इंडिया / NASA के ट्वीट करने पर बोले इसरो चीफ- हम पहले ही ढूंढ़ चुके थे विक्रम लैंडर का मलबा

नासा ने विक्रम लैंडर के चंद्रमा की सतह से टकराने वाली जगह के चित्र जारी करते हुए माना कि इस जगह का पता लगाने में सु्ब्रमण्यम की खास भूमिका रही है। इस पर इसरो प्रमुख का कहना है कि हमारे खुद के ऑरबिटर ने पहले ही विक्रम लैंडर ढूंढ़ लिया था। हमने हमारी वेबसाइट पर इसकी घोषणा भी की थी। आप पीछे जाकर देख भी सकते हैं। सु्ब्रमण्यम ने बहुत कम साधनों की मदद से यह कारनामा कर दिखाया।

NDTV : Dec 04, 2019, 10:34 AM
नई दिल्ली | भारत के शौकिया अंतरिक्ष वैज्ञानिक षनमुगा सुब्रमण्यम ने चेन्नई स्थित अपनी ‘प्रयोगशाला' में बैठकर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के अवशेषों को खोजने में नासा और इसरो दोनों को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के चंद्रमा की परिक्रमा लगाने वाले अंतरिक्ष यान द्वारा भेजे चित्रों की मदद से यह खोज की। नासा ने विक्रम लैंडर के चंद्रमा की सतह से टकराने वाली जगह के चित्र जारी करते हुए माना कि इस जगह का पता लगाने में सु्ब्रमण्यम की खास भूमिका रही है। सुब्रमण्यम मैकेनिकल इंजीनियर और ऐप डेवलपर हैं। इस पर इसरो प्रमुख का कहना है कि हम पहले ही ढूंढ़ चुके हैं। 

मंगलवार को इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा, 'हमारे खुद के ऑरबिटर ने पहले ही विक्रम लैंडर ढूंढ़ लिया था। हमने हमारी वेबसाइट पर इसकी घोषणा भी की थी। आप पीछे जाकर देख भी सकते हैं।'

सु्ब्रमण्यम ने बहुत कम साधनों की मदद से यह कारनामा कर दिखाया। मंदिरों के शहर मदुरै के इस निवासी ने कहा कि विक्रम के गिरने की जगह का पता लगाने के लिए उन्होंने दो लैपटॉप का इस्तेमाल किया। इसकी मदद से उन्होंने उपग्रह द्वारा भेजी गई पहले और बाद की तस्वीरों का मिलान किया। वह हर दिन एक शीर्ष आईटी फर्म में काम करने के बाद लौटने पर रात 10 बजे से दो बजे तक और फिर ऑफिस जाने से पहले सुबह आठ बजे से 10 बजे तक आंकड़ों का विश्लेषण करते। उन्होंने करीब दो महीने तक इस तरह आंकड़ों का विश्लेषण किया।

उन्होंने बताया कि नासा को ईमेल भेजने से पहले उन्हें पूरा भरोसा था कि उन्होंने पूरा विश्लेषण कर लिया है। यह पूछने पर कि उन्हें यह विश्लेषण करने के लिए किसने प्रेरित किया, उन्होंने बताया कि वह स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद से ही इसरो के उपग्रह प्रक्षेपण को बेहद ध्यान से देख रहे हैं। सुबमण्यम ने बताया, 'इन प्रक्षेपणों को देखने से मुझमें और अधिक तलाश करने की दिलचस्पी पैदा हुई। अपने कार्यालय (लेनोक्स इंडिया टेक्नालॉजी सेंटर) के समय के अलावा मैं इस बात पर नजर रखता था कि नासा और कैलिफोर्निया स्थित स्पेसेक्स क्या कर रहे हैं।'

इस दिलचस्पी के चलते ही उन्हें चंद्रमा से संबंधित उपग्रह डेटा पर काम करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग का संबंध रॉकेट साइंस से है, और इससे रॉकेट साइंस को समझने में मदद मिली। सुब्रमण्यम को उनके परिजन और दोस्त “शान” कहकर बुलाते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्होंने दुर्घटना स्थल की पहचान की और मेल भेजा, उन्हें नासा से जवाब आने की पूरी उम्मीद थी।