World News / मंकीपॉक्स ने पसारे पैर, 70 से ज्यादा मामलों की पुष्टि, बेल्जियम में समलैंगिकों का फेस्टिवल बना सुपर स्प्रैडर

कोरोना महामारी के बाद दुनिया पर एक और घातक बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कुछ ही दिनों में मंकीपॉक्स के यूरोप में 100 से ज्यादा पुष्ट या संदिग्ध केस सामने आ चुके हैं। 11 से ज्यादा देशों में ये बीमारी फैल चुकी है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम समेत कई यूरोपीय देशों में 70 से ज्यादा केसों की पुष्टि हो चुकी है।

Vikrant Shekhawat : May 21, 2022, 07:48 AM
ब्रसेल्स। कोरोना महामारी के बाद दुनिया पर एक और घातक बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कुछ ही दिनों में मंकीपॉक्स के यूरोप में 100 से ज्यादा पुष्ट या संदिग्ध केस सामने आ चुके हैं। 11 से ज्यादा देशों में ये बीमारी फैल चुकी है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम समेत कई यूरोपीय देशों में 70 से ज्यादा केसों की पुष्टि हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जांच शुरू कर दी है। बेल्जियम में मंकीपॉक्स के तीन केसों की पुष्टि हुई है। इनके बारे में सामने आया है कि इनका संबंध समलैंगिकों के एक बड़े फेस्टिवल से हो सकता है। ये फेस्टिवल एंटवर्प शहर में हुआ था और इसमें काफी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया था।

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, बेल्जियम में 5 मई से डार्कलैंड नाम से एक फेस्टिवल हुआ था। ये फेस्टिवल चार दिनों तक चला था। इस फेस्टिवल के बारे में आयोजक बताते हैं कि इसमें कई क्लब और ऑर्गनाइजर हिस्सा लेते हैं। 150 से ज्यादा वॉलंटियर को शामिल किया जाता है। दिन में कमर्शियल इवेंट होते हैं। उसके बाद शाम की पार्टियां होती हैं। इसमें विभिन्न समलैंगिक समुदायों से जुड़े लोग हिस्सा लेते हैं। फेस्टिवल के आयोजकों ने आशंका जताई है कि बेल्जियम में जिन तीन लोगों में मंकीपॉक्स के लक्षण मिले हैं। उन्हें संभवतः ये बीमारी फेस्टिवल में विदेश से आए लोगों से लगी होगी क्योंकि हाल के समय में विदेश में मंकीपॉक्स के कई केस सामने आए हैं। सरकार के रिस्क असेसमेंट ग्रुप ने फेस्टिवल की जांच शुरू कर दी है।

बता दें कि मंकीपॉक्स मूलतः जानवरों में फैलने वाली बीमारी है। 1958 में पहली बार एक बंदर में ये बीमारी देखी गई थी। 1970 में पहली बार इंसान में इसके संक्रमण का पता चला था। यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर वायरल बीमारी है। ये संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। उसके आसपास ज्यादा देर तक रहने से भी ये बीमारी घेर सकती है। इसमें बुखार, दर्द और थकावट जैसे लक्षण दिखते हैं। शरीर पर पहले लाल चकत्ते और फिर फोड़े बन जाते हैं। चेचक जैसे दाने उभर आते हैं। WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है। जंगल के आसपास रहने वालों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। समलैंगिक सेक्स के जरिए भी ये बीमारी लोगों की अपनी चपेट में ले सकती है। इसका असर आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक रहता है। कुछ मामलों में यह गंभीर हो सकती है, लेकिन ज्यादातर में खुद ठीक हो जाती है।

भारत में अब तक मंकीपॉक्स का कोई संदिग्ध मरीज नहीं मिला है। हालांकि केंद्र सरकार ने इस बीमारी को लेकर अलर्ट रहने को कहा है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर को स्थिति पर नजर रखने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि एयरपोर्ट और बंदरगाहों पर स्वास्थ्य अधिकारी सचेत रहें और मंकीपॉक्स से प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों को अलग करके जांच करें। मंकीपॉक्‍स के लक्षणों वाले यात्रियों के सैंपल पुणे की नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में जांच के लिए भेजे जाएं।