Vikrant Shekhawat : Jul 12, 2021, 06:45 AM
लंदन। इटली ने दूसरी बार यूरो कप का खिताब जीत लिया है। यूरो 2020 (Euro 2020) के फाइनल में टीम ने इंग्लैंड को पेनल्टी शूट आउट में 3-2 से हरा दिया। फुल टाइम तक स्काेर 1-1 से बराबर था। इंग्लैंड ने 55 साल से कोई खिताब नहीं जीता है। इटली ने इससे पहले 1968 में भी यूरो कप का खिताब जीता था। इटली 34 मैच से कोई मुकाबला नहीं हारी है।
लंदन के वेम्बले स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड ने बेहतरीन शुरुआत की। दूसरे ही मिनट में ल्यूक शॉ (Luke Shaw) ने गोल करके टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई। यह यूरो कप के इतिहास में फाइनल का सबसे तेज गोल है। ल्यूक शॉ ने 1 मिनट 57 सेकेंड में गोल कर दिया था। इससे पहले 1964 में स्पेन के जीसस मारिया ने रूस के खिलाफ फाइनल में छठे मिनट में गोल दागा था। 67वें मिनट में इटली के लियोनार्डो बोनुची ने गोल कर स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया। 34 साल 71 दिन के बोनुची फाइनल में गाेल करने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने। फुल टाइम तक स्काेर 1-1 से बराबर रहा। 30 मिनट के अतिरिक्त समय में भी दोनों टीमें गोल नहीं कर सकीं।दूसरी बार पेनल्टी ने निकला रिजल्टयूरो कप के इतिहास में दूसरी बार टूर्नामेंट का रिजल्ट पेनल्टी शूटआउट से निकला। इससे पहले 1976 में पेनल्टी ने रिजल्ट निकला था। पेनल्टी शूटआउट में इंग्लैंड की ओर हैरी कैन, हैरी मैगुओर ने गोल किए जबकि मार्कस रैशफोर्ड, जेडन सांचो और बुकायो साका गोल नहीं कर सके। वहीं इटली की ओर से डोमनिकाे बेरार्डी, लियोनार्डो बोनुची, फेडरिको ने गोल किया। आंद्रेई बेलोटी, जोर्गिन्हो गोल नहीं कर सके।
फाइनल में करियर का पहला गोल कियाइंग्लैंड की ओर से 16वां मुकाबला खेल रहे ल्यूक शॉ ने इससे पहले इंटरनेशनल मुकाबले में गोल नहीं किया था। लेफ्ट बैक से खेलने वाले इस खिलाड़ी ने इंग्लैंड की अंडर-16, अंडर-17 और अंडर-21 की ओर से भी मुकाबला खेला है। 25 साल के ल्यूक शॉ इंग्लिश प्रीमियर लीग में मैनचेस्टर यूनाइटेड की ओर से खेलते हैं। वे 2014 में क्लब से जुड़े थे। 128 मैच में दो गोल कर चुके हैं।
नहीं मिला नया चैंपियनइंग्लैंड यदि विजेता बनता तो यूरो को नया चैंपियन मिलता। 10 देश ही टूर्नामेंट का खिताब जीत सके हैं। जर्मनी और स्पेन ने सबसे ज्यादा 3-3 बार खिताब पर कब्जा किया। स्पेन और इटली दो-दो बार विजेता बने। इसके अलावा रूस, चेक रिपब्लिक, पुर्तगाल, नीदरलैंड्स, डेनमार्क और ग्रीस ने एक-एक बार टूर्नामेंट का खिताब जीता है। 2016 में पुर्तगाल ने पहली बार टूर्नामेंट का खिताब जीता था। लेकिन मौजूदा सीजन में टीम राउंड-16 में ही हारकर बाहर हो गई थी। कुल 24 टीमें टूर्नामेंट में उतरी थीं। 11 जून से टूर्नामेंट शुरू हुआ था।
लंदन के वेम्बले स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड ने बेहतरीन शुरुआत की। दूसरे ही मिनट में ल्यूक शॉ (Luke Shaw) ने गोल करके टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई। यह यूरो कप के इतिहास में फाइनल का सबसे तेज गोल है। ल्यूक शॉ ने 1 मिनट 57 सेकेंड में गोल कर दिया था। इससे पहले 1964 में स्पेन के जीसस मारिया ने रूस के खिलाफ फाइनल में छठे मिनट में गोल दागा था। 67वें मिनट में इटली के लियोनार्डो बोनुची ने गोल कर स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया। 34 साल 71 दिन के बोनुची फाइनल में गाेल करने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने। फुल टाइम तक स्काेर 1-1 से बराबर रहा। 30 मिनट के अतिरिक्त समय में भी दोनों टीमें गोल नहीं कर सकीं।दूसरी बार पेनल्टी ने निकला रिजल्टयूरो कप के इतिहास में दूसरी बार टूर्नामेंट का रिजल्ट पेनल्टी शूटआउट से निकला। इससे पहले 1976 में पेनल्टी ने रिजल्ट निकला था। पेनल्टी शूटआउट में इंग्लैंड की ओर हैरी कैन, हैरी मैगुओर ने गोल किए जबकि मार्कस रैशफोर्ड, जेडन सांचो और बुकायो साका गोल नहीं कर सके। वहीं इटली की ओर से डोमनिकाे बेरार्डी, लियोनार्डो बोनुची, फेडरिको ने गोल किया। आंद्रेई बेलोटी, जोर्गिन्हो गोल नहीं कर सके।
फाइनल में करियर का पहला गोल कियाइंग्लैंड की ओर से 16वां मुकाबला खेल रहे ल्यूक शॉ ने इससे पहले इंटरनेशनल मुकाबले में गोल नहीं किया था। लेफ्ट बैक से खेलने वाले इस खिलाड़ी ने इंग्लैंड की अंडर-16, अंडर-17 और अंडर-21 की ओर से भी मुकाबला खेला है। 25 साल के ल्यूक शॉ इंग्लिश प्रीमियर लीग में मैनचेस्टर यूनाइटेड की ओर से खेलते हैं। वे 2014 में क्लब से जुड़े थे। 128 मैच में दो गोल कर चुके हैं।
नहीं मिला नया चैंपियनइंग्लैंड यदि विजेता बनता तो यूरो को नया चैंपियन मिलता। 10 देश ही टूर्नामेंट का खिताब जीत सके हैं। जर्मनी और स्पेन ने सबसे ज्यादा 3-3 बार खिताब पर कब्जा किया। स्पेन और इटली दो-दो बार विजेता बने। इसके अलावा रूस, चेक रिपब्लिक, पुर्तगाल, नीदरलैंड्स, डेनमार्क और ग्रीस ने एक-एक बार टूर्नामेंट का खिताब जीता है। 2016 में पुर्तगाल ने पहली बार टूर्नामेंट का खिताब जीता था। लेकिन मौजूदा सीजन में टीम राउंड-16 में ही हारकर बाहर हो गई थी। कुल 24 टीमें टूर्नामेंट में उतरी थीं। 11 जून से टूर्नामेंट शुरू हुआ था।