Viral News / कोरोना से ज्यादा खतरनाक मंकी बी वायरस, इलाज ना होने पर 80% मृत्यु दर

दुनिया कोरोना वायरस से तो जूझ ही रही है पर अब बंदर से जुड़े एक वायरस के चलते चीन में एक डॉक्टर की मौत होने का मामला सामने आया है। 53 साल का ये सर्जन मंकी बी वायरस के चलते अपनी जान गंवा चुका है। चीन के हेल्थ अधिकारियों का कहना है कि ये वायरस उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है जो बंदरों के साथ काम करते हैं।

Vikrant Shekhawat : Jul 22, 2021, 06:36 PM
Delhi: दुनिया कोरोना वायरस से तो जूझ ही रही है पर अब बंदर से जुड़े एक वायरस के चलते चीन में एक डॉक्टर की मौत होने का मामला सामने आया है। 53 साल का ये सर्जन मंकी बी वायरस के चलते अपनी जान गंवा चुका है। चीन के हेल्थ अधिकारियों का कहना है कि ये वायरस उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है जो बंदरों के साथ काम करते हैं।

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीन की राजधानी बीजिंग में ये पशु चिकित्सक नॉन ह्यूमन प्राइमेट्स पर रिसर्च कर रहा था और उसने मार्च के महीने में दो मरे हुए बंदरों पर रिसर्च किया था। इसके बाद उसे लगभग एक महीने बाद उल्टी के शुरुआती लक्षण दिखे थे। उन्होंने कई अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन 27 मई को उनकी मौत हो गई। 

इसके बाद इस शख्स के शरीर के कई सैंपल्स लिए गए थे और इन सैंपल्स को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वायरल डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन को भेजा गया था, जहां पर इस शख्स के मंकी बी वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है। इस केस के बारे में कुछ दिनों पहले चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन ने ब्रीफ किया है।

मंकी बी वायरस वयस्क मैकाक बंदरों से फैलता है। ये बंदर इस वायरस को चिंपाजी बंदरों में भी फैला सकते हैं जिसके चलते चिंपाजी की मौत भी हो सकती है। संक्रमित मैकाक बंदरों के संपर्क में आने से यह वायरस इंसानों में भी आ सकता है। आमतौर पर मंकी बी वायरस को हर्पीस बी और हर्पीसवायरस बी भी कहा जाता है।

कोरोना वायरस की तरह ही मंकी बी वायरस के पहले लक्षण बुखार, मसल्स में दर्द, सिरदर्द हो सकते हैं। समय के साथ-साथ मंकी बी वायरस से प्रभावित शख्स को छोटे-छोटे फोड़े फुंसियां हो सकती हैं। इसके अलावा सांस में तकलीफ, उल्टी, बैचेनी जैसे लक्षणों को भी मंकी बी वायरस से जोड़ा गया है

इस बीमारी के गंभीर होने पर वायरस दिमाग में सूजन पैदा करने लगता है जिसके चलते न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ सकती हैं और नर्वस सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इसके चलते ब्रेन डैमेज भी हो सकता है और रोगी की मौत हो जाती है। इंफेक्शन से जुड़ी बीमारियों की विशेषज्ञ जापानी डॉक्टर केंटोरा इवाटा ने वॉशिंगटनपोस्ट के साथ बातचीत में कहा कि इलाज ना होने पर इस वायरस से 70 से 80 प्रतिशत मरीजों की जान जा सकती है। 

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन(CDC) के मुताबिक, साल 1932 में सामने आने के बाद से इस वायरस के बंदरों से इंसानों में पहुंचने के सिर्फ 50 केस देखने को मिले हैं और इनमें से 21 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा इस वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने का अब तक एक ही मामला सामने आया है। 

डॉक्टर्स के मुताबिक, अगर आपको किसी बंदर ने काट लिया है तो घाव को धीरे-धीरे साबुन, डिटर्जेंट या आयोडीन के साथ 15 मिनट तक धोना चाहिए। इसके बाद घाव पर 15 मिनटों तक पानी चलाना चाहिए और इस मामले में तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करना चाहिए।

गौरतलब है कि चीन में मंकी बी वायरस से जुड़ी मौत के अलावा अमेरिका मे भी बंदर से जुड़ा एक वायरस भी सुर्खियों में है। अमेरिका के अधिकारी 27 राज्यों में 200 लोगों की जांच कर रहे हैं कि कहीं वे मंकीपॉक्स से तो संक्रमित नहीं है।

दरअसल अमेरिका के डालास शहर में रहने वाला एक शख्स नाइजीरिया गया था और इस यात्रा के दौरान इस व्यक्ति को ये बीमारी लग गई थी। जहां मंकी बी वायरस का पहला मामला साल 1932 में सामने आया था वही मंकीपॉक्स का पहला मामला इंसानों में साल 1970 में आया था। 

मंकीपॉक्स में स्किन पर रैशेज पड़ जाते हैं और बुखार को भी इस बीमारी का लक्षण माना जाता है। इलाज के बाद इस शख्स को अस्पताल ने आइसोलेशन में भेज दिया है और अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ये शख्स की हालत फिलहाल स्थिर है।