अहम पहलू गेंदबाज़ी में छुपा है और इसके तार काफ़ी हद तक आईपीएल से जुड़े हैं. असल में 7 जून से शुरू हुए इस खिताबी मुक़ाबले से क़रीब 10 दिन पहले तक टीम इंडिया के खिलाड़ी आईपीएल में खेल रहे थे. वो भी पिछले 2 महीने से.

इसका असर भारतीय खिलाड़ियों, ख़ास तौर पर गेंदबाज़ों पर पड़ा. टीम इंडिया इस फाइनल में चार तेज गेंदबाजों के साथ उतरी- मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, उमेश यादव और शार्दुल ठाकुर. ये चारों ही गेंदबाज आईपीएल में अपनी-अपनी टीमों का खास हिस्सा थे. शमी ने इस दौरान 17, सिराज ने 14, शार्दुल ने 11 और उमेश ने 8 मैच खेले. उमेश तो बीच में कुछ वक्त के लिए चोटिल भी थे.

अचानक बदलाव से दिखी थकान

यानी लगातार क्रिकेट मैदान पर दो महीने से ये सभी डटे हुए थे. शमी को छोड़कर बाकी तीन फाइनल से 2 हफ्ते पहले ही लंदन पहुंचे, जबकि शमी सबसे आखिर में 1-2 तारीख के बीच. इस बीच कोई अभ्यास मैच भी नहीं खेला गया. नेट्स पर जमकर अभ्यास हुआ लेकिन लगातार दो महीने तक सिर्फ 4-4 ओवरों के स्पैल करने से अचानक टेस्ट क्रिकेट में, वो भी बदली हुई परिस्थितियों में कई ओवरों की गेंदबाजी करने का असर पहले दिन ही साफ दिखाई दिया.

तीसरे सेशन तक भारतीय गेंदबाज थके हुए नजर आ रहे थे और गेंदबाजी की धार कुंद पड़ गई थी और इसका फायदा ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने ज्यादा से ज्यादा रन बटोरकर उठाया.

ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज एकदम तरो-ताजा

ये बातें यहां इसलिए कही जा रही हैं क्योंकि इसके उलट ऑस्ट्रेलिया के 4 तेज गेंदबाजों में से प्रमुख तीन- मिचेल स्टार्क, पैट कमिंस और स्कॉट बोलैंड इस दौरान क्रिकेट से दूर थे.इन तीनों ने मार्च में भारत दौरे के बाद से कोई क्रिकेट नहीं खेला और आराम करते हुए खुद को तरो-ताजा रखा. इसका परिणाम दो दिनों के खेल के रूप में सामने है.

चाहें तो बल्लेबाजों को भी इसका दोष दिया जा सकता है. टीम इंडिया के सभी बल्लेबाज भी पूरे करीब दो महीने तक आईपीएल में सपाट पिचों और छोटी बाउंड्रियों वाले स्टेडियम में सफेद गेंदों का सामना कर रहे थे, जो मुश्किल से स्विंग होती है. इसके बाद सीधे ओवल में उछाल लेती और स्विंग होती लाल गेंद ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया.