Vikrant Shekhawat : May 16, 2022, 08:01 PM
Bodies Floating in Ganga : कोरोना महामारी की सेकेंड वेव के दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में तैरती दिखी लाशों के मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंभीरता से लिया है। एनजीटी ने दोनों राज्य सरकारों को कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले से लेकर इस साल 31 मार्च तक गंगा नदी में तैरते दिखे मानव शवों और नदी किनारे दफनाई गई लाशों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी है।जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की बेंच ने यूपी और बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) से इस विषय पर फैक्चुअल वेरिफिकेशन रिपोर्ट जमा करने को कहा है।बेंच ने पूछा कि यूपी और बिहार में साल 2018 और 2019 में कोविड-19 की शुरुआत से पहले और 2020, 2021 में कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद तथा इस साल 31 मार्च तक गंगा नदी में कितने मानव शव तैरते देखे गए और कितने नदी किनारे दफनाए गए।साथ ही, कितने मामलों में उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारों ने शवों के दाह संस्कार या दफनाने के लिए वित्तीय सहायता दी? गंगा नदी में शवों को प्रवाहित करने या नदी के किनारे शवों को दफनाने से रोकने के लिए जन जागरूकता लाने तथा जन भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?ट्रिब्यूनल ने यह जानने की कोशिश की कि क्या कोई आपराधिक मामला दर्ज किया गया था और किसी भी व्यक्ति के खिलाफ शवों के प्रबंधन के लिए दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए कोई मुकदमा चलाया गया था या नहीं?एनजीटी ने यह भी पूछा कि क्या पर्यावरण नियमों का कोई उल्लंघन हुआ है और यदि हां, तो किए गए एहतियाती उपायों का विवरण प्रस्तुत किया जा सकता है।एनजीटी पत्रकार संजय शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्होंने कोरोना वायरस से प्रभावित मानव शवों के निस्तारण के लिए उचित प्रोटोकॉल के पालन का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया।