Vikrant Shekhawat : Jul 03, 2020, 04:21 PM
Jaipur | आनन्दपाल के एनकाउंटर (Rajasthan Anandpal Singh Encounter) मामले पर राजस्थान सरकार के परिवहन एवं सैनिक कल्याण मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास (Rajasthan Minister Pratap Singh Khachariyawas) ने एक बड़ा बयान दिया है। जयपुर में मीडिया से बात करते हुए प्रताप सिंह ने कहा है कि ये मामला बड़ा गंभीर है। बड़े दु:ख की बात है। मुझे बड़ा आश्चर्य और दु:ख है कि आनंदपाल के परिवार को न्याय दिलाने के लिए जिन लोगों ने आंदोलन किया। उनकी मां, परिवार और बच्चे फर्जी एनकाउंटर की मांग कर रहे थे। समाज के लोग उनके साथ जुड़े। उन्हीं को मुकदमों में फंसा दिया। प्रतापसिंह ने इसे बीजेपी का सबसे बड़ा पाप बताया है।
मीडिया से मुखातिब प्रतापसिंह खाचरियावास ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आनन्दपाल प्रकरण में हत्या बताते हुए जांच की मांग की थी। जनता की मांग पर सीबीआई जांच (CBI Investigation) शुरू हुई थी, उस जांच में एनकाउंटर तो सही साबित कर दिया। परिवार को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे लोगों को मुकदमे में फंसा दिया। यह पहला इस तरह का मामला है कि न्याय मांगने वालों पर मुकदमे कर दिए। इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता। वे लोग आनंदपाल के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे थे। बीजेपी ने सीबीआई पर दबाव देते हुए चालाकी करते हुए आनंदपाल के एनकाउंटर को तो सही साबित कर दिया। तत्कालीन भाजपा की सरकार तब यहां थी और अब केन्द्र में है। जब जांच गई थी, तभी मुझे आशंका थी कि गड़बड़ होगी।
गौरतलब है कि आनंदपाल सिंह एनकाउंटर प्रकरण में 2 साल 6 माह बाद सीबीआई की जांच पूरी हुई। सीबीआई ने आनंदपाल सिंह एनकाउंटर के बाद हुई हिंसा में 24 लोगों को आरोपी माना है। आपको बता दें कि एनकाउंटर के बाद आनंदपाल के गांव सांवराद में हिंसा हुई थी. 2 साल 6 माह बाद CBI की जांच पूरी हुई है। CBI ने जोधपुर स्थित ACJM CBI मामलात की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। सीबीआई ने जांच पूरी करते हुए आनंदपाल एनकाउंटर को सही ठहराया है, जबकि 24 लोगों को सांवराद हिंसा में आरोपी माना है। उन पर दंगा भड़काने, तत्कालीन नागौर एसपी व महिला आइपीएस पर जानलेवा हमला करने, पुलिस वाहनों को जलाने का दोषी माना गया है।
राजनीतिक हलकों में चर्चाएं, राजपूत अब कांग्रेस की ओर जा सकता है
प्रतापसिंह खाचरियावास के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाएं शुरू हो गई है। चूंकि राजपूत और रावणा राजपूत बीजेपी का मूल वोट बैंक माना जाता है और बीजेपी की तत्कालीन राज्य सरकार ने तमाम राजपूत संगठनों के नेताओं समेत करीब बारह हजार लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज किया था। बाद में बीजेपी राजस्थान के राजपूत नेताओं ने इस मामले में आन्दोलनरत कुछ लोगों को अपने चुनाव में सपोर्ट के लिए मना लिया था। यहां तक कि राजपूत करणी सेना राष्ट्रीय ने तो खुले तौर पर अपने ही समाज के मानवेन्द्रसिंह की पत्नी के खिलाफ प्रचार किया और वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी को समर्थन दिया था। अब केन्द्र सरकार पर ये संगठन आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने सीबीआई पर दबाव डालकर उनके खिलाफ इस तरह की चार्जशीट पेश करवाई है ताकि पूरे समाज को बदनाम किया जा सके।
इस चार्जशीट में कुछ ऐसे भी लोगों के नाम है जो उम्रदराज हैं और उस दिन सांवराद गए भी नहीं थे और न ही उन्होंने किसी तरह का आह्वान किया था। अब इन संगठनों के नेताओं का कहना है कि बीजेपी ने राजपूतों और रावणा राजपूतों को अपनी जागीर मान लिया है। यहां तक कि संगठन में किसी बड़े पद पर समाज का कोई व्यक्ति नहीं है, जबकि पूरे प्रदेश में राजपूत और रावणा राजपूत समाज की अच्छी खासी संख्या है। लोकसभा चुनाव में राजपूतों ने पूरी तरह बीजेपी और राष्ट्रवाद के साथ जाते हुए 25 सीटें जीतने में पार्टी की मदद की। इसके बाद कांग्रेस ने भी अच्छा दावं खेला। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सवर्ण आरक्षण की पेचीदगियां दूर करने से राजपूत कांग्रेस की ओर आकृष्ट हुए और नगरीय निकायों में अच्छा परिणाम भी पार्टी को मिला। इसके चलते बीजेपी बीजेपी के संगठन को साफ तौर पर लग रहा है कि राजपूत उनके हाथ से खिसक रहा है। हाल ही में अब युवा मोर्चा के अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। पार्टी विचार कर रही है कि युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष किसी राजपूत को तैनात करके इस समाज को राजी किया जाए, लेकिन संघ लॉबी और ब्राह्मण समाज के दबाव के आगे बीजेपी किंतु—परंतु में अटकी है।सवर्ण आरक्षण की पेचीदगियां दूर करने से राजपूत अब कांग्रेस के प्रति लिबरल हुए हैं और जब तमाम सामाजिक नेताओं पर विद्वेष के चलते मुकदमा दर्ज हुआ है तो इसी बीच प्रतापसिंह खाचरियावास ने खुले तौर पर कांग्रेस की ओर से राजपूतों का सपोर्ट करके यह साफ कर दिया है कि राजपूत समाज और रावणा राजपूत समाज के रूप में बीजेपी के धुर वोट बैंक को कांग्रेस सम्मान सहित अपने पक्ष में ला सकती है। ऐसे में बीजेपी के नेताओं के चेहरों पर हवाइयां नजर आने लगी है।सीबीआई ने 24 लोगों को माना आरोपीCBI ने करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्रसिंह कालवी, विधायक राजेन्द्रसिंह गुढ़ा, करणी सेना राष्ट्रीय के अध्यक्ष सुखदेवसिंह गोगामेढ़ी, मारवाड़ राजपूत सभा के अध्यक्ष हनुमानसिंह खांगटा, करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना, योगेन्द्रसिंह कटार, दुर्गसिंह, रंजीतसिंह मंगला उर्फ रंजीतसिंह सोढाला, रंजीतसिंह गेंदिया, पूर्व विधायक रणवीरसिंह गुढ़ा, ओकेंद्र राणा उर्फ हितेन्द्रसिंह राणा, आनंदपाल की बेटी चरणजीतसिंह कंवर उर्फ चीनू, आनंदपालसिंह के वकील एपी सिंह, सीमा रघुवंशी उर्फ सीमा राघव, राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरीराजसिंह लोटवाड़ा, प्रताप फाउण्डेशन के महावीरसिंह सरवड़ी, प्रतापसिंह राणावत, प्रेमसिंह बनवासा, भंवरसिंह रेता, दिलीपसिंह, जब्बरसिंह, मोहनसिंह हाथोज, युनूस अली व घनश्यामसिंह त्योद को आरोपी माना है।
मीडिया से मुखातिब प्रतापसिंह खाचरियावास ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आनन्दपाल प्रकरण में हत्या बताते हुए जांच की मांग की थी। जनता की मांग पर सीबीआई जांच (CBI Investigation) शुरू हुई थी, उस जांच में एनकाउंटर तो सही साबित कर दिया। परिवार को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे लोगों को मुकदमे में फंसा दिया। यह पहला इस तरह का मामला है कि न्याय मांगने वालों पर मुकदमे कर दिए। इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता। वे लोग आनंदपाल के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे थे। बीजेपी ने सीबीआई पर दबाव देते हुए चालाकी करते हुए आनंदपाल के एनकाउंटर को तो सही साबित कर दिया। तत्कालीन भाजपा की सरकार तब यहां थी और अब केन्द्र में है। जब जांच गई थी, तभी मुझे आशंका थी कि गड़बड़ होगी।
मंत्री ने कहा कि आनन्दपाल एनकाउंटर की जांच तो हुई नहीं। इस तरह का न्याय अगर होगा तो लोगों का सीबीआई व केन्द्र सरकार पर से भरोसा उठ जाएगा। सीबीआई पर लोग भरोसा करते हैं और सीबीआई ने यह न्याय किया है। केन्द्र सरकार से मांग करता हूं कि ये सामाजिक नेता हैं। अपराधी नहीं हैं। ये वो लोग हैं जो खुद के परिवार पर नहीं, बल्कि आनंदपाल के परिजनों के लिए न्याय मांग रहे थे। उसके परिजनों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे लोगों को मुकदमों में फंसाना गलत है। मंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि केन्द्र की बीजेपी की सरकार घमंड बंद करे और राजस्थान बीजेपी के नेता जवाब दे कि आखिर यह किसके दबाव, किसके षड्यंत्र और किसके कहने से इन लोगों को फंसाया गया है। जो भी मदद होगी वह हम करेगा। यदि हम आज यह मदद नहीं करेगा तो लोग अन्याय के खिलाफ आन्दोलन करेंगे ही नहीं।
इस मामले पर बोले हैं मंत्रीगौरतलब है कि आनंदपाल सिंह एनकाउंटर प्रकरण में 2 साल 6 माह बाद सीबीआई की जांच पूरी हुई। सीबीआई ने आनंदपाल सिंह एनकाउंटर के बाद हुई हिंसा में 24 लोगों को आरोपी माना है। आपको बता दें कि एनकाउंटर के बाद आनंदपाल के गांव सांवराद में हिंसा हुई थी. 2 साल 6 माह बाद CBI की जांच पूरी हुई है। CBI ने जोधपुर स्थित ACJM CBI मामलात की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। सीबीआई ने जांच पूरी करते हुए आनंदपाल एनकाउंटर को सही ठहराया है, जबकि 24 लोगों को सांवराद हिंसा में आरोपी माना है। उन पर दंगा भड़काने, तत्कालीन नागौर एसपी व महिला आइपीएस पर जानलेवा हमला करने, पुलिस वाहनों को जलाने का दोषी माना गया है।
राजनीतिक हलकों में चर्चाएं, राजपूत अब कांग्रेस की ओर जा सकता है
प्रतापसिंह खाचरियावास के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाएं शुरू हो गई है। चूंकि राजपूत और रावणा राजपूत बीजेपी का मूल वोट बैंक माना जाता है और बीजेपी की तत्कालीन राज्य सरकार ने तमाम राजपूत संगठनों के नेताओं समेत करीब बारह हजार लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज किया था। बाद में बीजेपी राजस्थान के राजपूत नेताओं ने इस मामले में आन्दोलनरत कुछ लोगों को अपने चुनाव में सपोर्ट के लिए मना लिया था। यहां तक कि राजपूत करणी सेना राष्ट्रीय ने तो खुले तौर पर अपने ही समाज के मानवेन्द्रसिंह की पत्नी के खिलाफ प्रचार किया और वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी को समर्थन दिया था। अब केन्द्र सरकार पर ये संगठन आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने सीबीआई पर दबाव डालकर उनके खिलाफ इस तरह की चार्जशीट पेश करवाई है ताकि पूरे समाज को बदनाम किया जा सके।
इस चार्जशीट में कुछ ऐसे भी लोगों के नाम है जो उम्रदराज हैं और उस दिन सांवराद गए भी नहीं थे और न ही उन्होंने किसी तरह का आह्वान किया था। अब इन संगठनों के नेताओं का कहना है कि बीजेपी ने राजपूतों और रावणा राजपूतों को अपनी जागीर मान लिया है। यहां तक कि संगठन में किसी बड़े पद पर समाज का कोई व्यक्ति नहीं है, जबकि पूरे प्रदेश में राजपूत और रावणा राजपूत समाज की अच्छी खासी संख्या है। लोकसभा चुनाव में राजपूतों ने पूरी तरह बीजेपी और राष्ट्रवाद के साथ जाते हुए 25 सीटें जीतने में पार्टी की मदद की। इसके बाद कांग्रेस ने भी अच्छा दावं खेला। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सवर्ण आरक्षण की पेचीदगियां दूर करने से राजपूत कांग्रेस की ओर आकृष्ट हुए और नगरीय निकायों में अच्छा परिणाम भी पार्टी को मिला। इसके चलते बीजेपी बीजेपी के संगठन को साफ तौर पर लग रहा है कि राजपूत उनके हाथ से खिसक रहा है। हाल ही में अब युवा मोर्चा के अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। पार्टी विचार कर रही है कि युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष किसी राजपूत को तैनात करके इस समाज को राजी किया जाए, लेकिन संघ लॉबी और ब्राह्मण समाज के दबाव के आगे बीजेपी किंतु—परंतु में अटकी है।सवर्ण आरक्षण की पेचीदगियां दूर करने से राजपूत अब कांग्रेस के प्रति लिबरल हुए हैं और जब तमाम सामाजिक नेताओं पर विद्वेष के चलते मुकदमा दर्ज हुआ है तो इसी बीच प्रतापसिंह खाचरियावास ने खुले तौर पर कांग्रेस की ओर से राजपूतों का सपोर्ट करके यह साफ कर दिया है कि राजपूत समाज और रावणा राजपूत समाज के रूप में बीजेपी के धुर वोट बैंक को कांग्रेस सम्मान सहित अपने पक्ष में ला सकती है। ऐसे में बीजेपी के नेताओं के चेहरों पर हवाइयां नजर आने लगी है।सीबीआई ने 24 लोगों को माना आरोपीCBI ने करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्रसिंह कालवी, विधायक राजेन्द्रसिंह गुढ़ा, करणी सेना राष्ट्रीय के अध्यक्ष सुखदेवसिंह गोगामेढ़ी, मारवाड़ राजपूत सभा के अध्यक्ष हनुमानसिंह खांगटा, करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना, योगेन्द्रसिंह कटार, दुर्गसिंह, रंजीतसिंह मंगला उर्फ रंजीतसिंह सोढाला, रंजीतसिंह गेंदिया, पूर्व विधायक रणवीरसिंह गुढ़ा, ओकेंद्र राणा उर्फ हितेन्द्रसिंह राणा, आनंदपाल की बेटी चरणजीतसिंह कंवर उर्फ चीनू, आनंदपालसिंह के वकील एपी सिंह, सीमा रघुवंशी उर्फ सीमा राघव, राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरीराजसिंह लोटवाड़ा, प्रताप फाउण्डेशन के महावीरसिंह सरवड़ी, प्रतापसिंह राणावत, प्रेमसिंह बनवासा, भंवरसिंह रेता, दिलीपसिंह, जब्बरसिंह, मोहनसिंह हाथोज, युनूस अली व घनश्यामसिंह त्योद को आरोपी माना है।